Durga Puja Preparations in Varanasi Concerns Over Idol Immersion in Ganga बोले काशी - गंगा में विसर्जन नहीं तो बेहतर विकल्प सुझाए प्रशासन, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी - गंगा में विसर्जन नहीं तो बेहतर विकल्प सुझाए प्रशासन

Varanasi News - वाराणसी में दुर्गा पूजा की तैयारियाँ जोरशोर से चल रही हैं। पूजा समितियों ने प्रशासन से गंगा में मूर्तियों के विसर्जन के लिए बेहतर विकल्प सुझाने की मांग की है। वर्तमान में, प्रशासनिक प्रक्रियाएं और...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 15 Sep 2025 06:48 PM
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बोले काशी - गंगा में विसर्जन नहीं तो बेहतर विकल्प सुझाए प्रशासन

वाराणसी। शिवनगरी काशी में ‘जगत जननी के समवेत जयघोष यानी सार्वजनिक दुर्गोत्सव की तैयारियां तेज हो चली हैं। इसके साथ एक पुराना सवाल भी फिर से गंभीर है कि गंगा में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं तो फिर कहां? दुर्गा पूजा समितियों का कहना है कि विसर्जन के लिए प्रशासन बेहतर विकल्प सुझाए। मौजूदा विकल्प गले नहीं उतर रहे हैं। पूजनोत्सव अनुमति की जटिल प्रक्रिया, पुलिस, फायर ब्रिगेड समेत कुछ विभागों की ओर से अनावश्यक दबाव, सड़क और सफाई की असंतोषजनक स्थिति को भी समितियां गंभीर चुनौती मान रही हैं। अध्यात्म की धुरी काशी दुनिया की इकलौती नगरी है जहां साधना और उपासना की सभी पद्धतियों के सभी अंग अपने उपांगों के साथ मौजूद हैं।

इसीलिए सनातन परंपरा से इतर भी कई ‘फकीर और सेंट को यह नगरी ‘परवरदिगार और ऑल माईटी गॉड से साक्षात्कार के लिए मुफीद जगह महसूस हुई। वहीं, काशी इसलिए विशिष्ट है क्योंकि शैव-शाक्त और वैष्णव परंपरा से जुड़े पर्व उत्सव के रूप में जन-जन के हार हैं। उस जीवंत परंपरा के अभिन्न अंग-दुर्गोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। पूजन पंडाल सज रहे हैं, शिल्पधामों में प्रतिमाओं के साज-शृंगार चल रहे हैं। इन सबके बीच आयोजकों के तनाव भी बढ़ रहे हैं। ‘हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के नेतृत्व में जुटे विभिन्न समितियों के पदाधिकारियों ने उन समस्याओं की ओर ध्यान खींचा जिनसे वे बीते दो-तीन वर्षों से जूझते आ रहे हैं। बताया भी कि कैसे उन्हें राहत मिल सकती है और दुर्गा पूजन के दौरान माहौल हर्ष और उल्लास से ओतप्रोत रहेगा। केन्द्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष तिलकराज मिश्रा, वाराणसी दुर्गोत्सव सम्मिलिनी के तरुण कुमार मुखर्जी ने कहा कि हम गंगा में प्रतिमाओं के विसर्जन की पुरानी मांग पर अडिग हैं। शांतिपूर्ण ढंग से यह मांग करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि जब प्रतिमाओं का निर्माण ईको फेंडली तरीकों से हो रहा है, उनकी साज-सज्जा में लगने वाली सामग्रियां और कलर भी पर्यावरण के अनुकूल हैं तो फिर मां गंगा की गोद में विसर्जन में आपत्ति क्यों होनी चाहिए? सनातन धर्म दुर्गा पूजन समिति के सूरज जायसवाल की इस बात का सभी ने समर्थन किया कि प्रवाहमान या बहते जल में ही प्रतिमाओं का विसर्जन सनातन धर्म की परंपरा के अनुकूल है। पदाधिकारियों ने कहा कि परंपरा के नाम पर हम अशांति नहीं फैलाएंगे मगर प्रशासन की अनदेखी से क्षोभ है। ईगल क्लब, जंगमबाड़ी के रवि पाल ने कहा कि बहुत भारी मन से हम सभी मां की प्रतिमा शहर के कुंड-तालाबों में विसर्जित करते हैं। जलकल