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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में कैशलेस को लेकर ज्यादा रुचि नहीं

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में 73 फीसदी लोग डिजिटल हो गये हैं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा बैंकों को भेजी रिपोर्ट में औसत रूप से यह आंकड़ा सामने आया है। लेकिन यह आंकड़ा बहुत...

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में कैशलेस को लेकर ज्यादा रुचि नहीं
वाराणसी। वाचस्पति उपाध्यायMon, 09 Apr 2018 05:49 PM
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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में 73 फीसदी लोग डिजिटल हो गये हैं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा बैंकों को भेजी रिपोर्ट में औसत रूप से यह आंकड़ा सामने आया है। लेकिन यह आंकड़ा बहुत उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता क्योंकि, कैशलेस भुगतान के प्रति काशीवासी ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 

एनसीपीआई की रिपोर्ट में डिजिटल होने का आंकड़ा इसलिये ज्यादा है क्योंकि इसमें एटीएम से कैश निकालने की प्रक्रिया को भी शामिल किया जाता है, जिसकी दर करीब 40 फीसदी है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल लेनदेन को लेकर लोग पहले ज्यादा जागरूक हुए हैं और मोबाइल बैंकिंग के प्रति रुझान बढ़ा है। यानि रेलवे और फिल्म का टिकट बुक करना हो, रसोई गैस की बुकिंग करानी हो या फिर मोबाइल का बिल भरना हो, अब काशीवासियों ने इसके लिए एप का सहारा ज्यादा ले रहे हैं। बनारस में 15 प्रतिशत लोग मोबाइल बैंकिंग करते हैं। इसमें भीम एप का इस्तेमाल भी शामिल है। 

नेट बैंकिंग से लगता है डर
ज्यादातर काशीवासी नेटबैकिंग का इस्तेमाल करने से बचते हैं। विभिन्न बैंकों द्वारा ग्राहकों से लिए फीडबैक रिपोर्ट के अनुसार लोग नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने से बचते हैं। नेट बैंकिंग अकाउंट होने के बाद भी लोग शाखा में जाकर ही लेनदेन को प्राथमिकता देते हैं। एनसीपीआई की रिपोर्ट में बनारस में करीब 10 फीसदी लोग नेटबैंकिंग करते हैं। 

स्वाइप मशीनों की घटी मांग
नोटबंदी के तुरंत बाद बनारस में स्वाइप मशीनों की मांग तेजी से बढ़ी थी। जनवरी और फरवरी 2017 में बैंकों में करीब 12 हजार स्वाइप मशीनों की बुकिंग हुई थी, लेकिन अब हालात नोटबंदी के पहले जैसे ही हो गये हैं। बल्कि बैंकों में व्यापारी स्वाइप मशीनों को लौटाने पहुंच रहे हैं। बैंक अधिकारियों का कहना है कि डेबिट कार्ड से भुगतान पर 0.75 से एक प्रतिशत व क्रेडिट कार्ड पर डेढ़ फीसदी तक अतिरिक्त चार्ज लगने के कारण इसका प्रचलन घटा है। बैंकों का मानना है कि गांवों में इंटरनेट का इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर होने से भी कैशलेस अभियान कमजोर पड़ा है।

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