
केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को कोर्ट से राहत, पत्रावली तलब, मुकदमा दर्ज कर हुआ था आदेश
संक्षेप: यूपी के गोंडा के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को कोर्ट से राहत मिली है। कीर्तिवर्धन सिंह पर कोर्ट ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया था।कीर्तिवर्धन ने फिर से सुनवाई की फरियाद की जिस पर अधीनस्थ न्यायालय की पत्रावली तलब कर ली है।
यूपी के गोंडा में धोखाधड़ी करके भूमि बैनामा कराने आरोप में केंद्रीय पर्यावरण व विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह समेत पांच के विरुद्ध एमपी/एमएलए कोर्ट ने बीते 11 अगस्त को मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया था। कीर्तिवर्धन को इस आदेश के खिलाफ केंद्रीय मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने प्रभारी जिला जज राजेश कुमार की अदालत समक्ष निगरानी प्रस्तुत कर पुनः सुनवाई की फरियाद की। इसे अदालत ने स्वीकार करते हुए अधीनस्थ न्यायालय की पत्रावली तलब कर ली है। मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।
केंद्रीय मंत्री की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी व रमेश प्रताप सिंह के अनुसार वादी अजय सिंह ने अदालत को गुमराह करके तथ्यों को छिपाकर केंद्रीय मंत्री व अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित करा लिया था। इसके बाद प्रभारी जिला जज के समक्ष निगरानी प्रस्तुत करते हुए पुनः सुनवाई की याचना की गई। अदालत ने याची द्वारा प्रस्तुत तथ्य को संज्ञान में लेते हुए अधीनस्थ न्यालय द्वारा पारित आदेश की पत्रावली को तलब करने का आदेश दिया है।
निगरानी स्वीकार करने का ये बना आधार: वादी अजय सिंह की पत्नी मनीषा सिंह द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के अनुसार इस प्रकरण में सबसे पहले मिथलेश रस्तोगी, कान्ती सिंह व बिट्टन देवी के विरुद्ध मुकदमा थाना मनकापुर में पंजीकृत कराया गया था। इसमें विवेचक ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। इसके विरुद्ध वादिनी मनीषा सिंह द्वारा प्रस्तुत प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने अग्रिम विवेचना का आदेश पारित किया है। इस मामले की विवेचना प्रचलित है। इसका वादी अजय सिंह ने बीएनएसएस की धारा 173(4) के तहत पेश प्रार्थनापत्र में उल्लेख नहीं किया। उन्होंने जानबूझकर तथ्य छुपाने के आशय से यह कृत्य किया है। यहीं नहीं, मनीषा सिंह द्वारा वर्ष 2015 में इन्हीं तथ्यों/आरोपो के आधार पर एक अन्य मुकदमा सुरेंद्र सिंह, कान्ती सिंह, मिथलेश रस्तोगी, कमलेश रस्तोगी, बिट्टन देवी, चिंतामणि, जगदम्बिका प्रसाद, सहदेव प्रसाद यादव व राजेश शर्मा के खिलाफ पंजीकृत कराया था। इसमें विवेचक द्वारा आरोप पत्र प्रेषित किया गया था।
इसके खिलाफ नामजद आरोपियों ने उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच के समक्ष एक याचिका पेश की। इस पर पांच जुलाई 2022 को हाईकोर्ट ने आरोपपत्र को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि प्रकरण व्यवहार प्रकृति का है और पूर्व से ही सिविल न्यायालय में इस सम्बन्ध में वाद विचाराधीन है।
यह था पूरा मामला
सिविल जज (सीडि) एमपी/एमएलए कोर्ट की जज अपेक्षा सिंह ने फर्जी व जालसाजी करके जमीन बैनामा कराने के आरोप में केंद्रीय मंत्री सहित पांच लोगों के विरूद्ध 11 अगस्त को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। वादी अजय सिंह पुत्र शिवकुमार सिंह निवासी ग्राम-भिटौरा, थाना कोतवाली मनकापुर ने इस संबंध में कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया था। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राजेश सिंह निवासी ग्राम धुसवा खास, कीर्तिवर्धन सिंह निवासी ग्राम- मनकापुर बाजार, पिंकू पुत्र घिसई निवासी ग्राम-मनकापुर भाले सुल्तानपुरवा, सहदेव यादव निवासी ग्राम बन्दरहा, कान्ती सिंह निवासी ग्राम बेनीपुर के विरूद्ध केस दर्ज करने का आदेश दिया था।





