बोले उन्नाव : हमें इंस्पेक्टर राज से बचाओ किराने के ठाठ-बाट लौटाओ
Unnao News - उन्नाव का किराना व्यापार 180 करोड़ का कारोबार करता है, लेकिन साफ-सफाई, जल व्यवस्था, और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी और अन्य टैक्सों के कारण आमदनी घट रही है।
उन्नाव। संवाददाता
सालाना 180 करोड़ का कारोबार करने वाला उन्नाव का किराना कारोबार कई दिक्कतों से बेहाल है। साफ-सफाई और पानी की व्यवस्था नहीं तो यूरिनल और शौचालय की सुविधा भी नदारद है। इसके अलावा आए दिन लगने वाले जाम से भी दुकानदारी पर असर पड़ रहा है। बाजार में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। पीने के लिए शुद्ध पानी तक नसीब नहीं होता है। प्यास बुझाने तक के लिए जेब से रुपये खर्च कर बोतलबंद पानी लेना पड़ता है। किराना कारोबारियों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एक सुर में कहा कि यदि जाम और इंस्पेक्टर राज से निजात मिल जाए तो उनका धंधा फिर उड़ान भर सकता है।
शहर का कोई भी चौराहा ऐसा नहीं है, जहां किराने की दुकान न हो। बड़े चौराहे, छोटे चौराहे, स्टेशन रोड, सिविल लाइंस के अलावा शहर के तमाम इलाकों में किरानें की दुकानें हैं। इतना बड़ा बाजार है पर समस्याएं अपार हैं। रोज लगने वाला जाम, नियमित सफाई न होना, नो इंट्री की दिक्कत जैसी अनगिनत समस्याएं कारोबारियों को परेशान करती हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान किराना कारोबारियों का दर्द सामने आ गया। शहर के तीन स्थानों पर थोक और फुटकर किराने की दुकानें करीब 200 हैं। वहीं, जिले में किराने की छोटी-बड़ी दुकानों की संख्या करीब 8000 बताई जा रही है। सस्ता किराना भंडार के संचालक शीतल प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि शहर में मौजूद दुकानें 50 से सौ साल पुरानी हैं। मार्केटिंग विभाग की तरफ से इंस्पेक्टर जांच के लिए आते हैं तो तमाम तरह की कमियां निकालने की कोशिश करते हैं। आरोप लगाया कि सीधे-साधे दुकानदारों पर तमाम तरह के दबाव बनाए जाते हैं। थोक व्यापारी हरिशंकर अग्रवाल ने बताया कि अब जगह-जगह दुकानें खुल गई हैं। लोग अब घर से निकलकर सामान नहीं लेना चाहते हैं। ज्यादातर दुकानदार कानपुर से ही माल लाते हैं। शहर की थोक दुकानों का व्यापार पूरी तरह चौपट है।
पॉलीथिन के उत्पादन पर लगनी चाहिए रोक
व्यापारी नेता अखिलेश अवस्थी ने बताया कि जीएसटी विभाग ने व्यापार करना मुश्किल कर दिया है। ऑनलाइन व्यवस्था के कारण बार-बार व्यापारियों को कार्यालय बुलाया जाता है। खुले माल की सैंपलिंग के नाम पर खाद्य विभाग के अधिकारी दुकानदारों का शोषण करने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा अधिकारी खड़े अनाज की भी सैंपलिंग कर लेते हैं। इसके विपरीत किराना व्यापारी को प्रशासन की ओर से कोई सुविधाएं नहीं मिलती हैं। अगर उत्पादन हो रहा है तो खुला सामान और पॉलिथीन का प्रयोग होना लाजमी है, लेकिन इस पर उत्पादन कंपनियों पर नकेल कसने के बजाय व्यापारियों का दोहन किया जाता है। माल का सैंपल लेकर या फिर उसे जब्त कर लंबा जुर्माना वसूला जाता है।
थोक दुकानों से हर रोज 50 लाख का कारोबार
शहर में करीब 150 से अधिक किराने की थोक दुकानें हैं। इनमें 400 से अधिक श्रमिक काम करते हैं। व्यापारियों और श्रमिकों का परिवार इन्हीं दुकानों पर आश्रित है। इसके अलावा माल ढुलाई में लगे वाहन सामान रखने और उतारने वाले श्रमिक भी इसी व्यापार पर निर्भर हैं। इन दुकानों से प्रतिदिन 50 लाख से अधिक का कारोबार होता है।
स्थानीय व्यापारियों को नो एंट्री में रियायत देने की मांग
