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अफसर फंसने लगे तो थम गई छात्रवृत्ति घोटाले की जांच, 100 करोड़ की स्कॉलरशिप हड़प गये घोटालेबाज

यूपी शिक्षा विभाग के तीन अधिकारी और दिव्यांग कल्याण विभाग का एक बड़ा अधिकारी जांच में फंसने क्या लगा, एसआईटी की जांच ही थम सी गई है। 100 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति के फर्जीवाड़े की जांच में तीन अफसरों और रसूख वाले दो कालेजों के चेयरमैन-प्रबन्धक का नाम सामने आया था।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, लखनऊ, विधि सिंहWed, 18 Sep 2024 01:33 AM
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यूपी शिक्षा विभाग के तीन अधिकारी और दिव्यांग कल्याण विभाग का एक बड़ा अधिकारी जांच में फंसने क्या लगा, एसआईटी की जांच ही थम सी गई है। निम्न वर्ग व दिव्यांग छात्रों की 100 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति के फर्जीवाड़े की जांच में तीन अफसरों और रसूख वाले दो कालेजों के चेयरमैन-प्रबन्धक का नाम सामने आया था। एसआईटी ने तीनों अफसरों को नोटिस देने की तैयारी तक कर ली गई थी। एक नोडल अधिकारी और दो जिलों के डीआईओएस से पूछताछ भी हो गई थी लेकिन बाद में अचानक सारी कार्रवाई सुस्त पड़ती चली गई।

अफसरों का नाम आया कि जांच थम गई
इस मामले में ईडी ने पिछले साल 16 अगस्त को पहली गिरफ्तारी की थी, जांच ने तेजी पकड़ी तो शासन के आदेश पर पिछले साल जेसीपी उपेन्द्र कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआईटी बनी थी। जांच से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, लखनऊ और फर्रुखाबाद कालेज के दो कालेजों के नाम पर छात्रवृत्ति का लेन-देन खंगालते समय कई तरह की पोल खुली। इसमें ही पहली बार सामने आया कि इस ‘खेल’ में सरकारी अफसर भी शामिल हैं।

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तय हुआ कि इन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। इस बीच ही विवेचकों ने दिव्यांग छात्रवृत्ति देने वाले विभाग के नोडल अधिकारी व दो जिलों के डीआईओएस से फोन पर कई जानकारियां मांग ली। यह कदम उठते ही लोगों ने जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया। इससे इनको नोटिस ही नहीं भेजा गया। अब जांच तक थम गई है। सूत्रों का कहना है कि जेसीपी उपेन्द्र कुमार बीमारी की वजह से छुट्टी पर चले गये। नये जेसीपी तो तैनात हुए लेकिन भ्रष्टाचार की बड़ी जांच थमी ही गहई है।

क्या था मामला
पिछले साल 30 मार्च को हजरतगंज कोतवाली में 10 कॉलेजों के 18 लोगों पर एफआईआर हुई थी। इसमें कई कालेजों के प्रबन्धक, चेयरमैन व प्रिंसिपल नामजद किए गए थे। इनमें प्रमुख थे, एसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट मामपुर, ओरेगॉन एजुकेशनल सोसाइटी, विकासनगर, हाइजिया कॉलेज ऑफ फार्मेसी, हाइजिया इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एजुकेशन। एसआईटी गठित की गई। तत्कालीन जेसीपी कानून-व्यवस्था उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने सख्ती की तो एक-एक कर कई चेयरमैन, प्रिंसपल को नोटिस देकर बुलाया। टीम ने कई साक्ष्य जुटाये। इसके बाद 22 लोग जेल गए।

सबसे बड़ा खेल हाईजिया ग्रुप ने किया
जांच में आया है कि सबसे बड़ा खेल हाईजिया ग्रुप ने किया था। अहम भूमिका हाईजिया ग्रुप के इजहार जाफरी, अली अब्बास जाफरी व कर्मचारी रवि प्रकाश गुप्ता की थी। पहली चार्जशीट में इन तीनों के अलावा जेपी वर्मा इंटर कालेज के विवेक, यशवंत सिंह, आरपीपी इंटर कालेज के अभिनव कनौजिया के बयान से कई साक्ष्य पेश किये गये। यह चार्जशीट 30 अगस्त 2023 को दाखिल की गई थी। दूसरी चार्जशीट में हाईजिया कालेज के इशरत जाफरी, हरदोई के जीविका कालेज ऑफ फार्मेसी के सचिव राम गोपाल, फर्रुखाबाद के डॉ.ओम प्रकाश ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन के चेयरमैन शिवम गुप्ता और हरदोई के ज्ञानवती इंटर कालेज के प्रबन्धक सुधीर कुमार का नामभीशामिलथा।

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