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बटुक भैरव में जल बिहार, अन्नपूर्णा मंदिर में हरियाली शृंगार

श्रावण पूर्णिमा पर नगर के कई मंदिरों में हरियाली शृंगार हुआ, जल विहार की झांकी सजी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव मना, अन्नपूर्णा मंदिर में हरियाली शृंगार किया गया। कमच्छा स्थित बटुक भैरव की...

बटुक भैरव में जल बिहार, अन्नपूर्णा मंदिर में हरियाली शृंगार
वाराणसी। प्रमुख संवाददाताMon, 27 Aug 2018 03:39 PM
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श्रावण पूर्णिमा पर नगर के कई मंदिरों में हरियाली शृंगार हुआ, जल विहार की झांकी सजी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव मना, अन्नपूर्णा मंदिर में हरियाली शृंगार किया गया। कमच्छा स्थित बटुक भैरव की जल विहार झांकी मुख्य आकर्षण रही। 

बाबा विश्वनाथ ने सपरिवार दिया दर्शन
प्राचीन परंपरा के अनुसार सावन पूर्णिमा को श्रीकाशी विश्वनाथ का झूलनोत्सव मनाया गया। बाबा विश्वनाथ ने झूले पर सपरिवार विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। विश्वनाथ, माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की रजत प्रतिमाएं शाही झूले पर महंत आवास से मंदिर प्रांगण में लाई गईं। वहां विग्रहों का पूजन हुआ। परंपरा के अनुसार सप्तऋषि आरती के बाद बाबा विश्वनाथ को सपरिवार झूला सहित गर्भगृह में विराजमान कराया गया। शिव का सपरिवार दर्शन पाकर भक्तगण निहाल होते रहे। मंदिर का पट बंद होने के समय रजत प्रतिमाओं को पुन: महंत आवास ले जाया गया।  

बटुक भैरव की गुफा में अमरनाथ की झांकी भी 
बाबा बटुक भैरव का दरबार भक्तों के लिए दोपहर बाद खुला। मंदिर तक पहुंचने के लिए बर्फ की गुफा बनी थी। गुफा को विविध प्रकार की पत्तियों और थर्मोकोल की आकृतियों से सजाया गया था। भक्तों को इस गुफा से गुजरते हुए बाबा अमरनाथ की भी झांकी के दर्शन हुए। जल से भरे गर्भगृह में कमल पुष्प सजाए गए। रविवार होने के कारण जल विहार झांकी के दर्शन का महत्व बढ़ गया था। बाबा ने भक्तों को अर्द्धचंद्र आसन पर विराजमान होकर दर्शन दिया। मंगला आरती के बाद उस्ताद अली अब्बास और साथियों ने शहनाई की मंगलध्वनि की। सायंकाल यूबी बैंड के बाल कलाकारों भवना याज्ञनिक, कुशाग्र कपूर, सुधांशु पांडेय, हर्ष गुर्जर, मानवेंद्र पांडेय और सक्षम गुर्जर ने भक्तिपूर्ण गीतों और भजनों की प्रस्तुति की। रात्रि में महंत राकेश पुरी ने 1008 बाती एवं सवा किलो कपूर से बाबा की आरती की। इस दौरान 51 भक्तों ने डमरुवादन किया।

अन्नपूर्णा दरबार में गूंजे भजन
श्रीकाशी अन्नपूर्णा मंदिर में प्रात:काल मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी ने मां की विशेष आरती की। मंदिर परिसर को सुंगधित पुष्पों, अशोक और कामिनी की पत्तियों से बखूबी सजाया गया। गर्भगृह में चौतरफा हरियाली दिखाई दे रही थी। सायंकाल भक्तों के दर्शन के लिए पट खुला। इस अवसर पर गीतकार कन्हैया दूबे केडी के संयोजन में प्रख्यात कलाकार भारत व्यास, डा. अमलेश शुक्ल, अर्चना म्हस्कर, स्नेहा अवस्थी ने भजनों जबकि रविशंकर और ममता टंडन ने कथक नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति की। उप शास्त्रीय गायिका अर्चना आदित्य म्हस्कर ने माता की आराधना करते हुए अम्बे तू दयानी खानी बड़ी वरदानी हो ,राग मल्हार में कजरी यशोदा तेरा भाग्य कहा ना जाय , भरत शर्मा व्यास ने अपना चर्चित देवी गीत निमिया के डारी मईया...लाले लाल मंदिर बा लाले रंग झंडा...जेकर राम ना बिगड़ी हे केहू का बिगाड़ी सहित अनेक देवी गीतों से माता का बखान किया। तबले पर बलराम मिश्र व दीपक सिंह, ढोलक पर नसीम, बैंजो पर पप्पू , ऑर्गन पर संतोष, पैड पर अनिल ने कुशल संगत की। 

झूले पर सजी राधा माधव की झांकी
दुर्गाकुंड स्थित त्रिदेव मंदिर में रविवार की शाम राणी सती श्याम सेवा ट्रस्ट ने जल विहार की झांकी सजाई। वृंदावन का फूल बंगला त्रिदेव मंदिर में साकार हुआ। झील के रंगबिरंगे फौव्वारों के बीच झूले पर राधा-माधव की झांकी सजाई गई। फूल बंगले से सजे परिसर में 20 फीट ऊंचे शिवलिंग के नीचे से भक्तों ने प्रवेश किया। तीनों देव विग्रहों को 56 भोग अर्पित किए गए। अनूप सराफ के नेतृत्व में भजन गूंजे। बर्फ की 300 सिल्लियों, 20000 पान की लड़ी, 2000 किलो कामिनी की पत्ती 500 किलो आरकिट  गुलाब की पंखुड़ियों तथा 500 किलो गेंदा के फूलों से मंदिर को सजाया गया था। सायंकाल भरत सराफ, गोविन्द केजरीवाल ने देवों की आरती उतारी। इसके बाद प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में रमेश चौधरी, प्रदीप तुलस्यान, सुरेश तुलस्यान, राजेश तुलस्यान, भगवती प्रसाद अग्रवाल,  उमाशंकर अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, पवन, सजन सिंधी, राम बुबना, अजय खेमका, अनुज डिडबानिया, अनिल सराफ, मनीष गिनोडिया आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।

सिद्धेश्वर महादेव में सवा कुन्तल खीर का लगा भोग
गोयनका संस्कृत विद्यालय परिसर में स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव का रविवार को वार्षिक हरियाली शृंगार उत्सव मनाया गया। सायंकाल महादेव की भव्य झांकी सजायी गयी। बाबा का रुद्राक्ष की माला सहित बेला, गुलाब, कमल, गेंदा, अश्वगंधा, कामिनी व अशोक के पत्तों से भव्य झांकी सजायी गयी। डमरु वादन के बीच पुजारी दादा ने 51 हजार बत्तियों से महाआरती के बाद सवा कुन्तल खीर का भोग लगाया। सायंकाल मंदिर में भजन कीर्तन हुआ।

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