गेहूं बेच कर लुधियाना से बेटे को बुलाया
कोरोना बड़ी मुसीबतें लेकर आया है। परदेश में जमा पूंजी तथा राशन खत्म हुआ तो बहुत से लोग पैदल ही गांव निकल पड़े। कुछ ऐसे भी रहे जो परदेश तो इस लिए गए थे कि घर वालों का सहारा बन सके। मगर हालात ऐसे बने...
कोरोना बड़ी मुसीबतें लेकर आया है। परदेश में जमा पूंजी तथा राशन खत्म हुआ तो बहुत से लोग पैदल ही गांव निकल पड़े। कुछ ऐसे भी रहे जो परदेश तो इस लिए गए थे कि घर वालों का सहारा बन सके। मगर हालात ऐसे बने बाहर उनका पेट भरने के लिए मां- बाप को गांव में गेहूं बेचना पड़ा।
औरास ब्लॉक के शिवबक्स खेड़ा निवासी रंजीत ने बताया कि वह हरदोई निवासी अपनी मौसी के लड़कों के साथ 21 मार्च को पंजाब प्रांत के लुधियाना गया था। ख्वाब तो था कि खूब कमाई कर मां- बाप के सपनों को पूरा करेगा । मगर लुधियाना पहुंचने के दो दिन बाद 23 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। घर से जो पैसे लेकर गए थे एक दो दिन उसी से खाने पीने की चीजे खरीदी। कुछ दिन में ही पैसा खत्म हो गया। आपबीती बताते हुए रंजीत ने कहा कि लगातार चार दिन तक भूंखे रहे। एक दिन घर वालों से बात करते हुए रोने लगे तो घर वालों ने गेहूं बेच पैसा लगाया तब जाकर लुधियाना में खाने पीने की चीजे खरीद पाए। बताया कि वह 30 मई को ट्रेन से वापस आ पाए तबतक जो गांव से पैसा भेजा गया उसी से खा रहे थे।