Challenges for Traders in Varanasi Due to New Online Weighing System बोले काशी - ऑनलाइन सिस्टम से टूट न जाए ‘वजन का सटीक पैमाना, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी - ऑनलाइन सिस्टम से टूट न जाए ‘वजन का सटीक पैमाना

Varanasi News - वाराणसी में व्यापारियों और बाट-माप मरम्मतकर्ताओं ने ऑनलाइन सत्यापन प्रणाली के कारण गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नए ओटीपी आधारित सिस्टम से व्यापारियों की रोजी-रोटी पर खतरा मंडरा रहा है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 21 Sep 2025 07:40 PM
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बोले काशी - ऑनलाइन सिस्टम से टूट न जाए ‘वजन का सटीक पैमाना

वाराणसी। बाट-माप मरम्मतकर्ता और व्यापारियों ने अपने जीवन का आधे से भी अधिक हिस्सा अपने काम को दे दिया। समय के साथ कई नियमों में बदलाव भी झेल गए। इस काम से जुड़े कम-पढ़े लिखे लोगों की भी रोजी-रोटी आराम से चल रही थी। अब बाट-माप विभाग ने ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी है। सिस्टम ओटोपी आधारित हो गया है। यह व्यवस्था ऑफलाइन काम के अभ्यस्त एवं कम शिक्षित लोगों के लिए संकट बन गई है जबकि व्यापारी अपने व्यवसाय को लेकर चिंतित हैं। सभी दोनों व्यवस्थाएं चाहते हैं। बाट-माप विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक कांटे का ऑनलाइन सत्यापन शुरू किया है। इससे व्यापारियों और मरम्मतकर्ताओं के सामने कई दिक्कतें आ गईं हैं।

