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अस्सी घाट पर 17 सितंबर को सजेगी अभंग गायकों की सभा

भगवान विष्णु के अवतार बिट्ठलनाथ की भावुक भक्ति की प्रतीक अभंग वाणी की परंपरा संत ज्ञानदेव, संत नामदेव, संत एकनाथ, संत तुकाराम, समर्थ रामदास से होते हुए मुंबई के सुरसाधकों की संस्था ‘पंचम निषाद के...

अस्सी घाट पर 17 सितंबर को सजेगी अभंग गायकों की सभा
हिन्दुस्तान टीम,वाराणसीFri, 16 Nov 2018 07:12 PM
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भगवान विष्णु के अवतार बिट्ठलनाथ की भावुक भक्ति की प्रतीक अभंग वाणी की परंपरा संत ज्ञानदेव, संत नामदेव, संत एकनाथ, संत तुकाराम, समर्थ रामदास से होते हुए मुंबई के सुरसाधकों की संस्था ‘पंचम निषाद के माध्यम से काशी आ पहुंची है। सदियों लंबी इस यात्रा के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पड़ाव काशी में 17 नवंबर को अस्सी घाट पर होने वाले कार्यक्रम को ‘बोलावा बिट्ठल नाम दिया गया है। कार्यक्रम शाम छह बजे से शुरू होगा।

यह जानकारी पद्मभूषण पं. सीआर व्यास के सुपुत्र पं. शशि व्यास ने शुक्रवार को मलदहिया स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में दी। उन्होंने बताया कि अभंग वाणी गायन की परंपरा की जड़ें नि:संदेश महाराष्ट्र में विकसित हुईं किंतु कर्नाटक शैली के शास्त्रीय गायकों का भी इस विधा को जनजन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान है। इसे ध्यान में रखते हुए पंचम निषाद ने तय किया कि ‘बोलावा बिट्ठल के काशी संस्करण में उत्तर और दक्षिण भारतीय गायन शैली के कलाकार भी अपनी प्रस्तुतियां देंगे। मूनलाईट पिक्चर्स के विशेष सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत काशी की सुपरिचित गायिका डा. रेवती साकलकर के मंगलाचरण से होगी। अभंग वाणी गायन का श्रीगणेश गजर(संकीर्तन) से होता है जिसमें सभी कलाकार समवेत स्वर में ‘जय जय राम कृष्ण हरि का गान करते हैं।

बनारस में प्रस्तुति देने आए कलाकार भी पत्रकारों से रुबरू हुए। कर्नाटक शैली की गायिका और वायलनिस्ट रंजनी एवं गायत्री बहनों ने काशी पर लिखी गई अति प्राचीन अभंग रचना ‘काशी क्षेत्र निवासी... बाबा विश्वनाथ के दरबार में गाने की मंशा व्यक्त की। किराना घराने के गायक पं. जयतीर्थ मेवुंडी ‘बोलावा बिट्ठल के प्रमुख आकर्षण होंगे।

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