थोक दुकानदार सरजू प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि शहर के बीच स्थित दुकानदारों को काफी दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं, क्योंकि यहां कोई ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है। बाहर से माल मंगाने में दुकान तक ट्रक नहीं पहुंच पाता है। बाहर से माल आता है तो उसे छोटे वाहन से मंगाना पड़ता है। शहर के बीच में होने की वजह से रात को ही माल आता है। साथ ही, पुलिस की नो इंट्री ने काफी छकाकर रखा है। व्यापारियों को माल मंगाने के लिए नो एंट्री में कुछ छूट जरूर देनी चाहिए।
समस्याओं का प्राथमिकता से हो निस्तारण
व्यापारियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए। थोक दुकानदार को अपनी सुरक्षा की चिंता हर समय सताती है। पूर्व में व्यापारियों के साथ हुई आपराधिक वारदात से किराना कारोबारी सहमे हैं। व्यापारियों की समस्याओं के निदान के लिए अधिकारियों को अलग से समय देना चाहिए। साथ ही, एक दिन निश्चित किया जाए जब व्यापारी अपनी समस्या अधिकारियों को अवगत करा सकें।
दुकानों का पंजीयन शुल्क कम हो, बंदी का हो सख्ती से पालन
दुकानों के लिए श्रम विभाग में लिए जाने वाला पंजीयन शुल्क को कम किया जाए। अभी बहुत ज्यादा है। इस पर शासन और प्रशासन स्तर से गंभीरता दिखाई जाए। इसके अलावा सप्ताहिक बंदी का कहीं पालन होता है तो कहीं दिनभर दुकानें खुली रहती हैं। किराना मार्केट के पूरे व्यापारी साप्ताहिक बंदी का पालन कर रहे हैं। लेकिन, अन्य जगह दुकानें खुलने से उनको काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए साप्ताहिक बंदी का सख्ती से पालन होना चाहिए।
महंगाई बढ़ रही पर आमदनी घट गई
व्यापारी सतीश चंद्र बताते हैं कि किराने में आने वाले अनाज में एक फीसदी मंडी शुल्क वसूला जाता है। इसके लिए अलग से भारी भरकम जीएसटी, माल लाने का भाड़ा, श्रमिकों का खर्च और दुकान के तमाम खर्चें निकालने में व्यापारियों को काफी मुसीबत आती है। महंगाई तो बढ़ रही है, लेकिन व्यापारी की आमदनी बढ़ने के बजाय घट रही है।
कई तरह के टैक्स से दिलाई जाए राहत
टैक्स को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। व्यापारी तुषार अग्रवाल का कहना है कि माल मंगाने पर मंडी शुल्क लिया जाता है। एक देश है तो टैक्स भी एक होना चाहिए। कई राज्यों में मंडी शुल्क नहीं वसूला जाता है। यहां पर डेढ़ फीसदी शुल्क वसूल लिया जाता है। ऐसे में व्यापारियों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ता है। मंडी शुल्क के अतिरिक्त विकास शुल्क लिया जाता है। पालिका की ओर से तमाम टैक्स लिए जाते हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं दी जाती हैं।
किराना व्यापारियों की जुबानी
किराने से सरकार को राजस्व मिलता है पर मंडी में पेयजल की व्यवस्था नहीं है। गर्मी में दिक्कत होती है।- सूरज गुप्ता
जीएसटी सिरदर्द है। इसमें इतनी कागजी कार्रवाई है कि उसमें ही लगे रहते हैं। इसको आसान बनाया जाए।- भइया जी
ऑनलाइन एजेंसियों का फैक्ट्रियों से सीधे जुड़ाव होता है। इसलिए सस्ता माल देते हैं और नुकसान हमें होता है।-शीतल प्रकाश
सरकार ऑनलाइन एजेंसियों को दिनों दिन बढ़ावा दे रही है। इस पर लगाम लगाना जरूरी है।- सतीश चंद्र
पंजीयन शुल्क काफी महंगा कर दिया गया है। देना तो एक ही बार पड़ता है पर सस्ता होना बेहद जरूरी है।- जयसागर गुप्ता
बोले जिम्मेदारः सुविधा शुल्क मांगने पर शिकायत करें
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी शैलेश दीक्षित ने कहा कि व्यापारियों की सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है। इन्हें सुविधा शुल्क देने की जरूरत नहीं है। सैंपलिंग नियमानुसार की जाती है। अगर फिर भी कोई शिकायत है तो हमें सूचना दी जाए। नाम गोपनीय रखा जाएगा।
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