धूमधाम से किया गया प्रतिमाओं का विसर्जन, VIDEO
शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा की साधना-आराधना के उपरांत विजया दशमी के दिन शनिवार को देवी प्रतिमाओं का विसर्जन धूमधाम से किया गया। यह बात अलग है कि प्रवाहित जल की बजाय कुंडों और कृत्रिम सरोवर में...
शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा की साधना-आराधना के उपरांत विजया दशमी के दिन शनिवार को देवी प्रतिमाओं का विसर्जन धूमधाम से किया गया। यह बात अलग है कि प्रवाहित जल की बजाय कुंडों और कृत्रिम सरोवर में प्रतिमा विसर्जन करते भक्तों को यह बात सालती रही कि गंगा में नाले और जानवरों के खून का गिरना नहीं रोका गया मगर सनातन परंपराओं पर रोक लगा दी गई।
सार्वजनिक पूजा पंडालों में विजया दशमी की दोपहर ही विदाई की रस्म शुरू हो गई थी। हवन-पूजन के उपरांत महिलाओं ने सिंदूर खेला की रस्म निभाई। मान्यताओं के अनुसार देवी को मायके से विदाई देने से पूर्व उन्हें दही गुड़ का भोग लगाया गया। इसके बाद सुहागिनों ने पहले मां की मांग में फिर मां के चरणों में सिंदूर अर्पित किया। इसके बाद मां के चरणों से सिंदूर उठा कर सुहागिनों ने न सिर्फ एक दूसरे की मांग में लगाया बल्कि अबीर की तरह चेहरे पर भी लगा दिया।
इस रस्म के बाद ज्यों ही देवी प्रतिमा पंडाल से विदा करने की बारी आई, मंगल के लिए उलू ध्वनि करती महिलाओं की आंखों से अश्रु धारा बह निकली। आलम यह था कि ढाकियों के हाथ जहां ढाक पर चल रहे थे और आंखों से आंसू की धार बह रही थी। सर्वाधिक प्रतिमाओं का विसर्जन विश्वसुंदरी सेतु के निकट रमना में और खिड़किया घाट के पास बनाए गए गंगा सरोवर में हुआ।
लक्ष्मीकुंड, संकुलधारा पोखरा, ईश्वरगंगी पोखरा, मछोदरी कुंड, मंदाकिनी कुंड में देवी प्रतिमाओं का विसर्जन देर रात तक हुआ। हालांकि शहर में दो दर्जन से अधिक देवी प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं हुआ है। ये प्रतिमाएं दो और तीन अक्तूबर को विसर्जित की जाएंगी। प्रतिमा विसर्जन के दौरान प्रमुख स्थलों पर पुलिस मुस्तैद थी लेकिन शहर की सभी प्रमुख सड़कों पर विसर्जन शोभायात्राओं के कारण जाम की समस्या भी लोगों को झेलनी पड़ी।