विश्वनाथ मंदिर की गलियों के चौड़ीकरण की बाधाएं दूर
काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षत्र के विस्तारीकरण में आ रहीं बाधाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं। इस कार्य में बाधक रहे 23 भवनों में से ज्यादातर भवनस्वामीं अथवा उनकी देखरेख करने वाले अपना भवन मंदिर न्याय को देने...
काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षत्र के विस्तारीकरण में आ रहीं बाधाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं। इस कार्य में बाधक रहे 23 भवनों में से ज्यादातर भवनस्वामीं अथवा उनकी देखरेख करने वाले अपना भवन मंदिर न्याय को देने के लिए रजामंद हो गए हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब किसी अवसर विशेष पर मंदिर आने वाले भक्तों को सड़क पर घंटों कतार में खड़े नहीं होना होगा।
रेड और यलो जोन की सीमा पर मौजूद दो भवनस्वामियों से बातचीत भी अंतिम दौर में है। सभी भवनों की लिखापढ़ी होते ही चौड़ीकरण का काम शुरू कर दिया जाएगा। पहले चरण में सरस्वती फाटक से नीलकंठ के बीच काम होगा। इसके बाद जहां गली का रास्ता 15 फुट से अधिक चौड़ा हो जाएगा। विस्थापित दुकानदारों को रोजगार के साधन भी मिलेंगे। उन दर्शनार्थियों के लिए विश्राम स्थल बनाया जाएगा जो कतार में लगे बिना विशेष टिकट खरीदकर दर्शन करना चाहेंगे।
दूसरे चरण में विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित नौबतखाना, सातो चौक के अंतर्गत आने वाली इमारतें एवं कालिका गली की ओर खुलने वाला एक भवन है। इनमें से दो को छोड़ कर शेष सभी भवन न्यास परिषद ने ले लिए हैं। कालिका गली की ओर से पुराने भवन में कार्ययोजना के अनुसार बदलाव भी किया जाने लगा है। इन सभी भवनों के स्थान पर दर्शनार्थियों के लिए मल्टी स्टोरी प्रतीक्षालय बनाया जाएगा। उसमें एक बार में 12 से 15 हजार भक्त कतार में खड़े हो सकेंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर में इस प्रकार की व्यवस्था की प्रेरणा सोमनाथ मंदिर से ली गई है। तीसरे चरण में सरस्वती फाटक पर भव्य प्रवेश द्वार के निर्माण की योजना है। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एसएन त्रिपाठी ने कहा कि ज्यादातर भवनस्वामी न्यास की कार्ययोजना से इत्तेफाक रखते हुए अपने भवन देने को रजामंद हैं। आगे की कार्रवाई के लिए कागजात तैयार करने की प्रक्रिया जारी है।
ज्ञानवापी से लक्सा तक लगती है कतार
काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास घनी बस्ती होने से अवसर विशेष पर बाबा दरबार में आने वाले भक्तों को सड़क पर घंटों कतारे में खड़े होना पड़ता है। वे कड़ी धूप बारिश सब कुछ सहते हैं। यही नहीं सावन के सोमवार पर तो भक्तों की कतार ज्ञानवापी से गोदौलिया दशाश्वमेध से वापस गिरजाघर होते लक्सा तक पहुंच जाती है। यह दूरी विश्वनाथ मंदिर से दो किलोमीटर से भी अधिक है। भक्तों को तो परेशानी होती ही है। शहर की ट्रैफिक भी बाधित होती है।