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महाकुंभ विशेष: मेले में सिर मुड़वाने पर लगता था टैक्स, इतनी बड़ी राशि देना था मुश्किल

  • प्रयाग कुंभ में आने वाले यात्रियों पर प्रवेश के समय टैक्स लगा करते थे। यह मेले में कई साल हुआ। मुगल से लेकर ब्रिटिश काल तक इस तरह के टैक्स लगते रहे। इससे अलग यह जानना रोचक है कि मेले के अंदर लोगों का मुंडन करने वाले नाइयों तक पर शासकों ने कर लगाये।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, डॉ. प्रभात ओझा, प्रयागराजSun, 26 Jan 2025 12:44 PM
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महाकुंभ विशेष: मेले में सिर मुड़वाने पर लगता था टैक्स, इतनी बड़ी राशि देना था मुश्किल

यह कथा अजीब है। कभी प्रयाग कुंभ में आने वाले यात्रियों पर प्रवेश के समय टैक्स लगा करते थे। यह मेले में कई साल हुआ। मुगल से लेकर ब्रिटिश काल तक इस तरह के टैक्स लगते रहे। इससे अलग यह जानना रोचक है कि मेले के अंदर लोगों का मुंडन करने वाले नाइयों तक पर शासकों ने कर लगाये। राज करने वालों की इससे बहुत कमाई हुई। इसके विपरीत एक वर्ग की कमाई में गिरावट आ गयी और उसने ऐसे कर का विरोध किया। मेले में कर लगाने की शुरुआत अकबर के समय ही हो गई थी। हुआ यह कि श्रद्धालु मेला प्रवेश के बाद सिर मुड़ाने जैसे सामान्य काम पर भी परोक्ष रूप से टैक्स देने के लिए मजबूर हुए।

शासकों ने मुंडन करने वाले नाइयों पर कर लगाया। फिर नाइयों ने मुंडन की राशि बढ़ा दी। इससे श्रद्धालुओं की जेब काफी हलकी होने लगी। इसके बाद तीर्थ पुरोहितों को दक्षिणा देने के लिए उनके पास धन बहुत कम होता था। तीर्थ पुरोहितों ने इस समस्या की जड़ को महसूस किया और अकबर के दरबार में बात हुंचाई। बाद में में इस तरह के कर वापस ले लिए गए। गए। कर के मामले में एक और विवरण है कि ग्वालियर के महादराव शिंदे ने 1790 में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला को पत्र लिखा। राजा के पत्र के बाद तब लगाए गए कर में बहुत कमी कर दी गयी।

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ब्रिटिश राज के समय प्रयाग मेले में मुंडन करने वाले नाइयों पर भारी कर लगाने के विवरण मिलते हैं। ब्रिटिश लेखक फैनी पार्क के मुताबिक, 1870 में खुद अंग्रेजों ने करीब तीन हजार मुंडन केंद्र खुलवाये। इस केंद्रों से लगभग 42 हजार रुपये की कमाई हुई। हालांकि अकबर और ब्रिटिश काल के बीच के समय भी टैक्स प्रणाली का विरोध होता रहा। इसी कारण 1801 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कर वसूली का काम एक स्थानीय तीर्थ पुरोहित को ही सौंप दिया था। वॉटर हैमिल्टन के मुताबिक 1806 में तो टैक्स बड़ा मसला बन गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने मेले में आने वाले हर व्यक्ति पर एक रुपये का कर लगा दिया था। यह राशि कितनी बड़ी थी, इससे अंदाज लगया जा सकता था कि तब एक सामान्य कर्मचारी की आय मात्र आठ रुपये तक ही थी।

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