GST 2 0 Changes Spark Tension Among Automobile Dealers Ahead of Navratri बोले काशी: ग्राहक बमबम मगर करोड़ों फंसने से भारी तनाव में हम, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी: ग्राहक बमबम मगर करोड़ों फंसने से भारी तनाव में हम

Varanasi News - वाराणसी में जीएसटी की नई दरों की घोषणा ने ऑटोमोबाइल डीलरों में तनाव पैदा कर दिया है। नई व्यवस्था में टैक्स की दरें कम होने के बावजूद, डीलर करोड़ों रुपये की पूंजी फंसने से चिंतित हैं। नवरात्र के पहले...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीWed, 17 Sep 2025 10:47 PM
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बोले काशी: ग्राहक बमबम मगर करोड़ों फंसने से भारी तनाव में हम

वाराणसी। जीएसटी की विभिन्न दरों में छूट और 22 सितंबर से ही नई दरों के लागू होने की घोषणा से उपभोक्ता-ग्राहक बमबम हैं। वे शिद्दत से नवरात्र के पहले दिन का इंतजार कर रहे हैं, खासकर बाइक और एसयूवी-एमयूवी वाहनों के ग्राहक। जबकि इन वाहनों के डीलर भारी तनाव से गुजर रहे हैं। उनकी नींद गायब है क्योंकि, उनकी करोड़ों रुपये की पूंजी ‘सेस के रूप में फंस गई है। यह राशि वे ग्राहकों से नहीं ले पाएंगे। वहीं, छूट के समायोजन में लंबा वक्त लगने का भी गंभीर संकट है। भारत सरकार ने नवरात्र के पहले दिन से जीएसटी 2.0 की नई व्यवस्था शुरू करने की घोषणा कर दी है।

नई व्यवस्था में टैक्स की दरों को कम किया गया है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी टैक्स की दर कम हुई है, लेकिन कुछ पेचीदगी भी है जिससे ऑटोमोबाइल डीलर तनाव में हैं। ‘हिन्दुस्तान के जगतगंज कार्यालय में विभिन्न ऑटोमोबाइल कंपनियों के डीलरों ने अपनी पीड़ा बताई। बोले, जिन वाहनों पर उन्होंने सेस जमा कर दिया है, वह राशि अब वे ग्राहकों से नहीं ले सकेंगे। इससे उनकी करोड़ों रुपये की पूंजी फंसने की आशंका है। वाराणसी ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के संरक्षक राजेंद्र गोयनका ने कहा कि कई गाड़ियों पर जीएसटी 40 प्रतिशत हो गया है। जिस प्रणाली के तहत बढ़ी हुई दर ली जा रही है, उसी के तहत सरकार को पहले ली गई राशि वापस भी करनी चाहिए। बोले, इस संबंध में सरकार के आला अफसरों के जो बयान आ रहे हैं, उससे ऑटोमोबाइल डीलरों को निराशा हो रही है। केंद्र को भेजेंगे प्रतिवेदन : एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य राजीव गुप्ता, रवीश गुप्ता, कुशाग्र अग्रवाल, सुनील शर्मा ने कहा कि जीएसटी 2.0 की नई व्यवस्था में 28 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत के दायरे में जो वाहन शामिल हुए हैं, उनसे ग्राहकों को लाभ मिला है। यह अच्छा संकेत है लेकिन उन वाहनों पर डीलरों ने जो टैक्स दिया हुआ है, उसके समायोजन में कई साल लग जाएंगे। इसे लेकर हम चिंतित हैं। वाराणसी ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष उदयराज सिंह ने कहा कि जल्द ही केंद्र सरकार को एक प्रतिवेदन भेजा जाएगा। उसमें ऑटोमोबाइल डीलरों के सामने खड़े संकट से निजात दिलाने की मांग की जाएगी। बोले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे सांसद भी हैं। इससे उम्मीद है कि वह हमारी आवाज जरूर सुनेंगे। चेसिस नंबर के आधार पर लिस्ट : वरिष्ठ अधिवक्ता शरद त्रिपाठी ने कहा कि 21 सितंबर तक ऑटोमोबाइल कंपनियों को चेसिस नंबर के आधार पर एक लिस्ट बनानी चाहिए। उसी के आधार पर प्रत्येक गाड़ी पर दिए सेस का आकलन कर कंपनियां आईजीएसटी या अन्य किसी मद में डीलरों को लाभ दे सकती हैं। सीए विशाल बी अशर ने कहा कि सेस की समस्या को एक उदाहरण से समझने की जरूरत है। यदि 15 लाख रुपये की कार पर पहले 17 प्रतिशत सेस होता था। 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ सेस मिलाकर 45 प्रतिशत अतिरिक्त राशि थी। अब 28 प्रतिशत जीएसटी का स्लैब सरकार ने हटा दिया है और इसे 40 प्रतिशत में शामिल कर दिया है। ऑटोमोबाइल डीलर के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि एक कार पर कम से कम 1.40 लाख रुपये सेस जमा किया गया है। इस आधार पर प्रत्येक डीलर की करोड़ों रुपये की राशि अटक गई है। सरकार को हर हाल में इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। ऋण की राशि पर ब्याज : ऑटोमोबाइल डीलरों ने त्योहार को देखते हुए ज्यादा स्टॉक खरीद लिया था। जिन दोपहिया वाहनों और 1200 सीसी से कम क्षमता की कारों पर टैक्स की दर कम हुई है, उनकी कीमत चुकाने के लिए डीलरों ने बैंकों से करोड़ों रुपये का ऋण लिया था। यह राशि जीएसटी विभाग के पास इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रूप में पड़ी रहेगी। वहीं, ऑटोमोबाइल डीलर बैंक को ब्याज देंगे, लेकिन उसका समायोजन कई साल में होगा। इससे अंतत: उनकी जेब पर ही बोझ बढ़ेगा। संवाद में संयुक्त आयुक्त (एसआईबी) रवींद्र कुमार द्विवेद्वी भी मौजूद रहे।

