ध्रुपद मेला: देश के कई चर्चित कलाकारों ने सांझा किया मंच
ध्रुपद तीर्थ तुलसीघाट पर आयोजित 44वें ध्रुपद मेला के द्वितीय चरण का शुभारंभ युवा कलाकार सुश्री मिलन उपाध्याय के गायन से हुआ। इस निशा में देश के कई चर्चित ध्रुपद कलाकारों ने गायन और वादन की...
ध्रुपद तीर्थ तुलसीघाट पर आयोजित 44वें ध्रुपद मेला के द्वितीय चरण का शुभारंभ युवा कलाकार सुश्री मिलन उपाध्याय के गायन से हुआ। इस निशा में देश के कई चर्चित ध्रुपद कलाकारों ने गायन और वादन की प्रस्तुति दी।
मिलन ने गायन का आरंभ राग बागेश्री में आलाप के साथ चौताल में निबद्ध रचना से किया। उन्होंने गायन को राग अड़ाना में सूल ताल में निबद्ध रचना ‘बोल थे जय जय महादेव’ से विराम दिया। सुश्री मिलन उपाध्याय के साथ पखावज पर उनकी छोटी बहन महिमा उपाध्याय की एवं हारमोनियम पर पं जमुना वल्लभ गुजराती ने संगत की।
दूसरी निशा की दूसरी प्रस्तुति लेकर काशी के लोकप्रिय पखावज वादक पं. रविशंकर उपाध्याय मंचासीन हुए। स्वतंत्र पखावज वादन की शुरुआत उन्होंने अपने घराने की परंपरागत परन से की। तीसरी प्रस्तुति डॉ.ऋत्विक सान्याल का गायन थी। उन्होंने आरम्भ राग भिन्नेश्वरी में आलापचारी क़े साथ चौताल में निबद्ध रचना से की। उनके साथ पखावज पर जापान के तेश्या कन्हाईको एवं काशी के अंकित पारिख ने संगत की।
इससे पूर्व प्रथम निशा में अर्धरात्रि के बाद पं डालचंद्र का स्वतंत्र पखावज हुआ। इसके उपरांत जापान की सुश्री मैरिको कतसूरा का गायन हुआ। मैरिको ने गायन का आरम्भ राग जोग में आलाप के साथ चौताल में निबद्ध रचना से व समापन तिवरा ताल में निबद्ध रचना से किया। अगली प्रस्तुति विख्यात कलाकार पं. चेतन जोशी का बांसुरी वादन थी। उन्होंने राग चरुकेशी में चौताल में निबद्ध रचना से शुरुआत की।
दक्षिण अफ्रीका से आयीं अरुंधति दाते ने अपने गायन से देशी-विदेशी श्रोताओं को आनंदित किया। उनके साथ पखावज पर दिल्ली के पं. मोहन श्याम शर्मा ने किया। इस क्रम को गोरखपुर से आए मैहर घराने के कलाकार पं शिवदास चक्रवर्ती ने सरोद वादन से आगे बढ़ाया। पखावज पर राजकुमार झा ने संगत की। प्रथम निशा की समापन पूर्व प्रस्तुति पं. मनोज सर्राफ की थी। इस निशा की अंतिम प्रस्तुति कोलकाता के वरिष्ठ कलाकार पं देवाशीष मुखोपाध्याय का गायन थी।