उन्हें व्यवसाय चलाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था पर निर्भर होना पड़ रहा है। उनका कहना है कि ऑनलाइन व्यवस्था में व्यापारियों और मरम्मतकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। वरुणा के शास्त्री घाट पर जुटे बाट-माप मरम्मतकर्ता वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में अपनी पीड़ा बताई। प्रदेश अध्यक्ष सुनील उपाध्याय ने कहा कि पहले कांटे का परीक्षण विभाग स्थल पर करता था। फिर सत्यापन प्रमाणपत्र दिया जाता था। अब यह पद्धति लगभग समाप्त कर दी गई है। इसके विरोध में पूरे प्रदेश के व्यापारी एक सितंबर से हड़ताल पर हैं। बोले, बाट-माप विभाग द्वारा बिना परीक्षण के सीधे सत्यापन का निर्णय बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। इसके जरिए घटतौली की आशंका बढ़ जाती है। यह निर्णय उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। उपभोक्ताओं को गलत और घटिया उत्पादों की ओर धकेला जा रहा है। संरक्षक चंद्रशेखर सिंह ने कहा, बिना परीक्षण के सत्यापन से यह सुनिश्चित नहीं होता कि उत्पाद सही मात्रा और गुणवत्ता का है। इससे उपभोक्ताओं को गलत उत्पाद मिल जाता है। उन्हें इसकी जानकारी नहीं हो पाती। इसके अलावा यह निर्णय व्यापारियों को भी प्रभावित कर रहा है, क्योंकि उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा की जांच के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ रहे हैं। धोखाधड़ी का शिकार होने से बचें मंजीत ने विशेषज्ञों के हवाले कहा कि इलेक्ट्रॉनिक कांटे में लीटर और किलो दोनों मोड होने से उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाती है। व्यापारी उपभोक्ताओं को धोखा देने के लिए एक ही कांटे में दोनों विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं। प्रदीप सिंह ने उदाहरण से समझाया कि यदि कोई व्यापारी एक लीटर दूध को किलो में बेचना चाहता है, तो वह उपभोक्ता को किलो में दिखा सकता है। कृष्णकांत ओझा ने कहा, उपभोक्ता को लगता है कि उसे सही मात्रा में दूध मिल रहा है लेकिन वास्तव में कम मात्रा में दूध मिलता है और पैसे अधिक देने पड़ते हैं। इस समस्या को रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कांटे में लीटर और किलो दोनों मोड नहीं होने चाहिए। बैजनाथ यादव ने कहा कि व्यापारियों को अलग-अलग कांटे का उपयोग करना चाहिए, जो केवल एक ही मोड में काम करते हैं। बोले, उपभोक्ताओं को सही मात्रा में उत्पाद मिल रहा है या नहीं, इसके लिए कैलिब्रेशन परीक्षण बेहद जरूरी है। यह परीक्षण सुनिश्चित करता है कि इलेक्ट्रॉनिक कांटे सही ढंग से काम कर रहे हैं या नहीं। ऑनलाइन प्रक्रिया कब तक बबलू खान और विजय केशरी के मुताबिक व्यापारी और उपभोक्ता दोनों ही मानते हैं कि केवल ऑनलाइन प्रक्रिया पर्याप्त नहीं है। व्यापारियों को ऑनलाइन प्रक्रिया में इंटरनेट कनेक्शन और ऑनलाइन भुगतान की समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। ये व्यवसाय संचालन में कठिनाई पैदा करती हैं, नुकसान पहुंचाती हैं। सुरेन्द्र राय ने कहा कि उपभोक्ताओं को भी ऑनलाइन प्रक्रिया में परेशानी होती है। जैसे-उत्पादों की गुणवत्ता, मात्रा की जांच में कठिनाई आदि। दोनों पक्षों की सुविधा, हितों को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों व्यवस्था समान रूप से लागू होनी चाहिए। इससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकेगा। सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी हो राजकुमार ने कहा सत्यापन की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सार्वजनिक होनी चाहिए, ताकि न व्यापारी परेशान हों और न उपभोक्ता को घटतौली का सामना करना पड़े। आजकल यह प्रक्रिया इतनी जटिल हो गई है कि व्यापारी और उपभोक्ता दोनों परेशान हैं। पिंटू जायसवाल ने कहा कि व्यापारियों को सत्यापन के दौरान दस्तावेजों की जांच, फीस भुगतान और समय लेने वाली प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। उपभोक्ताओं को भी कई असुविधाएं झेलनी पड़ती हैं। इनमें बड़ी समस्या घटतौली की है। ओटीपी सिस्टम से भय संतोष सिंह ने कहा कि कांटा सत्यापन की प्रक्रिया में बाट-माप विभाग ने ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी है, लेकिन ओटीपी आधारित इस सिस्टम ने व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है। व्यापारी समुदाय में ओटीपी को लेकर डर और असमंजस है। ओटीपी के माध्यम से व्यापारियों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक डेटा की सुरक्षा खतरे में है। धीरेन्द्र पांडेय ने कहा कि बाट-माप विभाग को ओटीपी आधारित सिस्टम की सुरक्षा बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। इससे व्यवसाय चलाने में आसानी होगी। व्यक्तिगत और व्यावसायिक डेटा की सुरक्षा भी हो सकेगी। सैंकड़ों की रोजी पर खतरा व्यापारी जगदीश अग्रहरी ने बताया कि भारत में मीट्रिक प्रणाली के लिए भारत मानक अधिनियम सन् 1956 में बना। इसे 1958 में जारी किया गया। तौलने की पुरानी पद्धति हटाने और मीट्रिक प्रणाली को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया गया। नए स्वरूप में नाप तौल के अनुपालन में विभाग का नाम बाट-माप विभाग से बदलकर विधिक माप विज्ञान के रूप में पूरे देश में प्रचलित हो गया। सन् 1960 से कांटा बाट-माप तौल सामग्री का निर्माण और विक्रय के लिए विभाग ने लाइसेंस जारी करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि आज मेरी उम्र 67 वर्ष हो गई है। मेरा आधा जीवन इस कार्य में गुजर गया। विभाग के अधिकारियों से अनुरोध है कि ऑफलाइन कार्य बंद न करें। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया जारी रखें। ऑनलाइन प्रक्रिया से सैकड़ों लाइसेंसधारकों की रोजी-रोटी बंद हो सकती है। पेंशन-बीमा सुविधा की दरकार जगदीश अग्रहरी ने बताया कि चालू वर्ष में विधिक माप विज्ञान विभाग ने व्यापारी उपभोक्ता को सीधे विभाग से जुड़ने के लिए पोर्टल बनाया। मरम्मत कार्य करने वाले लाइसेंसी के काम- कांटा बांट की जांच,तौल एवं मरम्मत की जरूरत को विभाग ने नजरंदाज कर दिया। कहा कि लाइसेंसधारकों को पेंशन और बीमा जैसी सुविधाओं से वंचित रखा गया है। किसी लाइसेंसी के दुर्घटना का शिकार होने पर उसका परिवार लाचार हो जाएगा।