परिसर में बने तालाब के अलावा लक्ष्मीकुंड और शंकुलधारा तालाब का उदाहरण देते हुए कहा कि अभी गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ है। आप खुद वहां देख लें, प्रतिमाएं किस हाल में पड़ी हैं। बोले, वर्षों से मां की पूजा करने वाले पूरे आयोजन से भावनात्मक रूप से भी जुड़े होते हैं, प्रतिमाओं की दुर्दशा देख उन्हें बेहद कष्ट होता है। यह बात प्रशासनिक अफसरों को समझनी चाहिए। तेज धारा में क्या दिक्कत बाबा मछोदरा नाथ दुर्गा पूजा समिति के महामंत्री सचिन यादव ने कहा कि इन दिनों और आगे दशहरा के बाद तक गंगा की जलधारा काफी वेग में रहती है। फिर, अभी बाढ़ का असर भी रहेगा। इस तेज धारा में प्रतिमाएं गंगा घाटों के सामने रुकेंगी ही नहीं तो प्रदूषण की समस्या कैसे पैदा होगी? उन्होंने कहा कि शहर के कुंड-तालाबों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। कहीं सीवर लाइन जोड़ दी गई है तो कई जगह कचरे से तालाब पटे पड़े हैं। मछोदरी समेत कई तालाब इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। उपाध्यक्ष आशुतोष यादव बोले, नगर निगम और प्रशासन उन तालाबों की दशा सुधारने की सालभर फिक्र नहीं करता। ऐन समय समितियों को उनकी गंदगी में विसर्जन के लिए मजबूर किया जाता है। एनजीटी खुद कराए परीक्षण-निरीक्षण केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के विधिक सलाहकार एवं काशी की सबसे प्राचीन वाराणसी दुर्गोत्सव सम्मिलिनी के प्रतिनिधि तरुण कुमार मुखर्जी ने बताया कि आठ-नौ वर्षों से हम गंगा में विसर्जन पर प्रतिबंध झेल रहे हैं। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक अपील की गई है। उनके मुताबिक, यह प्रतिबंध नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या राष्ट्रीय हरित पंचाट ने लगाया है तो उसे अपने प्रतिनिधियों के जरिए यहां वस्तुस्थिति का निरीक्षण एवं परीक्षण कराना चाहिए कि गंगाजल प्रदूषण की असल वजह क्या हैं और क्या वास्तव में मिट्टी से बनीं डेढ़-दो सौ प्रतिमाओं के विसर्जन से प्रदूषण बढ़ जाएगा? गोल्डन स्पोर्टिंग क्लब के अमर बोस, भारतेंदु क्लब के प्रशांत शर्मा बोल पड़े- ‘एक दर्जन से अधिक नालों से डिस्चार्ज हो रहे सैकड़ों एमएलडी मलजल से क्या गंगा प्रदूषित नहीं हो रही हैं? यह किसी से छिपी बात नहीं है। मूर्तियों को डिप करने विकल्प श्रीश्री बाबा गैबीनाथ युवा स्पोर्टिंग क्लब, बड़ी गैबी के अध्यक्ष सोनू बिंद ने कहा कोलकाता की तर्ज पर यहां भी गंगा में मूर्तियों को डिप करके बाहर निकाल लिया जा सकता है। बताया कि कोलकत्ता में मूर्ति विर्सजन के लिए गंगा में बड़ा घेरा बना दिया जाता है। इस विकल्प पर प्रशासन को विचार करना चाहिए। बोले, हम काशी के लोग भी गंगा की सेहत के लिए उतने ही चिंतित हैं, जितने एनजीटी और शासन-प्रशासन के अफसर। कृत्रिम जलाशय का विकल्प हवा में तिलकराज मिश्रा, गोल्डन स्पोर्टिंग के अमर बोस, तरुण क्लब, पहड़िया के अध्यक्ष बलराम सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष महापौर अशोक कुमार तिवारी ने कृत्रिम जलाशयों में प्रतिमा विसर्जन का विकल्प रखा, उस पर चर्चा भी हुई मगर ठोस पहल नहीं हुई। इस संबंध में उनका ध्यान भी दिलाया गया। पदाधिकारियों ने कहा कि कृत्रिम जलाशय की रूपरेखा भी सामने नहीं आई जिस पर विचार होता। इस साल भी कोई चर्चा नहीं हुई। सिंगल विंडो सिस्टम बने चर्चा में शामिल सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर से कहा कि हर साल सार्वजनिक पूजन के लिए अनुमति लेने की बाध्यता बहुत परेशानी तलब है। फिर, इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि आयोजकों को दिन में तारे दिखने लगते हैं। रवि पाल, राकेश केसरी, श्रवण यादव ने कहा कि वर्षों पुरानी परंपरा को बनाए रखने का दबाव न रहता तो कई आयोजक अब तक पूजन से किनारा कर चुके होते। उनके मुताबिक, फायर ब्रिगेड-बिजली विभागों से अनुमति लेने के लिए दौड़ाया जाता है तो स्वागत द्वार बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी भी नोटिस भेज देता है। यहां तक कि आयोजन में सहयोगी किसी कंपनी का बैनर लगाने पर नगर निगम का विज्ञापन विभाग भी नोटिस तामीला कराने पहुंच जाता है। तिलकराज मिश्रा ने कहा कि जब ज्यादातर समितियां वर्षों से पूजन कराती आ रही हैं और प्रशासन के पास उनका विवरण भी रहता है तो हर साल अनुमति की बाध्यता क्यों? बोले, इन दिक्कत से बचने के लिए प्रशासन को सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था करनी चाहिए। बिजली कनेक्शन की जद्दोजहद पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष ने दुर्गा पूजा पंडालों को आसानी से बिजली कनेक्शन देने का भले ही निर्देश जारी कर दिया हो मगर आयोजकों की परेशानियां बरकरार हैं। हथुआ मार्केट स्थित प्रीमियर ब्वायज क्लब के संजय गुप्ता, जगतगंज के विजेता स्पोर्टिंग क्लब के पुनीत जायसवाल ने बताया कि वे पिछले दो वर्षों से जनरेटरों के जरिए रोशनी का इंतजाम कर रहे हैं क्योंकि कनेक्शन लेने की पेचीदगियों से वे पार नहीं पा सके। कबीर दुर्गापूजा समिति, पिपलानी कटरा के रवि विश्वकर्मा ने कहा कि कनेक्शन के लिए ऑनलाइन आवेदन और उसके साथ 80 हजार रुपये बतौर गारंटी मनी जमा करने की बाध्यता से परेशानी बढ़ गई है। हर थानेदार-चौकी इंचार्ज के अपने नियम सार्वजनिक दुर्गा पूजन समितियों के पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि शहर में पूजन के दौरान व्यवस्था नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन को एक समान नियम बनाने चाहिए। आशुतोष यादव, मुकेश जायसवाल, गौरव अग्रहरि ने ध्यान दिलाया कि हर साल प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारी नवरात्र के 10 दिन पहले सभी समितियों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करते रहे हैं। उस बैठक में व्यवस्था संबंधी दिशानिर्देश जारी होते हैं। पदाधिकारियों के मुताबिक इस बार अभी बैठक की सूचना नहीं आई है। बताया कि पिछले वर्ष से सभी थाना प्रभारी और उनके मातहत चौकी इंचार्ज अपने-अपने क्षेत्रों में अलग-अलग नियम लागू करा रहे हैं। उत्पीड़न की सीमा तक दबाव बनाया जाता है। तिलकराज मिश्रा ने कहा कि पूरे शहर के लिए एक समान नियम क्यों नहीं बनाया जाता? खुफिया कैमरों का दबाव क्यों दुर्गा पूजा समितियों के पदाधिकारियों ने बताया कि हर वर्ष प्रशासन सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए बहुत दबाव बनाता है। अनेक समितियां महंगे कैमरे लगवा पाने में समर्थ नहीं है। आयोजन का खर्च बढ़ने से वे यूं ही भारी आर्थिक दबाव में रहती हैं। तरुण कुमार मुखर्जी, पुरुषोत्तम पंड्या, सोनू बिंद, हिमांशु यादव ने कहा कि पंडालों के अंदर और उनके बाहर प्रशासन को ही सीसी कैमरे लगवाने चाहिए। पर्याप्त सुरक्षा न सहयोग सार्वजनिक दुर्गा पूजन को भव्य आकर्षक एवं यादगार बनाने में आयोजक और उनकी टीम की महीनों की