ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश वाराणसीबंगलुरु से पैदल ही जौनपुर पहुंचा 26 मजदूरों का जत्था, तीन दिन से भूखे प्यासे ही चलते रहे

बंगलुरु से पैदल ही जौनपुर पहुंचा 26 मजदूरों का जत्था, तीन दिन से भूखे प्यासे ही चलते रहे

लॉकडाउन के कारण पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की यात्राकर अपने घरों को लौटने वालों का सिलसिला जारी है। बंगलुरू से पैदल ही फैजाबाद जा रहा 26 मजदूरों का जत्था मंगलवार की सुबह जौनपुर पहुंचा।...

बंगलुरु से पैदल ही जौनपुर पहुंचा 26 मजदूरों का जत्था, तीन दिन से भूखे प्यासे ही चलते रहे
मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर) हिन्दुस्तान संवादTue, 28 Apr 2020 06:19 PM
ऐप पर पढ़ें

लॉकडाउन के कारण पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की यात्राकर अपने घरों को लौटने वालों का सिलसिला जारी है। बंगलुरू से पैदल ही फैजाबाद जा रहा 26 मजदूरों का जत्था मंगलवार की सुबह जौनपुर पहुंचा। करीब 2800 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके इन मजदूरों को अभी 250 किलोमीटर और पैदल चलना है। मंगलवार की भोर में इन मजदूरों का जत्था भूखा प्यासा मंगराबादशापुर में दिखा तो स्थानीय लोगों ने खाने पीने का इंतजाम किया। 

फैजाबाद के तहसील रुदौली के यह मजदूर बंगलुरु की एक कंपनी में काम करते थे। कोरोना महामारी के चलते काम बंद हो गया तो भूखमरी के कगार पर पहुंच गए। लॉकडाउन के चलते मालिक सबको बाहर निकालकर फरार हो गया। मजदूरों का कहना है कि वह चार दिन तक कंपनी मालिक से पैसे लेने का इंतजार करते रहे। जब कंपनी मालिक नही मिला तो 28 मार्च को बंगलुरु से घर के लिए पैदल चल दिये। रास्ते में स्वयंसेवियों ने भोजन पानी का इंतजाम किया। 

मुंगराबादशाहपुर पहुंचने से पहले ही इनकी जेब भी पूरी तरह खाली हो चुकी थी। पिछले तीन दिनों से वह कुछ भी नहीं खाए थे। धर्मेन्द्र, बिपिन, सच्चे लाल, संतोषकुमार, राहुल, विनीत, शहंशाह, मनोहर, लक्ष्मण सहित सभी मजदूर नवयुवक हैं। इनकी आयु अधिकतम 25 से 35 वर्ष तक है। साहबगंज  मोहल्ले में उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गयी।

आजमगढ़ निवासी धीरज व महेंद्र ने बताया कि अन्य प्रदेशों में लोग भोजन पानी के लिए पूंछ भी रहे थे लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद पहली बार किसी ने भोजन के लिए पूछा है  सभी ने कहा कि जब इतने दूर से पैदल चले आए हैं तो धीरे-धीरे अब उम्मीद है अपने घर पहुच जाएंगे। इस कोरोना की महामारी से तो शायद इन्सान बच भी जाय लेकिन लॉकडाउन के चलते भूखमरी और हजारों किलोमीटर से पैदल चलने के कारण कितने तो मर ही रहे हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें