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एक साथ चार शव देख बदहवास हो गए परिजन

दस साल पहले बड़े भाई की मौत के बाद बेसहारा हुई भाभी को अपना कर पूरे परिवार को दुख से उबारने वाला आनंद एक दिन दो बच्चों और पत्नी के साथ ऐसे साथ छोड़ जाएगा, यह किसी को पता नहीं था। पर होनी को कौम टाल...

एक साथ चार शव देख बदहवास हो गए परिजन
हिन्दुस्तान टीम,उन्नावTue, 23 Jan 2018 11:28 PM
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दस साल पहले बड़े भाई की मौत के बाद बेसहारा हुई भाभी को अपना कर पूरे परिवार को दुख से उबारने वाला आनंद एक दिन दो बच्चों और पत्नी के साथ ऐसे साथ छोड़ जाएगा, यह किसी को पता नहीं था। पर होनी को कौम टाल सकता है। पोस्ममार्टम हाउस में माता-पिता और छोटे भाई यही सोच कर दहाड़े मार रहे थे। घर पर पहाड़ तो सोमवार की रात ही टूट गया था जब उन्हें हादसे में बेटे, बहू , पोते और पोती के मरने की सूचना मिली थी। आनन फानन लखनऊ से उन्नाव पहुंचे परिजन पूरे समय बदहवास दिखे। मां सदमें में थी और पिता का दुख चेहरे पर दिख रहा था। भाई इसे नियती मान कर पोस्टमार्टम की कार्रवाई में लगे हुए थे। मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद चारों शवों का अंतिम संस्कार शुक्लागंज में ही कर दिया गया।

सोमवार की रात एक वाहन आनंद की बाइक में टक्कर मार कर निकल गया था। लखनऊ के थाना पीजीआई के बरौना घुस्वल कला देवमऊ मोहल्ला के रहने वाले आनंद शुक्ल पत्नी रिन्की, दस साल के बेटे मयंक और आठ साल की बेटी नंदनी के साथ सोमवार की सुबह अचलगंज के ओरहर गांव अपने मामा लल्लन तिवारी के घर आए थे। देर शाम बाइक से सभी लखनऊ जा रहे थे तभी हादसे के शिकार हो गए। आनंद हाईकोर्ट के जज वीरेन्द्र कुमार सेकेण्ड के आवास 15 कालीदास मार्ग लखनऊ में गृह सेवक के पद पर तैनात था। आनंद, पत्नी और बच्चों के साथ वहीं रहता भी था। पोस्टमार्टम हाउस में बेटे, बहू व पोते पोती के शव देख पिता गिरीश चंद्र बेहाल हो उठे। आनंद की मां सुमन और पत्नी रिन्की की मां ईशला देवी बदहवास थीं।

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