गंभीर अपराधों को लेकर UP DGP ने सभी कमिश्नर-एसपी को दिए ये निर्देश, कार्रवाई की चेतावनी भी
संक्षेप: यूपी डीजीपी राजीव कृष्ण ने गंभीर अपराधों को लेकर सभी पुलिस कप्तानों और कमिश्नरों को निर्देश जारी किए है। डीजीपी ने एसओपी में कहा है कि गंभीर अपराधों में फोरेंसिंक विशेषज्ञों को घटनास्थल पर बुलाना जरूरी है।
सात साल से सजा वाले गंभीर अपराधों में फोरेंसिंक विशेषज्ञों को घटनास्थल पर बुलाना जरूरी है। इनके पहुंचने से पहले तक घटनास्थल को सुरक्षित रखने के लिए किसी को भी वहां जाने पर रोक रहे। पुलिसकर्मी भी इस तरह से मुआयना करें कि फोरेंसिंक टीम को साक्ष्य उठाने में दिक्कत का सामना न करना पड़े। यूपी के डीजीपी राजीव कृष्ण ने इन बिन्दुओं के साथ ही सभी कप्तानों, पुलिस कमिश्नरों व रेंज के डीआईजी-आईजी को एसओपी भेजी है। उन्होंने एसओपी का पालन न करने वाले और विवेचना में लापरवाही मिलने पर दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है।

एसओपी के मुताबिक क्राइम सीन प्रबन्धन का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है। नए कानून में थाना प्रभारी को तय करने को कहा गया है कि फोरेंसिंक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर निरीक्षण जरूर हो। साथ ही साक्ष्य संकलन के साथ ही उसकी वीडियोग्राफी भी जरूर कराई जाए। डीजीपी ने निर्देश दिया है कि हत्या, लूट जैसे गंभीर अपराध, यौन अपराध, आतंकवाद, ड्रग्स तस्करी और पोस्को आदि के मामलों में यह नियम जरूर लागू किया जाए। सात साल से ज्यादा सजा वाले मामलों के अलावा जिसमें राज्य सरकार ने विशेष जांच के निर्देश दिए हो, उसमें भी फोरेंसिंक टीम को जरूर बुलाया जाए।
एफआईआर भी फोरेंसिंक विशेषज्ञ को दी जाए
डीजीपी ने निर्देश दिए कि एफआईआर की डिजिटल प्रति व घटनास्थल की पूरी जानकारी फोरेंसिंक की फील्ड यूनिट को जरूर दी जाए। घटनास्थल को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाए। घटनास्थल पर अनावश्यक लोगों की भीड़ न जुटने दी जाए। यहां पर प्रवेश व निकास का एक ही रास्ता रखा जाए। मीडिया, स्थानीय लोग, रिश्तेदारों को भी घटनास्थल से दूर रखे ताकि साक्ष्य नष्ट न हो।
डीजीपी ने कहा कि मौके पर पहुंचने वाली टीम घड़ी, बल्ब, पंखा, खिड़की, पर्दे आदि की स्थिति की फोटो जरूर लें। पूरे घटनास्थल की 360 डिग्री पर° वीडियोग्राफी कराई जाए। उन्होंने फोरेंसिंक विशेषज्ञों के पास पूरी किट होने की बात भी कही। डिजिटल साक्ष्यों को संकलित करने में विशेष ध्यान दिया जाए। एसओपी में यह भी लिखा गया है कि घटना की गम्भीरता के हिसाब से जो जरूरी परीक्षण हो वह फोरेंसिंक लैब से जल्दी करा लिए जाएं। डीजीपी ने एसओपी में साक्ष्य उठाने के कई तरीके भी मातहतों को बताए हैं।