सुझाव 1. नई व्यवस्था लागू होने से पहले बचे स्टॉक के बारे में भी सरकार दिशानिर्देश जारी करे, अन्यथा समस्या गंभीर होगी। 2. बैंकों से ऋण लेकर कंपनियों को दिए टैक्स के समायोजन की सरकार को जल्द व्यवस्था करानी चाहिए। 3. जो भी नई घोषणाएं हों, उन्हें तत्काल प्रभाव से लागू होना चाहिए। इससे व्यापार पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। 4. 1200 सीसी से अधिक क्षमता की गाड़ियों पर सेस के रूप में करोड़ों रुपये फंसने से परेशान उद्यमियों को सरकार से पैकेज मिलना चाहिए। 5. सरकार को ढाई हजार करोड़ रुपये से अधिक की जो राशि सेस के रूप में मिली है, उसे वापस करने की जरूरत है।

शिकायतें

1. 21 सितंबर की रात 12 बजे के बाद बचे हुए स्टॉक की खरीद पर दिए गए सेस की राशि को लेकर संशय बना हुआ है। 2. जिन गाड़ियों पर 28 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत जीएसटी हुआ है, उन पर दिए गए टैक्स के समायोजन में कई साल लग जाएंगे। 3. जीएसटी 2.0 में टैक्स की दर कम होने की घोषणा से बिक्री लगभग न के बराबर रह गई है। कारोबार लगभग ठप हो गया है। 4. 1200 सीसी से अधिक क्षमता वाली प्रत्येक कार पर न्यूनतम करीब डेढ़ लाख रुपये का सेस अटकेगा। इससे डीलरों को करोड़ों रुपये का नुकसान होगा। 5. ऑटोमोबाइल डीलरों ने कंपनियों को सेस के रूप में जो राशि दे दी है, उसका समाधान निकलने की उम्मीद नहीं दिख रही है।

बोले विशेषज्ञ ऑटोमोबाइल डीलरों की पूंजी फंसने से व्यापार पर खासा असर पड़ेगा। ऐसे में सरकार को बेहतर कार्ययोजना बनानी चाहिए। जिस प्रकार जीएसटी लागू होते समय सरकार ने फंड रिलीज कराया था, इस समय भी उसी तरह की नीति बनाने की जरूरत है। वाहन निर्माता कंपनियां चेसिस नंबरों के आधार पर सूची बनाकर इस समस्या का समाधान निकाल सकती हैं। जीएसटी 2.0 में जिन सेक्टरों में इस तरह की दिक्कत है उनके लिए सरकार को अलग व्यवस्था करनी चाहिए।

- शरद त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता

सरकार को वन टाइम रिफंड अथवा क्रेडिट मैकेनिज्म निकालना चाहिए, ताकि सेस में अटकी राशि को प्रभावी तरीके से ऑटोमोबाइल डीलरों को जारी किया जा सके। जीएसटी 2.0 का यह संक्रमण काल है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि 21 सितंबर को जो स्टॉक बचेगा उस पर जमा किए गए सेस का किस तरह समायोजन होगा, यह अभी पता नहीं है। यह समस्या केवल ऑटोमोबाइल सेक्टर की नहीं है, बल्कि कोयला व्यापारियों को भी ऐसी ही परेशानी झेलनी पड़ेगी। भविष्य में किसी तरह की दिक्कतों से बचने के लिए सरकार को समय रहते ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

- विशाल बी अशर, चार्टर्ड एकाउंटेंट

बोले जिम्मेदार

जब भी सरकार कोई नई व्यवस्था लागू करती है तो उसके कई तरह के प्रभाव होते हैं। जीएसटी 2.0 में ग्राहकों की जेब पर बोझ कम होगा। फिलहाल ऑटोमोबाइल डीलर जिन समस्याओं से चिंतित हैं, संभव है 22 सितंबर के कुछ समय बाद उनकी दिक्कतें कम हों। सरकार ने राहत देने के लिए नई व्यवस्था शुरू करने का निर्णय लिया है, निश्चित रूप से सरकार ऑटोमोबाइल सेक्टर के इन मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार कर रही होगी। यह भी संभव है कि सरकार जल्द ही कोई सर्कुलर जारी कर इन मुद्दों पर भी राहत की घोषणा करे।

-मिथिलेश कुमार शुक्ला, अपर आयुक्त-राज्यकर विभाग

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