VIDEO- गंगा आरती देख भावुक हुए जर्मन राष्ट्रपति, बोले- मैंने काशी आने में देर कर दी
मैंने काशी आने में बहुत देर कर दी। काश, मैं पहले ही काशी आ गया होता तो आज मेरे जीवन का स्तर कुछ और होता- यह अभिव्यक्ति जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टरॉक स्टेनमेयर की है। वह गुरुवार शाम काशी में...
मैंने काशी आने में बहुत देर कर दी। काश, मैं पहले ही काशी आ गया होता तो आज मेरे जीवन का स्तर कुछ और होता- यह अभिव्यक्ति जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टरॉक स्टेनमेयर की है। वह गुरुवार शाम काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती देखने के बाद भावुक हो उठे थे। गंगा आरती के बहाने उन्होंने पंच महाभूत (पृथ्वी, जल, पावक, गगन और वायु) के दर्शन को भी समझने का प्रयास किया।
दूसरी जिज्ञासा ऋद्धि-सिद्धि को लेकर थी। उन्होंने पूछा आरती करने वाले प्रत्येक पुरुष के दोनों ओर लड़कियां क्यों खड़ी हैं? तब सुशांत ने कहा यह लड़कियां ऋद्धि-सिद्धि की प्रतीक हैं। ये दोनों भगवान गणेश की पत्नी हैं। सुशांत ने जर्मनी के राष्ट्रपति को सनातन धर्म में भगवान गणेश के महत्व की जानकारी दी। राष्ट्रपति की यह भी जिज्ञासा था कि लड़कियों के हाथों में मोरपंख क्यों हैं? बूढ़े आदमी के बड़े बालों जैसा (चंवर) उनके हाथ में क्या है? उन्हें जानकर आश्चर्य हुआ कि जिस मोर को वे सिर्फ सुंदरता का प्रतीक समझते हैं,उसके पंख लक्ष्मी के प्रतीक हैं और चंवर से उत्पन्न होने वाली हवा प्राणवायु के समतुल्य होती है।
जैसे-जैसे आरती पूर्णता की ओर बढ़ती जा रही थी, जर्मन राष्ट्रपति की जिज्ञासा भावुकता में बदलती जा रही थी। उन्होंने धूप, दीप और कपूर से बारी-बारी से आरती करने का रहस्य समझने की चेष्टा की। यह जानने के बाद कि गंगा की दैनिक आरती के दौरान सनातनधर्मी उन पांच तत्वों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिनसे हमारा शरीर बना है, वह अकिंचन भाव से गंगा आरती की पूर्णाहुति प्रक्रिया निहारते रहे।
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र के अनुसार, स्मृति चिह्न ग्रहण करते हुए अभिभूत जर्मन राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने काशी आने में बहुत दे कर दी। मुझे बहुत पहले ही यहां आना चाहिए था। आरती स्थल पर मैं खुद को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण पा रहा हूं।