संपत्ति की बिक्री के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी शुल्क में बदलाव
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। स्टांप तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन विभाग के मंत्री रविंद्र...
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता।
स्टांप तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन विभाग के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने सर्किट हाउस में शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि सुबह में पावर ऑफ अटार्नी यानी मुख्तारनामा के स्टांप शुल्क में बदलाव किया गया है। ताकि राजस्व वृद्धि हो सके, भ्रष्टाचार पर लगाम लगे और संपत्ति के असली मालिक को किसी तरीके का आर्थिक नुकसान सहना पड़े। खासतौर से संपत्ति की बिक्री से संबंधित पावर ऑफ अटॉर्नी में बदलाव किया गया है।
बताया कि संपत्ति बिक्री के लिए परिवार के संबंधियों के बीच मुख्तारनामा की दशा में स्टाम्प शुल्क को अधिकतम 5000 मात्र रखा गया है। जबकि किसी बाहरी व्यक्ति को अगर जमीन या मकान बिक्री का अटॉर्नी देते हैं तब यह स्टांप शुल्क सर्किल रेट के बराबर होगा। बताया नहीं देश के पश्चिम जिलों में बिल्डर किसानों से पूर्व निर्धारित शुल्क महज 50 रुपए के स्टांप पर एग्रीमेंट कराकर उनकी जमीन की अटॉर्नी लेकर बेचते थे। किसानों से अटॉर्नी के नाम पर कुछ लाख रूपये में जमीन का सट्टा करा लेते थे। बिल्डर वही जमीन दूसरों को प्लाटिंग करके महंगे दर पर बेच रहे थे। इससे राजस्व की चोरी हो रही थी। अब सर्किल रेट जितना स्टांप शुल्क देकर रजिस्ट्री करानी होगी।
पूर्व की व्यवस्था में बिल्डर किसी को प्लाट या मकान बेचते समय रजिस्ट्री किसान के जरिए करते थे इससे आयकर विभाग के नोटिस बिल्डर को ना जाकर किसानों को जाती थी। इसमें किसान या मकान स्वामी परेशान होते थे। नई व्यवस्था में इस तरह की नोटिस किसानों तक नहीं जाएगी।