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बैकफुट पर पालिका, गुमटी आवंटन पर बदलेगी योजना

फुटपाथी दुकानदारों को रोजगार देने के नाम पर की जा रही ठगी की खबर हिन्दुस्तान में प्रकाशित होने के बाद पूरी नगर पालिका हलचल में है। फुटपाथी दुकानदारों से 15 हजार रुपए वसूली और लागत से अधिक गुमटी के...

बैकफुट पर पालिका, गुमटी आवंटन पर बदलेगी योजना
हिन्दुस्तान टीम,उन्नावWed, 20 Feb 2019 11:19 PM
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फुटपाथी दुकानदारों को रोजगार देने के नाम पर की जा रही ठगी की खबर हिन्दुस्तान में प्रकाशित होने के बाद पूरी नगर पालिका हलचल में है। फुटपाथी दुकानदारों से 15 हजार रुपए वसूली और लागत से अधिक गुमटी के निर्धारित किए गए दामों का मामला सुर्खियों में आते ही नगर पालिका बैकफुट पर आकर अपने फैसले को बदलने का मन बना रही है। चेयरमैन, ईओ और सभासदों के बीच हुई चर्चा में गुमटियों के आवंटन पर रोक लगाने की बात रखी गई। साथ ही इनकी जगह स्थाई व्यवस्था के रूप में पक्की दुकाने देने पर भी जोर दिया गया।

शहर के वेडिंग जोन में फुटपाथी दुकानदारों को गुमटी देने के लिए अधिकृत कंपनी के तहत 15 हजार रुपए वसूलने के साथ 35 हजार की गुमटी को एक लाख 35 हजार रुपए में दिए जाने की बात पर सभासदों और दुकानदारों ने कड़ा विरोध जताया था। जिसे हिन्दुस्तान ने पूरी सक्रियता के साथ खबर को मंगलवार के अंक में प्रकाशित करके मामले को उजागर किया था। जिसके बाद नगर-पालिका में आनन-फानन बैठक के जरिए गुमटी केा देने की रणनीति पर रोक लगाने पर चर्चा की गई है। चेयरमैन मंटू कटियार, ईओ रामपूजन श्रीवास्तव के साथ कई सभासदों की वार्ता में दुकानदारों से ली जा रही धनराशि को अधिक बताकर इस योजना पर रोक लगाने की मांग की गई। जिसमें यह कहा कि गुमटियों की कीमत लागत से अधिक आंककर गरीबों का बोझ बढ़ाया जा रहा है। चेयरमैन और सभासदों ने खुद को इस विषय से अनभिज्ञ बताते हुए तत्काल प्रभाव से इस आवंटन को रुकवाने की बात कही। कई सभासदों के साथ चेयरमैन प्रतिनिधि ने पूरी बेबाकी के साथ इस पर रोक लगने का दावा भी किया है। इनका कहना है कि ईओ की वार्ता से डीएम इस पर रोक नहीं लगाएंगे तो वह स्वंय फुटपाथी दुकानदारों के पक्ष में आकर गुमटी के एवज में पक्की दुकानों को उपलब्ध कराने की मांग करेंगे।

दो दिन पहले से सभासद और दुकानदार जता रहे थे विरोध

गुमटी देने के लिए दुकानदारों से वसूली जा रही 15 हजार की धनराशि का विरोध करते हुए मोतीनगर सभासद बृजेश पांडेय ने कई दुकानदारों के साथ इसको गलत ठहराया था। सभासद व दुकानदारों ने यह भी आरोप लगाया था कि अधिकृत कंपनी उनसे गुमटी देने से पहले ही इतना रुपाया वसूल कर रही है। साथ ही गुमटी की आंकी गई कीमत को गरीब दुकानदारों के हित में अधिक बताकर सभासद ने एक लाख रुपया अधिक लेने की बात कही।

अस्थाई व्यवस्था के इतनी महंगी कीमत नहीं आ रही रास

गुमटी की व्यवस्था दुकानदारों के लिए स्थाई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद भी उन्हें एक लाख 35 हजार रुपए की मोटी रकम चुकानी पड़े यह उनका बोझ बढ़ाने की बात लग रही है। इसको लेकर ईओ से मांग की गई है कि वह इस निर्णय में बदलाव करके इनके लिए कोई और स्थाई रास्ता साफ करे।

मंटू कटियार, पालिका चेयरमैन प्रतिनिधि

डीएम से वार्ता के बाद ही होगा सही फैसला

अभी इस योजना को पूरी तरह से कैसिंल करने की बात गलत होगी। इस पर पक्की मोहर डीएम से वार्ता करने के बाद ही लगेगी। डीएम तक मामला पहुंचाया जाएगा। जिसके बाद जैसी सहमति बनेगी उसी के आधार पर आगे की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कोशिश रहेगी कि जो निर्णय हो वह सबके पक्ष में हो।

रामपूजन श्रीवास्तव, ईओ नगर पालिका

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