शास्त्रीय संगीत की धरोहर संभालने को बनेगी नई पौध
भारतीय शास्त्रीय संगीत की धरोहर अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कला प्रकाश ने अभिनव अभियान शुरू किया है। अपनी स्थापना के 28वें वर्ष में प्रवेश के अवसर...

वाराणसी, प्रमुख संवाददाता। भारतीय शास्त्रीय संगीत की धरोहर अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कला प्रकाश ने अभिनव अभियान शुरू किया है। अपनी स्थापना के 28वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर कला प्रकाश ने ‘धरोहर शृंखला के तहत नगर के विभिन्न विद्यालयों में शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण देने की शुरुआत बुधवार को आर्यन इंटरनेशनल स्कूल से की। शहनाई और बांसुरी वादन में समान दखल रखने वाले पं राजेंद्र प्रसन्ना ने धरोहर का झंडा सबसे पहले उठाया।
पं राजेन्द्र प्रसन्ना ने राग वृंदावनी सारंग के बारे में बच्चों को जानकारी दी। बताया कि दिन में 10 से दोपहर 1 बजे के बीच इस राग को गाने का सर्वोत्तम समय है। उन्होंने इस राग को लेकर मतभेद का भी जिक्र विद्यार्थियों से किया। बताया कि स्वर की दृष्टि से यह राग खमाज थाट जन्य है, किन्तु स्वरूप की दृष्टि से इसे काफी थाट का राग मानना उचित है। इस दौरान तबले पर पं ललित कुमार तथा बांसुरी पर रितेश प्रसन्ना और प्रांजल सिंह ने सहयोग दिया। इससे पूर्व पं. राजेंद्र प्रसन्ना, आर्यन इंटरनेशनल स्कूल की निदेशक सुबीना चोपड़ा, प्रधानाचार्य गणेश सहाय एवं कला प्रकाश के अध्यक्ष अशोक कपूर ने दीप जलाकर अभियान का शुभारंभ किया।
