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कुलदीप का था वरदहस्त, कानून से होता रहा खेल

कुलदीप का था वरदहस्त, कानून होता रहा खेल

कुलदीप का था वरदहस्त, कानून से होता रहा खेल
हिन्दुस्तान टीम,उन्नावSat, 14 Mar 2020 12:25 AM
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पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की हनक ही थी कि पुलिस ही नहीं प्रशासनिक अमला भी कानून से खेलता रहा। कानून के रखवाले ही पीड़िता का परिवार ही नहीं, उसकी पैरवी करने वालों को भी फंसाने का कुचक्र रचते रहे। पीड़िता के पिता की मौत के बाद भी मनमानी जारी रही। कई मामलों में वांछित पीड़िता के चाचा को भी कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने जेल भेजने में देरी नहीं की।

04 जून को 2017 को दर्ज रेप मामले की सुनवाई के बाद घर लौट रहे पीड़िता के पिता के खिलाफ साठगांठ कर आर्म्स ऐक्ट में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। मामला विधायक और उसके भाई का होने के नाते उच्चाधिकारियों से लेकर सीओ व थानाध्यक्ष दबाव में आ गए। माखी थानेदार अशोक सिंह भदौरिया व दरोगा केपी सिंह खेल में आगे-आगे रहे। पीड़िता के पिता को आनन-फानन जेल भेज दिया मगर मारपीट के आरोपितों की गिरफ्तारी तक नहीं की गई। पांच दिन बाद पीड़िता के पिता की मौत होने पर मामले ने तूल पकड़ा तो एक-एक कर सभी आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद शासन स्तर से एसओ समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

विधायक, भाई अतुल सिंह और अन्य की गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस पीड़िता के परिवार की मदद के बजाए षड़यंत्र रचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही थी। रेप व हत्या मामले की पैरवी कर रहे पीड़िता के चाचा, जो पहले से कई मामलों में वांछित था। पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर पीड़िता के चाचा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तो पैरवी करने वाले वकील आदि ने सरकार से सुरक्षा की मांग उठाई। इसके बाद कोर्ट ने वकील पीड़िता के परिवार आदि को सुरक्षा व्यवस्था दिलाई।

मगर फंस गई पुलिस

मामले की जांच शुरू हुई तो यह सवाल उठा कि पीड़िता का पिता रेप मामले की पैरवी में कोर्ट गया था। तमंचा लेकर कोई कोर्ट जाता नहीं। थानाध्यक्ष ने साजिशन रिपोर्ट दर्ज की कि पीड़िता का पिता गांव में तमंचा लेकर हंगामा कर रहा था। आखिर पीड़िता के पिता के पास तमंचा आया तो कहां से आया?

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