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नवसंवत्सर: स्वागत को आतुर दिखे काशीवासी- VIDEO

धर्मशास्त्र के अनुसार जिस तिथि को परमपिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरम्भ किया,धर्मराज युधिष्ठिर का राज तिलक हुआ, महर्षि दयानंद ने आर्यसमाज की स्थापना की और सनातनी नववर्ष का प्रारम्भ होता है। ऐसी तिथि...

वेदपाठी बटुकों ने किया योगमय अभिनंदन (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
1/ 10वेदपाठी बटुकों ने किया योगमय अभिनंदन (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
वेदपाठी बटुकों ने किया योगमय अभिनंदन (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
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केदार घाट पर वृक्षासन की मुद्रा में खड़े होकर बटुकों ने की प्रार्थना (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
3/ 10केदार घाट पर वृक्षासन की मुद्रा में खड़े होकर बटुकों ने की प्रार्थना (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
सूर्य की आराधना करते वेदपाठी बटुक (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
4/ 10सूर्य की आराधना करते वेदपाठी बटुक (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
घाट पर धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
5/ 10घाट पर धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
नवसंवत्सर:  स्वागत को आतुर दिखे काशीवासी (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
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नवसंवत्सर:  स्वागत को आतुर दिखे काशीवासी (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
7/ 10नवसंवत्सर: स्वागत को आतुर दिखे काशीवासी (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
नवसंवत्सर:  स्वागत को आतुर दिखे काशीवासी (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
8/ 10नवसंवत्सर: स्वागत को आतुर दिखे काशीवासी (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
नवसंवत्सर के अवसर पर गंगा घाट पर पहुंची छात्राओं ने सूर्य की उपासना की
9/ 10नवसंवत्सर के अवसर पर गंगा घाट पर पहुंची छात्राओं ने सूर्य की उपासना की
नवसंवत्सर के अवसर पर गंगा घाट पर पहुंची छात्राओं ने सूर्य की उपासना की
10/ 10नवसंवत्सर के अवसर पर गंगा घाट पर पहुंची छात्राओं ने सूर्य की उपासना की
वाराणसी। प्रमुख संवाददाताMon, 19 Mar 2018 07:05 PM
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धर्मशास्त्र के अनुसार जिस तिथि को परमपिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरम्भ किया,धर्मराज युधिष्ठिर का राज तिलक हुआ, महर्षि दयानंद ने आर्यसमाज की स्थापना की और सनातनी नववर्ष का प्रारम्भ होता है। ऐसी तिथि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के स्वागत को काशीवासी रविवार की सुबह गंगातट पर आतुर दिखे। नवसंवत् के राजा सूर्य एवं मंत्री शनि हैं।

गंगा किनारे हुए विविध आयोजनों के क्रम में अहिल्याबाई घाट पर रविवार को प्रात:काल सूर्योदय के समय दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय तथा राजस्थान ब्राह्मण मंडल काशी के संयुक्त तत्वावधान् में संवत्सर का स्वागत हुआ। काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक डा. श्रीकांत मिश्र एवं उदित नारायण मिश्र के आचार्यत्व में चंद्रमौली इंटरनेशनल के वैदिक बटुकों ने नित्य संकल्प विनियोगादि के साथ भगवान भुवन-भाष्कर का पूजन किया। सूर्यनमस्कार के उपरांत रोरी एवं पुष्प मिश्रित जल से अर्घ्य प्रदान किया। इसके उपरांत एक पैर पर वृक्षासन की मुद्रा में खड़े होकर मां गंगा एवं सूर्य भगवान से विश्व कल्याण की कामना की। कार्यक्रम संयोजक पवन शुक्ला एवं पं. वेदमूर्ति शास्त्री के अनुसार इस अवसर पर विनय चौधरी,गोकुल शर्मा,महेंद्र भातरा,मनोज पचलंगिया,मुकुंद जोशी,विशाल औंढेकर,राकेश तिवारी,आचार्य चूड़ामणि शास्त्री,आलोक श्रीवास्तव,विकास महाराज,विजय मिश्र, राजकुमार सारस्वत,धर्मदेव मिश्र,नृपेन्द्र शुक्ला,मनोज मिश्र,विनीत गौतम उपस्थित थे। 