मेहनत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। प्रीमियर ब्वायज क्लब के संजय गुप्ता, बाबा मछोदरा नाथ पूजन समिति के उपाध्यक्ष आशुतोष यादव ने कहा कि न तो प्रशासन और न ही पुलिस का अपेक्षित सहयोग मिलता है, न सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए जाते हैं। उनकी बातों से सहमति जताते हुए श्रीदुर्गापूजा समिति, मिनी स्टेडियम-शिवपुर के राकेश गुप्ता, धार्मिक आयोजन सेवा समिति, लालजी कुआं, शिवपुर के राकेश केशरी ने अनुभव साझा किया कि किस तरह गत वर्ष विसर्जन के दौरान दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं। इन पदाधिकारियों के मुताबिक, पंडालों में महिला और पुरुष पुलिस की पर्याप्त तैनाती होनी चाहिए। पंडालों के बाहर भीड़ एवं ट्रैफिक नियंत्रण की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन को उठानी चाहिए। अमर बोस ने कहा कि कई बार अराजक तत्वों के चलते असहज स्थिति हो जाती है। चंदा में कमी, सामग्रियों के दाम बढ़े शहर की सभी छोटी-बड़ी समितियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि गत चार-पांच वर्षों के दौरान दुर्गा पूजनोत्सव के खर्च में काफी बढ़ोतरी हो गई है जबकि चंदा से मिलने वाली राशि में कमी आई है। इससे आर्थिक दबाव बढ़ा है। बताया कि प्रतिमा से लेकर पंडाल निर्माण, साज-सजावट और पूजन की सामग्रियों के दाम, मजदूरों का मेहनताना लगातार बढ़ता जा रहा है। रवि विश्वकर्मा ने कहा कि कई मदों में कटौती की जा सकती है मगर कारीगरों एवं श्रमिकों के पारिश्रमिक में कटौती नहीं हो सकती क्योंकि हर साल उन्हीं से काम कराना पड़ता है। पंडाल का रास्ता बाधित तरुण क्लब, पहड़िया की ओर से सन-1984 से फल-सब्जी मंडी परिसर से सटकर दुर्गा पूजनोत्सव होता आ रहा है। क्लब के अध्यक्ष बलराम सिंह, गौरव सिंह, शिवम मौर्य ने बताया कि इस वर्ष मंडी परिषद ने पीछे का रास्ता बंद कर दिया है। इससे मोहल्ले और आसपास के लोग पंडाल में नहीं आ पाएंगे। इससे मोहल्ले में भी नाराजगी है। क्लब ने प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ, सरकार के राज्यमंत्री रवीन्द्र जायसवाल से आग्रह किया है कि पूजन के 10 दिनों के दौरान वैकल्पिक रास्ता दिलवा दिया जाए ताकि पूजन बाधित न हो। उन्होंने कहा कि यदि सुरक्षा का हवाला देते हुए मंडी परिषद ने रास्ता बंद किया है तो उसके परिसर से दूसरे मोहल्ले के लिए रास्ता खुला है जिससे लोगों को बेरोकटोक आवागमन होता है। इन समितियों की रही उपस्थिति तरुण क्लब, दौलतपुर पहड़िया, बाबा मच्छोदरानाथ दुर्गा पूजा समिति मच्छोदरी पार्क, प्रिंस क्लब हरि नगर लहरतारा, गोल्डन स्पोर्टिंग क्लब-बंगाली टोला, जनजागरण दुर्गात्सव समिति नक्खीघाट, वाराणसी दुर्गात्सव सम्मिलिनी पाण्डे हवेली, हमारे घर की मां दुर्गा पूजा समिति खजुरी, श्रीश्री बाबा गैबीनाथ युवा स्पोर्टिंग क्लब, बड़ी गैबी, रामलीला कमेटी जैतपुरा, भारतेंदु स्पोर्टिंग क्लब लोहटिया, प्रीमियर ब्याज क्लब हथुआ मार्केट, सार्वजनिक दुर्गात्सव समिति टाउनहॉल, सनातन धर्म दुर्गा पूजा नई सड़क, श्रीदुर्गा पूजा समिति मिनी स्टेडियम शिवपुर, धार्मिक आयोजन सेवा समिति-लालजी कुआं शिवपुर, केंद्रीय पूजा समिति राजघाट, जय माता दी स्पोर्टिंग क्लब-अर्दली बाजार, कबीर दुर्गा समिति पिपलानी कटरा, विजेता क्लब स्पोर्ट जंगतगज और ईगल क्लब जगमवाड़ी। हमारी बात सुनें 1.