ऑपरेशन से अनजान सीएचसी अधीक्षक ने भुगता दण्ड
नवाबगंज (उन्नाव)। सीएचसी में 30 मरीजों के आंख के ऑपरेशन की जानकारी स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक डॉ. देवेश दास के पास नहीं थी। देर रात टार्च की रोशनी में ऑपरेशन किए जाने की सूचना मिलने पर अधीक्षक सीएचसी...
नवाबगंज (उन्नाव)। सीएचसी में 30 मरीजों के आंख के ऑपरेशन की जानकारी स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक डॉ. देवेश दास के पास नहीं थी। देर रात टार्च की रोशनी में ऑपरेशन किए जाने की सूचना मिलने पर अधीक्षक सीएचसी पहुंचे थे। मंगलवार को जेडी स्वास्थ्य अवधेश यादव व एसडीएम मनीष बंसल ने चिकित्सा प्रभारी डा. देवेश दास के बयान दर्ज किए। डा. देवेश दास ने बताया कि एनजीओ ने उन्हें शिविर से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी थी। सीएमओ से अनुमति लेकर शिविर का आयोजन कर दिया गया था। उधर जेडी स्वास्थ्य ने बताया कि सीएचसी में शिविर लगाए जाने की जानकारी अधीक्षक के पास नहीं थी। उन्होंने बताया कि पूरे मामले में चिकित्सा प्रभारी की लापरवाही निकलकर सामने आई है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन करते समय बिजली न कटने पाए इसके लिए पहले से तैयारी की जाती है। लेकिन लापरवाही बरती गई। उन्होंने बताया कि लोकल फाल्ट से ऑपरेशन के दौरान 15 मिनट के लिए बिजली चली गई थी। इस बीच बीस मिनट तक जेनरेटर भी खराब रहा। इस पर एनजीओ ने टार्च की रोशनी में ही ऑपरेशन करा दिए। जेडी व एसडीएम से की गई जांच पड़ताल में पता चला कि सीएचसी में तैनात वाहन चालक राधेश्याम ने एनजीओ के सदस्यों को ओटी तक पहुंचाया था। उसने इमरजेंसी में तैनात डॉ. आरके गौतम की भी अनुमति नहीं ली थी। सीएमओ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि एक सप्ताह पहले भी सीएचसी पर ऑपरेशन हुए थे। जेनरेटर चलाया गया था। तकनीकी खरीबी आने से पांच सेंकेड के लिए टॉर्च से ऑपरेशन किया गया था। एनजीओ को परमिशन भी दी गई थी। कानपुर की ओम जगदंबा सेवा समिति पिछले आठ सालों से नेत्र शिविर जांच का आयोजन कर रही है। सोमवार को हुए नेत्र शिविर में समिति की ओर से लापरवाही बरती गई। समिति की ओर से मरीजों के लिए उचित प्रबंध नहीं किए गए थे। मंगलवार को जांच के दौरान समिति की लापरवाही भी खुलकर सामने आई। ऐसे में स्वास्थ्य अधिकारी समिति पर भी कार्रवाई की बात कह रहे हैं। उधर इसी एनजीओ से 25 दिसंबर को एक और कैंप कराया जाना था। सीएचसी नवाबगंज में सोमवार को सिर्फ 12 बेड ही खाली थे। ऐसे में जिन 30 मरीजों का आंखों का ऑपेरशन किया गया था। उसमें से सिर्फ 12 मरीजों को ही बेड मिल सके थे। जबकि अन्य को जमीन पर ही लिटा दिया गया। इमर्जेंसी में तैनात डॉ. आरके गौतम ने कुछ मरीजों को गद्दे उपलब्ध कराए थे। नवाबगंज सीएचसी में सर्जन न होने से पिछले कई सालों से ऑपरेशन नहीं हो रहे थे। बावजूद इसके सोमवार को एनजीओ की ओर से बिना सर्जन की मौजूदगी में सीएचसी पर आंखों के आपरेशन किए गए। अंधता निवारण अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. अर्जुन सारंग ने बताया कि जिले में पुरवा व हसनगंज के अलावा जिला अस्पताल में ही आंखों के ऑपरेशन होते हैं। मगर एनजीओ ने सीएमओ डॉ. राजेंद्र प्रसाद से अनुमति लेकर यहां आंखों के ऑपरेशन किए थे।