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छाई उदासी: अप्पाजी नहीं रहीं सुनते ही शोकाकुल हुई काशी

गायकी का ककहरा सीखने वाले युवा गायकों के बीच अप्पाजी के नाम से प्रसिद्ध गिरिजादेवी की मृत्यु की खबर पाते ही काशी में शोक की लहर दौड़ गई। काशी ही नहीं देश-दुनिया के श्रोताओं के बीच लोकप्रिय गिरिजा देवी...

छाई उदासी: अप्पाजी नहीं रहीं सुनते ही शोकाकुल हुई काशी
वाराणसी। प्रमुख संवाददाताWed, 25 Oct 2017 11:35 AM
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गायकी का ककहरा सीखने वाले युवा गायकों के बीच अप्पाजी के नाम से प्रसिद्ध गिरिजादेवी की मृत्यु की खबर पाते ही काशी में शोक की लहर दौड़ गई। काशी ही नहीं देश-दुनिया के श्रोताओं के बीच लोकप्रिय गिरिजा देवी के निधन से संगीत जगत ही नहीं पूरी काशी मर्माहत है। 

रात के करीब 10 बजे काशीवासियों के बीच अप्पाजी के निधन की खबर फैल गई। कोई टीवी के चैनल बदलने लगा तो कोई फेसबुक और व्हाट्सअप के माध्यम से तहकीकात करने लगा। जैसे जैसे खबर की पुष्टि होती गई वैसे-वैसे लोगों में उदासी बढ़ती गई। अस्सी, सोनारपुरा, दशाश्वमेध और चौक पर लगने वाली बुद्धिजीवियों की अड़ियों पर भी गिरिजा देवी के सांगीतिक योगदान को लेकर चर्चा छिड़ गई। 

संगीत मर्मज्ञ पं. अमिताभ भट्टाचार्य ने कहा कि संगीत में उनकी सुदीर्घ साधना हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के मूल सौंदर्य और सौंदर्यमूलक ऐश्वर्य की पहचान थी। ख्याल गायन से अपनी संगीत यात्रा का श्रीगणेश करने के बाद उन्होंने उपशास्त्ररीय संगीत को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया। गायक देवाशीष डे ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के समकालीन परिदृश्य में गिरिजा देवी एकमात्र ऐसी गायिका थीं, जिन्होंने पूरब अंग की गायकी को हिमालय जैसी ऊंचाई दिलाई। पं. अमित शंकर त्रिवेदी ने कहा उन्हें ‘ठुमरी साम्राज्ञी’ यूं ही नहीं कहा जाता था। झूला और भजनों के अनूठे गायन से उन्होंने समकालीन गायक-गायिकाओं के बीच विशिष्ट पहचान बनाई थी। 

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