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अक्षय तृतीया: खूब करें खरीदारी, 24 घंटे सर्वार्थ सिद्धि योग मिलेगा

अक्षय तृतीया पर इस बार शुभ संयोगों का संगम होगा। बुधवार का दिन, 24 घंटे सर्वार्थ सिद्धि योग और चंद्रमा के अपनी उच्च राशि में होने से इस बार धनतेरस जैसे योग हैं। धन और ऐश्वर्य की प्रतीक है। खरीदारी के...

अक्षय तृतीया: खूब करें खरीदारी, 24 घंटे सर्वार्थ सिद्धि योग मिलेगा
वाराणसी हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Apr 2018 02:03 PM
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अक्षय तृतीया पर इस बार शुभ संयोगों का संगम होगा। बुधवार का दिन, 24 घंटे सर्वार्थ सिद्धि योग और चंद्रमा के अपनी उच्च राशि में होने से इस बार धनतेरस जैसे योग हैं। धन और ऐश्वर्य की प्रतीक है। खरीदारी के लिए ग्यारह साल बाद अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग मिलेगा।

दोपहर 12 से डेढ़ बजे तक राहु काल होने से खरीदारी से बचना होगा। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं। यानी बिना मुहूर्त के आप कुछ भी शुभ कार्य कर सकते हैं। बुधवार को ही भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी की जयंती भी है।

खरीदारी के शुभ मुहूर्त
पंडित सुरेंद्र शर्मा के अनुसार वैसे तो अक्षय तृतीया का पूरा दिन हुई शुभ होता है पर इसमें भी नई वस्तुओं की खरीदारी के लिए स्थिर लग्न के ये मुहूर्त विशेष शुभ हैं।

डेढ घंटा बचें
अक्षय तृतीया के दिन दोपहर 12 से 1:30 बजे के बीच राहुकाल रहेगा इस समय खरीदारी न करें।

रुद्राक्ष की माला से 'हृीं नम: मम गृहे धनं कुरु कुरु स्वाहा' या ऊं श्रीं ह्रीं ऊं मंत्र का जाप 108 बार करें।

पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करें। असहाय लोगों को दान दें।

भगवान विष्णु की आराधना करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। 

धन का क्षय नहीं होता
अक्षय तृतीया वैशाख में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया 18 अप्रैल को है। 18 अप्रैल को प्रात: 4 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर रात 3 बजकर 03 बजे तक रहेगी। कथा प्रसंग के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी ने विष्णु जी से कहा कि समस्त शुभ कार्य किसी न किसी मुहूर्त में होते हैं। जो इन मुहूर्त में नहीं कर पाएं, उनके लिए भी तो कुछ होना चाहिए। तब भगवान ने अपने अवतार दिवस यानी परशुराम जयंती पर अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त की संज्ञा दी। नाम के अनुरूप अक्षय तृतीया पर धन का क्षय नहीं होता। धनतेरस की तरह ही इस दिन स्वर्ण-रजत खरीदने की परंपरा है। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा कमल या गुलाब के फ़ूल से होती है।

त्रेता का प्रारंभ
ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार पऱशुराम जयंती के साथ ही अक्षय तृतीया को त्रेता युग का प्रारंभ भी हुआ था। इस दिन गंगा स्नान करने का भी महत्व है। बुधवार को चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में है। अक्षय तृतीया पर चन्द्रमा शुक्र की राशि में रहेगा और शुक्र धन समृद्धि और ऐश्वर्य का ग्रह है। इसलिए भी अक्षय तृतीया पर धन समृद्धि और ऐश्वर्यदायक योग है।

क्या खरीदें
इस दिन बिना किसी पंचांग के विवाह कार्य किया जा सकता है। इसके आलावा व्यापार आरम्भ, नींव पूजन, गृह प्रवेश, ऑफिस ओपनिंग, वाहन खरीद, जॉब ज्वाइनिंग, बिज़नेस डील, खरीदारी बेहिचक की जा सकती है। धनतेरस की तरह ही सोना-चांदी, वाहन खरीदना शुभ है। लक्ष्मी जी का वास धन के साथ ही धान्य में है। इसलिए, चावल और गेहूं अवश्य खरीदना चाहिए। रसोई से जुड़ा कोई भी आइटम खरीदना शुभ माना गया है।

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