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अयोध्या से प्रयागराज के लिए बनेगा एक्सप्रेस-वे, परिक्रमा स्थल से प्रतापगढ़ तक होगा निर्माण

अयोध्या-प्रयागराज हाईवे की बाईं तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग फोरलेन की जगह अब एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराने जा रहा है। इस 90 किलोमीटर के एक्सप्रेस- के निर्माण में कुल 5000 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च होगी।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, सुलतानपुर, अनुरुद्ध चौरसियाThu, 5 Sep 2024 01:00 AM
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अयोध्या-प्रयागराज हाईवे की बाईं तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग फोरलेन की जगह अब एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराने जा रहा है। इस 90 किलोमीटर के एक्सप्रेस- के निर्माण में कुल 5000 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च होगी। इसमें एक्सप्रेस-वे निर्माण के साथ किसानों के भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को भी शामिल किया गया है। निर्माण कार्य की शुरुआत से तीन साल में परियोजना को पूरा किया जाना है।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्रालय ने अयोध्या-प्रयागराज हाईवे को अब फोरलेन में तब्दील करने के बजाय नए सिरे एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराने की योजना बनाई है। योजना के तहत अब तक पहले हाईवे को फोरलेन में तब्दील कराया जाना था। लेकिन उसमें अन्य फोरलेन की तरह से छोटे व ग्रामीण इलाके के वाहनों की धमाचौकड़ी मचने से यात्रा में बड़ी बाधा आड़े आ रही थी और लम्बी दूरी के वाहनों के यात्रा के दौरान हर समय खतरे का भय बना रहता है। इसको देखते हुए मंत्रालय ने अपने पुराने फैसले में परिवर्तन कर दिया।

अब अयोध्या-प्रयागराज हाईवे के बांए तरफ से नए सिरे से किसानों की भूमि का अधिगृहण कर एक्सप्रेस-वे निर्माण कराने की योजना बनाई है। योजना का डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी टीएएसपीएल दिल्ली को दी गई है। जिसमें नए एक्सप्रेस-वे का निर्माण प्रतापगढ़ जिले के गोंड़े गांव सोनावां से अयोध्या के परिक्रमा स्थल भरत कुण्ड के पास से 90 किलोमीटर की दूरी में कराया जाना है।

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38 मीटर होगी एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई
परियोजना के डीपीआर के अनुसार एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई 38 मीटर निर्धारित की गई है। इसमें 15-15 मीटर कर मुख्य एक्सप्रेस-वे का प्रत्येक तरफ का कैरिज-वे, दो मीटर का फोल्डर, सर्विस रोड को शामिल किया गया है। एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ प्रतिबंधित किया जाएगा। बीच से न मवेशी और न ही कोई वाहन प्रवेश कर पाएगा।

दो फेज में होगा निर्माण कार्य
राष्ट्रीय राजमार्ग के मानक के मानक के अनुसार दो फेज में एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया जाएगा। जिसमें प्रत्येक फेज की लम्बाई 45-45 मीटर निर्धारित की गई है। प्रथम फेज में 84 कोसी परिक्रमा स्थल अयोध्या भरत कुण्ड परिक्रमा मार्ग से कटका तक 45 किमी की दूरी में बनेगा। दूसरा फेज कटका से गोंडे़ गांव सोनावां तक 45 किमी की दूरी में बनेगा। परियोजना की धनराशि में 60 फीसदी मुआवजा व 40 फीसदी धनराशि मुआवजा में खर्च होगी।

एअर फोर्स व यूपीडा से लेनी पड़ेगी एनओसी: राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग को एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए एअर फोर्स व यूपीडा से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी लेना पड़ेगा। क्योंकि पूर्वांचल एक्सप्रेस की एअर स्टिप नए एक्सप्रेस-वे निर्माण में आंडे आ रही है। इसके साथ पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का क्रासिंग भी नए एक्सप्रेस-वे निर्माण में बाधित हो रहा है।

आधा दर्जन आरओबी व सेतुओं का होगा निर्माण
एक्सप्रेस-वे निर्माण के दौरान आधा दर्जन आरओबी व सेतु का निर्माण होगा। जिसमें लखनऊ-वाराणसी रेल खण्ड पर एक ओवरब्रिज और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे क्रासिंग पर 18 मीटर ऊंचाई पर छह लेन का फ्लाईओवर, गोमती नदी पर छह लेन, अन्य सड़कों के क्रासिंग पर सेतु समेत कुल आधा दर्जन ब्रिजों के निर्माण को शामिल किया गया है। बाइक व अन्य ग्रामीण वाहनों के प्रवेश को एक्सप्रेस-वे पर वर्जित किया गया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड, सुलतानपुर के अधिशासी अभियंता, विकास कुमार सिंह ने कहा कि एक्सप्रेस-वे का निर्माण यूपीडा और एयरफोर्स से एनओसी आने और पांच हजार करोड़ की परियोजना के अनुमोदन के बाद शुरू कराया जाएगा। प्रत्येक फेज को दो-दो वर्ष का समय लगेगा। अगर एक साथ अनुमोदन हुआ तो दोनों फेज दो वर्ष में नहीं तो तीन वर्ष का भी समय लग सकता है।

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