वॉटर प्यूरीफायर प्रक्रिया के तहत बनने वाली मूर्तियों के गंगा में विसर्जन पर क्यों रोक लगनी चाहिए? -तरुण कुमार मुखर्जी 2. एनजीटी परीक्षण करा ले काशी में और अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। सनातन संस्कृति पर हमला बंद हो। -तिलकराज मिश्रा 3. अब इक्रोफ्रेंडली मूर्तियां बन रही हैं। इससे गंगाजल, पर्यावरण को कोई हानि नहीं हो सकती। -बलराम सिंह 4. दुर्गापूजा के दौरान स्थानीय पुलिस मनमानी करती है। सुरक्षा न सहयोग, बहुत तनाव रहता है। -सचिन यादव 5. टाउनहॉल में 10 दिनों की पूजा के लिए स्मार्ट सिटी पांच लाख रुपये मांग रही है। यह अन्याय है। -पुरुषोत्तम पंड्या 6. अराजकतत्वों के कारण समितियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पूजा बंद करने की स्थिति है। -अमर बोस 7. आयोजन की हर साल अनुमति, बिजली एवं फायर ब्रिगेड से एनओसी लेने में बहुत दिक्कतें होती हैं । - संजय गुप्ता 8. चौकी इंचार्जों-थाना प्रभारियों का व्यवहार सही नहीं रहता। कई बार अपमानित होना पड़ता है। -सूरज जायसवाल 9. पंडालों के अंदर-बाहर भीड़ एवं ट्रैफिक नियंत्रण की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन को उठानी चाहिए। -राकेश कुमार गुप्ता 10. गंगा का बेहतर विकल्प नहीं ढूंढ़ सका है नगर निगम। कृत्रिम जलाशय की बात हवा में ही रह गई। - पुरुषोत्तम पण्ड्या 11. शहर के कुंड-तालाब इतने गंदे हैं कि उनमें विसर्जन से मन बिदक जाता है। हम अपमानित महसूस करते हैं। -राकेश केसरी 12. गंगा में प्रवाह तेज में मूर्तियां आसानी के साथ बह जाएंगी। उनसे कोई समस्या नहीं होगी। -रवि पाल 13. दुर्गापूजन के दौरान बनारस की संस्कृति को समझने वाले अफसरों की तैनाती होनी चाहिए। -हिमांशु यादव 14. कई जगहों पर विसर्जन के आधे घंटे बाद ही मूर्ति निकाल कर उन्हें होलिका के साथ दहन किया जाता है। -रवि विश्वकर्मा सुझाव और शिकायतें सुझाव -प्रशासन-शासन गंगा में विसर्जन न करने का बेहतर एवं सर्वमान्य विकल्प सुझाए। ईको फ्रेंडली मूर्तियों से गंगा में प्रदूषण बढ़ने का ठोस आधार बताया जाए। -शहर के सभी दुर्गा पूजन आयोजन की अनुमति से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया जाए। -कमिश्नरेट पुलिस पूरे शहर के लिए कानून-व्यवस्था से संबंधित एक और सर्वमान्य नियम लागू करवाए। थानावार नियम न थोपे जाएं -पंडालों के अंदर-बाहर महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मियों की पर्याप्त तैनाती हो। ट्रैफिक नियंत्रण भी पुलिस ही करे। सीसी कैमरे प्रशासन ही लगवाए। -आयोजन स्थल एवं उनके आसपास सड़क-सफाई समेत दूसरे जरूरी इंतजाम समय से पहले किए जाएं। शिकायतें 1. गंदगी से पटे कुंड-तालाबों में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन लोगों के मन को आहत करता है। प्रतिमाओं की बहुत बेकदरी होती है। 2. आयोजन के लिए हर साल अनुमति एवं दूसरी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए बहुत भागदौड़ करनी पड़ती है। आयोजकों को परेशान भी किया जाता है। 3. प्रशासन सभी पूजा समितियों की एक साथ बैठक नहीं बुलाता। कोई भी निर्देश जारी करने के पूर्व व्यावहारिक दिक्कतों का ध्यान नहीं रखा जाता। 4. पूजा पंडालों के अंदर और बाहर महिला पुलिस की तैनाती नहीं होती। इससे बहुत दिक्कतें होती हैं। ट्रैफिक नियंत्रण की भी जिम्मेदारी थोप दी जाती है। 5. दुर्गा पूजा के दौरान अराजक तत्वों पर लगाम के लिए ठोस उपाय नहीं किए जाते। अप्रिय घटना होने की जवाबदेही आयोजकों पर ही लाद दी जाती है।

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