
सीतापुर के छह सगे भाई रहे हैं नेशनल हॉकी टीम का हिस्सा, एक ओलंपिक कैंप में भी शामिल
संक्षेप: उत्तर प्रदेश का सीतापुर जिला, जो अपनी दरी और नैमिषारण्य के लिए जाना जाता है, का हॉकी से भी गहरा संबंध रहा है। यहां जन्मे छह सगे भाई राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी रहे हैं। इनमें से एक, स्वर्गीय एखलाक हुसैन, 1964 में ओलंपिक कैंप का हिस्सा थे। यह खबर उनके और उनके भाइयों के खेल प्रेम को समर्पित है।
जगत जननी मां सीता के नाम पर बसा सीतापुर जिला अक्सर अपनी ऐतिहासिक दरी और धार्मिक नगरी नैमिषारण्य के लिए जाना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस धरती ने हॉकी के क्षेत्र में भी देश को गौरव दिलाया है। यहाँ एक ही परिवार के छह सगे भाई हॉकी की राष्ट्रीय टीम का हिस्सा रहे हैं, जो अपने आप में एक अनोखी दास्तान है। सीतापुर के कजियारा मोहल्ले में जन्मे इन छह भाइयों की कहानी प्रेरणा देती है। इनमें से एक, स्वर्गीय एखलाक हुसैन, 1963 में मद्रास (अब चेन्नई) के मदुरै में आयोजित ओलंपिक कैंप में भी शामिल हुए थे।

एखलाक हुसैन को उनकी शानदार गति और नियंत्रण के लिए 'फ्लाइंग हॉर्स' का खिताब भी मिला था। उनके भाई मुमताज हुसैन की कप्तानी में ईस्ट बंगाल टीम ने बैटन कप जीता था। मुमताज की कप्तानी में खेलने वालों में मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार और टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस के पिता वेस पेस जैसे दिग्गज भी शामिल थे। एखलाक और मुमताज के साथ उनके अन्य चार भाई- अंसार हुसैन, इंतजार हुसैन, अंजार हुसैन और आफताब हुसैन भी अपनी स्टिक के जादू से राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं।
हो रहे विरासत को खोजने के प्रयास
आज भी इस परिवार की खेल विरासत को संजोने के प्रयास किए जा रहे हैं। सीतापुर जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष और कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही इस विरासत को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। वहीं, हॉकी संघ के संयुक्त सचिव वसीम अहमद भारत सरकार से इन 'हुसैन बंधुओं' को भारत रत्न और लक्ष्मण पुरस्कार जैसे सम्मान देने के लिए पत्राचार कर रहे हैं। एखलाक हुसैन और उनके भाइयों की स्मृतियां दिल्ली संग्रहालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी सहेजी गई हैं।





