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अस्थियों का गंगा में विसर्जन कराएगा काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन, दुनिया में कहीं से भी आनलाइन होगी बुकिंग

बाबा विश्वनाथ और गंगा के प्रति आस्था रखने वाले दुनिया भर के लोगों की इच्छा काशी में मोक्ष पाने की रहती है। जो लोग काशी में शरीर नहीं त्याग पाते उनके परिवार वाले अस्थियों का विसर्जन यहां लाकर गंगा में...

अस्थियों का गंगा में विसर्जन कराएगा काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन, दुनिया में कहीं से भी आनलाइन होगी बुकिंग
वाराणसी हिन्दुस्तान संवादMon, 27 Jan 2020 09:08 PM
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बाबा विश्वनाथ और गंगा के प्रति आस्था रखने वाले दुनिया भर के लोगों की इच्छा काशी में मोक्ष पाने की रहती है। जो लोग काशी में शरीर नहीं त्याग पाते उनके परिवार वाले अस्थियों का विसर्जन यहां लाकर गंगा में करते हैं। माना जाता है कि काशी की गंगा में अस्थियों का विसर्जन करने से भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो तमाम मजबूरियों के कारण अपनों की इच्छा के बाद भी उनकी अस्थियों का विसर्जन काशी में नहीं कर पाते हैं। उनकी इसी इच्छा को पूरी करने की पहल काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने की है। जल्द ही दुनिया में कहीं से भी अस्थि कलश की आनलाइन बुकिंग हो सकेगी।

काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन इसके लिए तैयारी शुरू कर चुका है। इससे अस्थियों को काशी की गंगा में प्रवाहित करने की सुविधा मिल जाएगी। कमिश्नर दीपक अग्रवाल के अनुसार मंदिर प्रशासन काशी से दूर देश-विदेश में बैठे लोगों को इसकी सुविधा देने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वेंडर्स की मदद ली जाएगी। मंदिर की वेबसाइट और ऐप के जरिये बुकिंग होगी। लोग घर बैठे बुकिंग करने के बाद वेंडर्स की मदद से विसर्जन के लिए अस्थि कलश काशी भेजेंगे। मंदिर प्रशासन विधिवत पूजा पाठ के बाद अस्थियों का विसर्जन गंगा में करवाएगा।

कमिश्नर के अनुसार पूरी प्रक्रिया का एक शॉट वीडियो भी बनाया जाएगा। इस वीडियो को बुकिंग कराने वाले व्यक्ति को भेजा जाएगा। इससे उन्हें इस बात की  संतुष्टि भी मिलेगी कि उनकी ओर से आस्था और विश्वास के साथ जो कार्य सौंपा गया था उसे मंदिर प्रशासन ने पूरी श्रद्धा के साथ कर दिया है। कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर प्रशासन विदेशों में बैठे लोगों को बाबा विश्वनाथ से जोड़कर उनकी आस्था और विश्वास को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरीके से कई कार्य करने जा रहा है। इसमें एक यह महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे लोग बाबा से जुड़े भी रहेंगे और काशी से दूर होने के कारण जो कार्य नहीं कर पाते वह भी कर सकेंगे।

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