नकली नोट छापने वाले मदरसे को किया सील, जांच में जुटी खुफिया एजेंसी- बिना सरकारी मदद गुजारा कैसे
प्रयागराज में अतरसुइया के जिस मदरसे जामिया हबीबिया में नकली नोट की छपाई का भंडाफोड़ हुआ था उसके भवन को बुधवार को प्रयागराज विकास प्राधिकरण(पीडीए) ने सील कर दिया। इसके साथ ही मकान मालिक को नोटिस जारी किया है।
प्रयागराज में अतरसुइया के जिस मदरसे जामिया हबीबिया में नकली नोट की छपाई का भंडाफोड़ हुआ था उसके भवन को बुधवार को प्रयागराज विकास प्राधिकरण(पीडीए) ने सील कर दिया। इसके साथ ही मकान मालिक को नोटिस जारी किया है। नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर भवन का ध्वस्तीकरण होगा।
140 अतरसुइया स्थित मदरसे में नकली नोट छापे जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद पीडीए ने भवन की जांच शुरू कर दी। मदरसे के भवन का नक्शा नहीं मिला। इसके बाद विशेष कार्याधिकारी संजीव कुमार उपाध्याय के नेतृत्व में पीडीए की टीम अतरसुइया पहुंची और भवन सील कर दिया। मदरसे का भवन 300 वर्ग मीटर में बना है। इसमें 10 कमरे हैं। 70 बच्चे इसमें तालीम ले रहे थे। इन्हीं कमरों में मदरसा संचालित हो रहा था।
मदरसे में नकली नोट छापने की सूचना पर डीसीपी सिटी दीपक भूकर 28 अगस्त को छापेमारी की थी। छापेमारी में 100 रुपये के नकली नोट छापते तीन लोग मशीन के साथ मिले थे। मौके से एक लाख 30 हजार मूल्य के नकली नोट भी मिले थे। कार्यवाहक प्रिंसिपल भी नकली नोट छापने में लिप्त पाया गया। मदरसे की जांच में परिसर से कई आपत्तिजनक साहित्य मिले हैं। गतिविधियों और अंतर्राष्ट्रीय लिंक की जांच हो रही है। पीडीए उपाध्यक्ष अरविंद चौहान ने बताया कि भवन सील करने के साथ नोटिस दिया गया है। नोटिस का जवाब मिलने पर उचित कार्रवाई होगी।
मदरसे को कहां से मिल रही थी आर्थिक मदद
अतरसुइया के मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम में नकली नोट छापने का मामला सामने आने के बाद कई बिंदुओं पर जांच जारी है। मदरसा पंजीकृत नहीं था। ऐसे में मदरसे के संचालन के लिए आर्थिक मदद कहां से मिलती थी, इस पर पुलिस और खुफिया एजेंसियां पड़ताल में जुटी हैं। मदरसे के बैंक खाते के साथ ही इससे जुड़े हुए लोगों के बैंक खातों को खंगाला जा रहा है। मदरसे को चंदा देने वालों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।
बताया गया कि मदरसे में लगभग 76 बच्चे तालीम ले रहे थे। जो यहीं रहते थे। मदरसा रजिस्टर्ड न होने की वजह से इसे कोई सरकारी मदद नहीं मिलती थी। पुलिस का आकलन है कि मदरसा संचालन पर हर माह लगभग चार लाख रुपये खर्च रहा होगा। आखिर मदद कहां से मिलती थी। पकड़े गए आरोपियों और मदरसा प्रबंधक से पूछताछ में पता चला है कि मदरसा लोगों की मदद यानी चंदे से संचालित था। ऐसे में पुलिस और खुफिया एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि मदरसे को कहां-कहां से और कितना चंदा मिल रहा था। जो चंदा दे रहे थे, वे कौन हैं। कहीं ऐसा तो नहीं विदेश से भी मदरसे को चंदे की रकम मिल रही थी। पुलिस की टीमें कई बिंदुओं पर जांचमेंजुटीहैं।
मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे भेजे गए घर
मदरसा अब बंद हो गया है। पीडीए ने इसे सील कर दिया है। पुलिस के मुताबिक, मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को उनके घर भेज दिया गया है। बुधवार सुबह यहां के सभी बच्चे घर चले गए थे। यहां उड़ीसा, मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्यों के लगभग 76 बच्चे तालीम ले रहे थे।
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