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स्थापना दिवस पर बाबा दरबार में चारों वेदों का पारायण

कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का स्थापना दिवस पूर्ण भक्तिभाव से गुरुवार को मनाया गया। बैकुंठ चतुर्दशी पर विश्वनाथ मंदिर का स्थापना दिवस मनाने की परंपरा रानी अहिल्याबाई...

स्थापना दिवस पर बाबा दरबार में चारों वेदों का पारायण
हिन्दुस्तान टीम,वाराणसीFri, 23 Nov 2018 03:19 AM
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कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का स्थापना दिवस पूर्ण भक्तिभाव से गुरुवार को मनाया गया। बैकुंठ चतुर्दशी पर विश्वनाथ मंदिर का स्थापना दिवस मनाने की परंपरा रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा जीर्णोद्धार कराने के पूर्व से चली आ रही है।

रानी अहिल्याबाई होल्कर ने ही जीर्णोद्धार के बाद बैकुंठ चतुर्दशी को ही वर्तमान विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रथम पूजन किया था। स्थापना दिवस की परंपरा के निर्वाह के लिए गुरुवार को बाबा के दरबार में चारों वेदों का पारायण किया गया। 101 वैदिक ब्राह्मणों ने अपराह्न दो बजे विशिष्ट मुहूर्त में बाबा की अर्चना आरंभ की। षोडषोपचार विधि से बाबा के पूजन से पूर्व भावनात्मक रुद्र यज्ञ किया गया। फिर लघु रुद्र यज्ञ किया गया। तुलसीदल से बाबा का अर्चन किया गया। वर्ष में बैकुंठ चतुर्दशी ही एकमात्र दिवस है जब बाबा को तुलसीदल अर्पित किया जाता है। शेष तिथियों पर बाबा को बेलपत्र ही अर्पित किया जाता है। बाबा के गर्भगृह में मन्दिर के आचार्य टेकनरायरण ने न्यास अध्यक्ष पं. अशोक द्विवेदी के सानिध्य में पूजन कराया। इस मौके पर मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के मुख्यकार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह उपस्थित रहे। पूजन की समाप्ति के उपरांत न्यास अध्यक्ष, मंडलायुक्त और मुख्य कार्यपालक ने ब्राह्मणों को धोती, दुपट्टा, माला और दक्षिणा भेंट की।

पौराणिक है स्थापना दिवस मनाने की परंपरा

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी कहते हैं बैकुंठ चतुर्दशी पर बाबा दरबार का स्थापना दिवस मनाने की परंपरा पौराणिक है। भगवान विष्णु ने जब शिव को प्रसन्न करने के लिए काशी में तप किया था। उनके तप से प्रसन्न होकर शिव ने विश्वनाथ स्वरूप में बैकुंठ चतुर्दशी पर ही श्रीहरि विष्णु को दर्शन दिया था। उसी दिन आदियोगी शिव, विश्वनाथ के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसलिए यह दिवस काशी और शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।

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