खांसी के लिए आयुर्वेदिक सिरप और औषधियां बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित : प्रो. आनन्द चौधरी
Varanasi News - वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। हाल ही में बच्चों को दी जा रही खांसी की

वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। हाल ही में बच्चों को दी जा रही खांसी की सिरप की गुणवत्ता को लेकर उठी चिंताओं के बीच, बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग के चिकित्सकों ने कहा है कि आयुर्वेदिक उपचार बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित और प्रभावी हैं। विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आनन्द चौधरी ने बताया कि आयुर्वेदिक खांसी सिरप, जड़ी-बूटियां और अनुभव से प्रमाणित घरेलू नुस्खे दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को बिना किसी डर के दिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में मध्य प्रदेश में खांसी की सिरप से कई बच्चों की मौतों की घटना ने फार्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
प्रो. चौधरी ने कहा कि खांसी-जुकाम से पीड़ित बच्चों की छाती और पीठ पर हल्के गर्म तेल से मालिश करनी चाहिए। माताओं को ठंडी प्रकृति के भोजन से परहेज करना चाहिए और कफ-दोष को संतुलित रखना चाहिए। छह महीने से अधिक उम्र के बच्चों को तुलसी, अदरक, लौंग, काली मिर्च और खजूर के साथ उबाला हुआ दूध देना लाभदायक है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक खांसी सिरप तुलसी, अमलतास, मुलेठी, काकडसिंगी, बैहेड़ा, पुदीना, दालचीनी, तेजपत्ता और तालिसपत्र जैसी जड़ी-बूटियों से बनती हैं, जिनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। प्रो. चौधरी ने बताया कि बच्चों को सितोपलादि चूर्ण या तालिशादि चूर्ण शहद के साथ दिया जा सकता है। थोड़े बड़े बच्चों को वासावलेह और आगस्त्य हरीतकी जैसी औषधियां भी सुरक्षित रूप से दी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि चरक, हिमालय, झंडू, डाबर और एमिल जैसी प्रमाणित कंपनियों की आयुर्वेदिक औषधियां गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं और इनके सेवन से बच्चों के किडनी या लीवर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
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