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वरुणा कॉरिडोर किनारे अप्रैल में चलने लगेंगे ई-रिक्शे

वरुणा कॉरिडोर किनारे ई-आरटीएस (ई-रिक्शा ट्रैफिक सिस्टम) मार्च तक विकसित होगा। करीब छह किमी लम्बे ट्रैफिक सिस्टम के लिए तैयारी शुरू हो गयी है। विकास प्राधिकरण ने बुधवार को एक करोड 98 हजार का टेंडर...

वरुणा कॉरिडोर किनारे अप्रैल में चलने लगेंगे ई-रिक्शे
हिन्दुस्तान टीम,वाराणसीThu, 07 Nov 2019 01:51 AM
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वरुणा कॉरिडोर किनारे ई-आरटीएस (ई-रिक्शा ट्रैफिक सिस्टम) मार्च तक विकसित होगा। करीब छह किमी लम्बे ट्रैफिक सिस्टम के लिए तैयारी शुरू हो गयी है। विकास प्राधिकरण ने बुधवार को एक करोड 98 हजार का टेंडर जारी कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक अप्रैल तक कॉरिडोर में ट्रांसपोर्टेशन शुरू हो जाएग। शहरी विकास मंत्रालय ने वरुणा किनारे ई-आरटीएस को जून में हरी झंडी दे दी। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल के निर्देशन में नगर निगम, वीडीए और लोक निर्माण विभाग की संयुक्त टीम बनाकर कार्ययोजना तैयार हुई। जिसमें सभी विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गयी। वीडीए उपाध्यक्ष राहुल पांडेय के नेतृत्व में संयुक्त टीम ने सर्वे कर ई-आरटीएस संचालन के लिए बुनियादी कार्य की रिपोर्ट सौंपी। इसी बीच बाढ़ के कारण परियोजना रुक गई। बाढ़ के पानी हटने के बाद मंडलायुक्त के निर्देश पर वीडीए ने इस्टीमेट के हिसाब से टेंडर जारी कर दिया। वीडीए उपाध्यक्ष का कहना है कि चार माह में काम पूरा कर ई-आरटीएस चालू कर दिया जाएगा। शास्त्री घाट से बड़ा पुल तक का यातायात कॉरिडोर के दोनों ओर पाथवे पर ई-रिक्शा की मदद से लोग यातायात करेंगे। इसमें कचहरी स्थित शास्त्री घाट और बड़ापुल पर दोनों किनारे एप्रोच सड़क का निर्माण होगा। यहां पार्किंग की सुविधा होगी। नक्खीघाट और चौकाघाट में सीढ़ी व रैम्प बनेगा। यहां केवल पैदल आने-जाने की सुविधा होगी। नदियों के किनारे पहला पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन होगा मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल के मुताबिक वरुणा किनारे ई-आरटीएस का संचालन देश में नदी किनारे का पहला ट्रांसपोर्टेशन होगा। अभी तक कहीं भी नदियों के किनारे यातायात की व्यवस्था नहीं है।लाइट मेट्रो व रोप-वे की तलाशी जा रही फीजिबिलिटी शहर के यातायात को बेहतर बनाने के लिए जिला प्रशासन मल्टी ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए कई तरीके ढूंढ़ रहा है। देसी-विदेशी कम्मनियों की मदद से लाइट मेट्रो और रोप-वे संचालन की संभावना तलाशी जा रही है। राइट्स लाइट मेट्रो के लिए डीपीआर भी तैयार कर रही है। उधर, जर्मन कम्पनी डोप्लर मेयर व फ्रांस की कम्पनी पोमा भी रोप-वे चलाने को लेकर प्री-फिजीबिलिटी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप चुकी है। जिस पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है।

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