महाकुम्भ: कई पीढ़ियों के 'संगम' की साक्षी बन रही त्रिवेणी, बता रहे परम सौभाग्य
- इस बार संगम तट पर महाकुम्भ की अलग ही आभा देखने को मिल रही है। 144 वर्ष बाद महाकुम्भ का विशेष संयोग बना है, यही वजह है कि देश-विदेश से लोग खिंचे चले आ रहे हैं। 13 जनवरी को हुए पौष पूर्णिमा के पहले स्थान के पूर्व से श्रद्धालुओं के के संगम आने का जो क्रम शुरू हुआ है, वो लगातार जारी है।

इस बार संगम तट पर महाकुम्भ की अलग ही आभा देखने को मिल रही है। 144 वर्ष बाद महाकुम्भ का विशेष संयोग बना है, यही वजह है कि देश-विदेश से लोग खिंचे चले आ रहे हैं। 13 जनवरी को हुए पौष पूर्णिमा के पहले स्थान के पूर्व से श्रद्धालुओं के के संगम आने का जो क्रम शुरू हुआ है, वो लगातार जारी है। इस खास महत्व वाले पर्व पर कई परिवार चार-चार पीढ़ी के साथ आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। पुण्य की प्राप्ति के लिए परदादा से लेकर प्रपौत्र तक संगम आ रहे हैं। इस विशेष संयोग में महाकुम्भ में पहुंचना हर कोई खुद का परम सौभाग्य समझ रहा है।
मिर्जापुर के हलिया थाना क्षेत्र के भटपुरवा निवासी 85 वर्षीय सूर्यपति चौरसिया अपने परिवार के चार पीढ़ी के सदस्यों के साथ संगम में स्नान करने पहुंचे। सूर्यपति चौरसिया ने बताया कि वह 2013 के महाकुम्भ में भी आस्था की डुबकी लगाने आए थे अब 144 वर्षों के विशेष संयोग वाले महाकुम्भ में स्नान का अवसर मिला है। यह विशेष संयोग अब 2169 के महाकुम्भ में मिलेगा। ऐसे में परिवार की सभी चारों पीढ़ी को साथ लेकर आए हैं। सूर्यपति के साथ उनकी पत्नी ज्ञानी देवी, बेटा 50 वर्षीय रामअनुज व बहू रामलीला, पौत्र 28 वर्षीय मानवेंद्र व प्रपौत्र एक वर्षीय सुमन सहित परिवार के अन्य सदस्य संगम तट पर पहुंचे।
उधर, कानपुर के सर्वोदय नगर निवासी 98 वर्षीय आशीष मित्तल अपने परिवार की पांच पीढ़ी के साथ महाकुम्भ में पहुंचे हैं। वयोवृद्ध आशीष मित्तल के साथ उनके 76 वर्षीय पुत्र कपिल व बहू शशिकला, पौत्र 52 वर्षीय अनिरुद्ध, प्रपौत्र 28 वर्षीय राकेश और उसका पुत्र 3 वर्षीय रोहित के अलावा अन्य सदस्यों ने महाकुम्भ पहुंचकर पुण्य की प्राप्ति की मनोकामना लेकर आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ का ऐसा संयोग 144 साल में सिर्फ एक ही बार आता है। 12 कुंभ के बाद वर्ष 1881 में ऐसा विशेष संयोग बना था। 1881 के बाद 12 कुंभ पूरे होने के बाद 2025 में यह विशेष संयोग बना है।