वेदपाठी बटुकों ने किया योगमय अभिनंदन
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर लाली घाट पर भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य प्रदान कर बटुकों ने नव संवत का स्वागत किया। श्रीविद्यामठ के संन्यासियों, ब्रह्मचारियों और बटुकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगा आरती की। इसके उपरांत योग कला के प्रदर्शन की शुरुआत सूर्य नमस्कार के माध्यम से की। इस अवसर पर प्रात:मंगलम कार्यक्रम का 11 वार्षिकोत्सव भी मनाया गया। दंडी संन्यासी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती की ओर से इसकी शुरुआत वर्ष 2007 में की गई थी। चारों पीठों के वर्तमान पूज्यपाद शंकराचार्यो द्वारा अनुमोदित एवं विद्याश्री धर्मार्थ न्यास द्वारा प्रकाशित विक्रम संवत् 2075 के नूतन सनातनी पंचांग का विमोचन भी किया गया। इसके उपरांत धोती और अंगवस्त्रम् में बटुकों ने पथ संचलन और ध्वज प्रणाम किया। ध्वजारोहण स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने किया। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती न्याय वेदांत महाविद्यालय के बटुकों ने गंगा राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन किया।

यूपी-महाराष्ट्र की साझा सांस्कृतिक विरासत के दर्शन
नए संवत की नए सुबह गंगा किनारे डा. राजेंद्र प्रसाद  एक नई शुरुआत का साक्षी बना। घाट किनारे जुटे महाराष्ट्र के लोगों ने यूपी और महाराष्ट्र की साझा सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत के दर्शन कराए। बाजीराव पेशवा, वीर शिवाजी से लेकर रानी अहिल्या बाई होल्कर तक का रिश्ता बनारस से कैसे है इसे सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शाया गया। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए निवर्तमान कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण भी उपस्थित रहे। महाराष्ट्र की इन विभूतियों से संबंधित झांकियां भी डा. राजेंद्र  प्रसाद घाट पर जीवंत हुईं। इन झांकियों को जीवंत करने में स्कूली बच्चों का भी सहयोग लिया गया। प्दोनों प्रांतों की संगीत शैलियों को  भी एक दूसरे से जोड़ा गया है। प्रात:काल नव संवतत्सर का स्वागत काशी के रोनू मजुमदार के बांसुरी वादन से हुआ तो सायंकाल महाराष्ट्र के ख्यातिलब्ध गायक भीमसेन जोशी के शिष्य आनंद भाटे का शास्त्रीय गायन हुआ। करीब एक घंटे की प्रस्तुति देने के उपरांत आनंद भाटे ने सायंकालीन गंगा आरती के दौरान गंगा की आरती का गायन भी किया।

न्यू अस्सी घाट पर मनाया गया दोहरा उत्सव
न्यू अस्सी घाट पर सुबह-ए-बनारस के 1211 वें दिवस एवं नवसंवत्सर के शुभ सुयोग के उपलक्ष्य में विशेष उत्सव का आयोजन किया गया। भव्य गंगा आरती के साथ वैदिक पद्दति से यज्ञ किया गया। जिलाधिकारी वाराणसी श्री योगेश्वर राम मिश्र सपत्नीक सम्मिलित हुए। सुबह ए बनारस की ओर से अध्यक्ष प्रो. राजेश्वर आचार्य ने विशिष्टजनों को अंगवस्त्रम और माल्यार्पण द्वारा आयोजन में विशेष सहयोग के लिए सम्मानित किया। इनमें प्रमुख रूप से राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ  की  पूर्व  कुलपति पद्मश्री प्रो. चूड़ामणि गोपाल,वरिष्ठ चिकित्सक प्रो. टीएम महापात्रा को डा. रात्नेश वर्मा ने स्मृति चिह्न प्रदान किए। इस अवसर पर प्रमोद  मिश्र ,रमेश तिवारी, श्रीनिवास तिवारी, अभय श्रीवास्तव, संजय सिंह, वीरेंद्र सिंह, श्याम केसरी,डा. ऋतु गर्ग,डा. संजय गर्ग, डा. गीता सुब्रमण्यम  प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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