दालमंडी में अवैध निर्माण: पिलर से पिलर जोड़कर बना दिया पूरा बाजार
शहर की सबसे घनी आबादी वाला बाजार दालमंडी। एक ओर चौक-काशी विश्वनाथ मंदिर तो दूसरी ओर नई सड़क-गोदौलिया मार्ग। शहर के दो प्रमुख मार्गों के मध्य बसे इस बाजार की तंग गलियों में रोजाना करोड़ों कारोबार होता...
शहर की सबसे घनी आबादी वाला बाजार दालमंडी। एक ओर चौक-काशी विश्वनाथ मंदिर तो दूसरी ओर नई सड़क-गोदौलिया मार्ग। शहर के दो प्रमुख मार्गों के मध्य बसे इस बाजार की तंग गलियों में रोजाना करोड़ों कारोबार होता है। पूरे दिन गुलजार रहने वाले इस बाजार की जमीन के नीचे एक नया बाजार बसाने की पिछले दो साल से तैयारी चल रही थी। मगर किसी को कानोंकान भनक न लगी हो ऐसा हो ही नहीं सकता। इलाके के लोगों में इस बात की चर्चा है कि पुलिस से लेकर वीडीए को भी इस निर्माण की पूरी जानकारी थी। लेकिन मामला खुला तो सभी अपना-अपना दामन बचाने में जुट गए।
जिस स्थान पर यह निर्माण हो रहा था वह नई सड़क से दालमंडी की ओर मुड़ने वाले मार्ग से करीब दो सौ मीटर अंदर जाने पर स्थित है। इसी इलाके में भवन संख्या 67/5, 67/7, 67/7ए के भवन स्वामी मंसूर अहमद, शहीद अली, शमसेर आलम, अली जान, शायराबानो का संयुक्त रूप से करीब 750 वर्ग मीटर एवं सीके 68/36 राबिया बेगम का सौ वर्गमीटर में निर्माण किया जा रहा था। इलाकाई लोगों की मानें तो दालमंडी इलाके में वंशीधर का कटरा काफी मशहूर है, जो करीब छह सौ वर्ग मीटर में बना है। इस भवन को पांच साल पहले इलाके के चार लोगों ने खरीदा था और उसी पर पांच मंजिला भवन बनवाने के बाद नीचे भूमिगत बाजार बसाया जा रहा था। निर्माण के दौरान वीडीए व पुलिस दोनों आते रहे और मिलकर लौट जाते थे। तय है दो साल से तैनात अफसरों ने अवैध निर्माण के दौरान खूब मु्ठ्ठी गर्म की। करीब दस हजार वर्ग फीट में जमीन के नीचे पिलर से पिलर जोड़कर निर्माण कार्य चलता रहा मगर सभी ने आंखें बंद की रखीं।
खच्चर व ट्रैक्टर से होती रही मिट्टी की ढुलाई
घनी आबादी में दिन के बजाए रात में काम होता रहा। इस दौरान मिट्टी, बालू, गिट्टी, सीमेंट की ढुलाई ट्रैक्टर के अलावा खच्चर से होती रही। वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव विशाल सिंह की मानें तो निर्माण कार्य को देखकर लग रहा था कि पिछले दो साल से वहां काम चल रहा है। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य कराने के लिए काफी समय की जरुरत होती है। तय है इसमें हजारों ट्रक मिट्टी निकली होगी। यह मिट्टी कहां और कैसे गई, इसकी जांच करायी जाएगी।
दो साल से तैनात अफसरों की जांच
विकास प्राधिकरण के सचिव विशाल सिंह ने बताया कि 2015 से लेकर 2017 तक इस जोन में तैनात वीडीए के कर्मचारियों और अधिकारियों की लिस्ट भी तैयार कर शासन को कार्रवाई के लिए भेजी जाएगी।
खुफिया से पुलिस तक सब फेल
बकौल एसएसपी, भूमिगत बाजार अचानक तैयार नहीं हुआ है। इसके लिए एक-दो साल से काम चल रहा होगा, लेकिन इसकी जानकारी न ही प्रशासनिक अमले को हुई और ना ही पुलिस महकमे को और खुफिया विभाग भी इससे अनजान रहा, जो अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच वाराणसी विकास प्राधिकरण कर रहा है और जो भी लोग दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई जरूर होगी।
सुरक्षा में बड़ी चूक
सवाल विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर उठ रहा है क्योंकि जिस जगह निर्माण हुआ है। वह मंदिर के येलो जोन के करीब है और सुरंगनुमा यह बाजार जहां तक जा रहा था उससे कुछ दूरी पर विश्वनाथ मंदिर एरिया का रेड जोन है, जिसे अतिसंवेदनशील माना जाता है। एसएसपी आरके भारद्वाज ने माना कि सुरक्षा के लिहाज से यह बड़ी चूक है और इस चूक का जिम्मेदार जो भी होगा वह बख्शा नहीं जाएगा।
फंडिंग को लेकर हो रही जांच
दालमंडी में लंबे वक्त से अवैध तरीके से बन रहे इस अंडरग्राउंड बाजार की फंडिंग को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बाजार के निर्माण में कई बाहरी लोगों का पैसा लगे होने की जानकारी सामने आई है, जिसके बाद खुफिया विभाग इन लोगों की पड़ताल करने में जुट गया है।
उपासना स्थल में बना दिया बेसमेंट
इस पूरे घटनाक्रम के सामने आने के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर इतनी भीड़ भाड़ वाले इलाके में यह अवैध निर्माण हुआ तो हुआ कैसे। वजह दालमंडी को पूर्वांचल की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मंडी और डुप्लीकेट सामानों की मंडी के रूप में जाना जाता है जहां पर पूरा दिन पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से खरीदार आते हैं। एसएसपी का कहना है कि अब तक की जांच में यह पता चला है कि बेसमेंट को पुरानी दुकानों के नीचे ही बनाया गया था। यहां तक की एक उपासना स्थल के नीचे भी इसी तरह का अवैध बेसमेंट मिला है।