आजादी के पुरोधा महात्मा गांधी को भूल गया आगरा, कई ऐतिहासिक स्मारकों पर नहीं फहराता तिरंगा
- आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी को आगरा प्रशासन और लोग पूरी तरह से भूल चुके हैं। यमुनापार पर स्थित गांधी आश्रम प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बाट जोह रहा है।
देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मना रहा है लेकिन आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी को आगरा प्रशासन और लोग पूरी तरह से भूल चुके हैं। यमुनापार पर स्थित गांधी आश्रम प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बाट जोह रहा है। साल दर साल आश्रम की हालत बद से बदतर होती जा रही है। पत्थर गिर रहे हैं। सीमेंट उखड़ रहा है। यहां तक कि आश्रम में बापू से जुड़ी हुई स्मृतियां भी बदहाल हो चुकी हैं। किसी को भी आजादी की इस धरोहर की चिंता नहीं है। गांधी आश्रम एक अकेला ऐसा उदाहरण नहीं इसके अलावा आगरा में और भी अन्य स्मारक हैं जो देश की आजादी के साक्षी रहे। लेकिन उनकी भी हालत बद से बदतर हो रही है। प्रशासन और आगरावासी स्वतंत्रता दिवस पर भी इन स्मारकों की सुध नहीं लेते।
आजादी से पूर्व 10 सितंबर 1929 को आगरा की यमुना नदी के किनारे स्थित बृजमोहन दास मेहरा की हवेली में महात्मा गांधी रूके थे। उन्होंने इसी हवेली में स्वतंत्रता आंदोलन की रूपरेखा तैयार की थी। इस दौरान जब उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। तो उन्हें यहीं पर 11 दिन तक रूकना पड़ा। सैकड़ों अनुयायियों से स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर चर्चा भी की। उनके साथ आचार्य जेबी कृपलानी, कस्तूरबा गांधी, मीरा बहन और जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभाविता भी यहीं रूकी थी।
आजादी के बाद जब 1948 में महात्मा गांधी का निधन हो गया तो हवेली के मालिक बृजमोहन दास ने इसे महात्मा गांधी ट्रस्ट को दी। महात्मा गांधी से जुड़ी हुई तमाम यादगार वस्तुओं को यहां पर सहेज कर रखा गया है जिसमें उनका चश्मा, धड़ी, सूत कातने के लिए चरखा और उनके द्धारा बिताए गए समय के तमाम छायाचित्र मौजूद हैं। लेकिन सभी की स्थिति काफी दयनीय है। इन पर काफी धूल जमी हुई है। स्मारक में मौजूद गांधी जी की एकमात्र मूर्ति पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिस पर लपेटने के लिए कोई कपड़ा भी नहीं है। स्मारक में जगह जगह जाले भी लगे हुए हैं और छत का प्लास्टर भी उखड़ रहा है। बाहर की तरफ छज्जे पर लगे हुए पत्थर कई जगह से गिर चुके हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। हर घर तिरंगा अभियान के तहत घर घर तिरंगा लगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि साल दर साल बीतते जा रहे है। गांधी स्मारक पर प्रशासन द्वारा ध्वजारोहण भी नहीं होता। स्मारक की देखभाल करने वाले जगदीश यादव ने बताया कि यहां अंतिम बार एत्मादपुर विधानसभा के विधायक ड़ाक्टर धर्मपाल 2022 में यहां आए थे उसके बाद से यहां कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि नहीं आया।
भगत सिंह की कर्म हवेली हुई जर्जर
नूरी दरवाजा में स्थित लाला छन्नोमल की हवेली की भी आजादी में काफी अहम भूमिका रही है। नवंबर, 1928 में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर जॉन पी सांडर्स को मारने के बाद भगत सिंह अज्ञातवास के लिए आगरा आए थे। भगत सिंह ने नूरी दरवाजा स्थित के कमरे को ढाई रुपए एडवांस देकर 5 रुपए महीने पर किराए पर लिया था। यहां सभी छात्र बनकर रह रहे थे, ताकि किसी को शक न हो। उन्होंने आगरा कॉलेज में बीए में एडमिशन भी लिया था। घर में बम फैक्ट्री लगाई गई, जिसकी टेस्टिंग नालबंद नाला और नूरी दरवाजा के पीछे जंगल में होती थी। इसी मकान में बम बनाकर भगत सिंह ने असेंबली में विस्फोट किया था। हालांकि इस हवेली की हालात अब काफी जर्जर हो चुकी है। कई सामाजिक संगठनों ने प्रशासन को नींद से जगाने के लिए आवाज भी उठाई लेकिन प्रशासन ने अभी तक इसकी सुध नहीं ली है। वहीं अब कुछ सामाजिक लोगों ने भगत सिंह के उस ऐतिहासिक कमरे की मरम्मत करा कर वहां ताला लगा दिया है।
नेता जी सुभाष चंद्र बोस की सभा का गवाह बना मोतीगंज मैदान
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा... का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का ताजनगरी से भी नाता रहा है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि नेताजी के वर्ष 1940 में एक सभा में अंग्रेजों के खिलाफ जमकर गरजे थे। आगरा के मोतीगंज के चुंगी मैदान में यह सभा हुई जिसमें उस समय हजारों लोगों की भीड़ उमड़़ी थी। लेकिन आज इस चुंगी मैदान को अवैध अतिक्रमण ने घेर रखा है। और शायद लोग भी यह भूल चुके हैं कि यह मैदान नेता जी की सभा का गवाह बना है। चुंगी मैदान के पास स्थित स्मारक में एक प्राथमिक विद्यालय भी चलता है। हालांकि इसे दाराशिकोह की लाइब्रेरी भी कहा जाता है।
चंद्रशेखर आजाद के पार्क में व्याप्त गंदगी
ताजगंज क्षेत्र के श्मशान घाट तिराहे के पास मौजूद चंद्रशेखर पार्क की हालत भी कुछ ऐसे ही है यहां पर चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति लगी हुई है लेकिन उनकी जयंती के अलावा इस पार्क को कभी भी याद नहीं किया जाता पार्क में घास की जगह जंगली पेड़ उगे हैं चारों तरफ गंदगी कंबर है लेकिन इस और कोई भी ध्यान नहीं देता झंडा फहराना तो दूर की बात यहां साफ सफाई भी सही से नहीं होती।
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