हमारी भी सुनें

1. ऑनलाइन और ओटीपी आधारित सिस्टम ने व्यापारियों की परेशानी बहुत बढ़ा दी है। -सुनील उपाध्याय

2. बिना परीक्षण किए सीधे सत्यापन रिपोर्ट देने से घटतौली की आशंका बढ़ जाती है। -चंद्रशेखर सिंह

3. ओटीपी सिस्टम लागू होने से व्यापारी परेशान हैं। उनमें डर और असमंजस की स्थिति रहती है। - मंजीत

4. विभाग की ओर से अब 50 किलो से अधिक की तौल मशीनों का सत्यापन बंद कर दिया गया है। -कृष्णकांत ओझा

5. ऑनलाइन सत्यापन व्यवस्था से कम पढ़े-लिखे लाइसेंसियों का व्यवसाय ठप हो जाएगा। परेशानी बढ़ी है। जगदीश अग्रहरी

6. मरम्मत का ऑफलाइन आर्डर बंद कर दिया गया है। शुल्क निर्धारण की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है। -प्रदीप सिंह

7. स्टॉक सत्यापन बंद होने से हम लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। -संतोष कुमार सिंह

8. इलेक्ट्रॉनिक कांटे में लीटर, किलो दोनों मोड नहीं होना चाहिए। इससे धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाती है। -बैजनाथ यादव

9. दोनों पक्षों की सुविधा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों व्यवस्था लागू करनी चाहिए। -धीरेन्द्र पांडेय

10. पहले स्थलीय परीक्षण कर सत्यापन प्रमाणपत्र दिया जाता था। उसे समाप्त करना व्यापारी हित में नहीं है। - बबलू खान

11. केवल ऑनलाइन व्यवस्था ठीक नहीं है। सुविधा और हित देखते हुए ऑफलाइन व्यवस्था भी चले। - विजय केशरी

12. ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है। इससे व्यापारियों को कठिनाई हो रही है। -सुरेंद्र राय

13. व्यापारियों को ग्राहकों की सेवा में कठिनाई हो रही है। उन्हें ट्रेडर आईडी बनाने में समय लग रहा है। - पिंटू जायसवाल

14. व्यापारी और मरम्मतकर्ता व्यवसाय चलाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था पर निर्भर हैं, लेकिन इसमें कई कमियां हैं। - अजीत मौर्या

सुझाव

1. मरम्मतकर्ता के ऑफलाइन आर्डर स्कैन कर ऑनलाइन में शामिल करने की व्यवस्था हो। यह व्यापारी और लाइसेंसी के लिए सुविधाजनक होगा। 2. विक्रेता के स्टॉक में सभी प्रकार की तौल मशीनों का सत्यापन पहले की भांति होना चाहिए। इससे मरम्मतकर्ताओं को सहूलियत मिलेगी। 3. विभाग को ट्रेडर आईडी के कार्य के लिए मरम्मतकर्ताओं का मानदेय निर्धारित करना चाहिए। इससे कई समस्याओं से राहत होगी। 4. ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन सत्यापन का भी विकल्प बेहद जरूरी है। कम पढ़े- लिखे मरम्मतकर्ताओं को राहत मिलेगी। 5. विभाग की ओर से उपभोक्ताओं, व्यापारियों और लाइसेंसियों के हित में प्रदत्त नियमावली का व्यवस्था से मिलान हो। ऑनलाइन सत्यापन पोर्टल बने।

शिकायतें

1. विभाग की ओर से स्टॉक में 50 किलो से अधिक की तौल मशीनों का सत्यापन बंद कर दिया गया है। 2. बाट मरम्मतकर्ताओं पर विभाग व्यापारियों की नि:शुल्क ट्रेडर आईडी बनाने का दबाव बनाता है। व्यापारी ओटीपी नहीं देते। 3. विभाग ने ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन सत्यापन के दौरान पोर्टल पर विभाग के पूर्व नियम मैच नहीं होते। 4- ऑनलाइन सत्यापन व्यवस्था से कम पढ़े-लिखे लाइसेंसियों का काम बंद हो जाएगा। व्यापारियों के समक्ष भी कठिनाई है। 5. मरम्मतकर्ताओं की ऑफलाइन आर्डर बुकिंग बंद कर दी गई है। इससे व्यापारियों के शुल्क और चार्ज निर्धारण की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है।

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