ऊंघने पर बाल नोचते, खिड़की से बांध देते थे चोटी, म्यांमार से लखनऊ पहुंचे फंसे लोगों ने बताई आपबीती
- म्यांमार में फंसे यूपी के 21 लोग लखनऊ पहुंच गए हैं। मुक्त कराए गए लोगों ने बताया कि साइबर ठग भारत से एमबीए, बीबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके युवाओं को टारगेट करते थे। काम के दौरान नींद आने पर बाल नोच कर मारपीट करते थे।

म्यांमार में फंसे गाजियाबाद और फिर देर शाम लखनऊ पुलिस लाइन पहुंचे 21 लोगों से पूछताछ की गई। एसीपी क्राइम और खुफिया विभाग के अधिकारी ने सबके विवरण नोट किए। देर रात जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं थे कि मुक्त कराए गए लोगों को कहां ले जाया जाएगा। लखनऊ के मो. अनस, अमन सिंह और सुल्तान सलाउद्दीन ने एसीपी क्राइम अभिनव को बताया कि साइबर ठग भारत से एमबीए, बीबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके युवाओं को टारगेट करते थे। काम के दौरान नींद आने पर बाल नोच कर मारपीट करते थे।
उन्होंने बताया कि युवाओं को 70 हजार से एक लाख रुपये प्रति माह वेतन का लालच देकर कभी बैंकॉक तो कभी पश्चिम बंगाल के रास्ते म्यांमार ले जाते थे। म्यांमार के बॉर्डर पर एक फ्लैट में रखते थे। एक हॉल में 15 से 20 लोगों को रखा जाता था। उन्हें लैपटॉप देते थे और डिजिटल अरेस्ट, शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर ठगी कराते थे। बंधक युवाओं में कोई पांच तो कोई आठ माह से काम कर रहा था। इनमें चीन, पाकिस्तान समेत कई देशों के युवा थे।
साइबर ठग उन्हें केवल चार घंटे सोने देते थे। 18 घंटे तक काम कराया जाता था। पलक भी झपकती थी तो हाल में लगे सुरक्षा कर्मी बाल नोचकर मारते-पीटते थे। लड़कियों की चोटी खिड़की से बांध देते थे। जांच में पता चला कि एंटी हयूमन ट्रैफिकिंग थाने में गैंग के खिलाफ चार मामले दर्ज हैं।
जवाब देते-देते गला सूखा गाजियाबाद से लाए गए युवकों को घर पहुंचने की जल्दी थी। साइबर क्राइम सेल और एलआईयू की टीम ने उन्हें पूछताछ के लिए रोक लिया। पुलिस के सवालों के जवाब देते-देते मुक्त हुए युवकों का गला सूख गया।
म्यांमार में फंसे गाजियाबाद और फिर देर शाम लखनऊ पुलिस लाइन पहुंचे 21 लोगों से पूछताछ की गई। एसीपी क्राइम और खुफिया विभाग के अधिकारी ने सबके विवरण नोट किए। देर रात जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं थे कि मुक्त कराए गए लोगों को कहां ले जाया जाएगा। लखनऊ के मो. अनस, अमन सिंह और सुल्तान सलाउद्दीन ने एसीपी क्राइम अभिनव को बताया कि साइबर ठग भारत से एमबीए, बीबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके युवाओं को टारगेट करते थे। काम के दौरान नींद आने पर बाल नोच कर मारपीट करते थे।
उन्होंने बताया कि युवाओं को 70 हजार से एक लाख रुपये प्रति माह वेतन का लालच देकर कभी बैंकॉक तो कभी पश्चिम बंगाल के रास्ते म्यांमार ले जाते थे। म्यांमार के बॉर्डर पर एक फ्लैट में रखते थे। एक हॉल में 15 से 20 लोगों को रखा जाता था। उन्हें लैपटॉप देते थे और डिजिटल अरेस्ट, शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर ठगी कराते थे। बंधक युवाओं में कोई पांच तो कोई आठ माह से काम कर रहा था। इनमें चीन, पाकिस्तान समेत कई देशों के युवा थे।
साइबर ठग उन्हें केवल चार घंटे सोने देते थे। 18 घंटे तक काम कराया जाता था। पलक भी झपकती थी तो हाल में लगे सुरक्षा कर्मी बाल नोचकर मारते-पीटते थे। लड़कियों की चोटी खिड़की से बांध देते थे। जांच में पता चला कि एंटी हयूमन ट्रैफिकिंग थाने में गैंग के खिलाफ चार मामले दर्ज हैं।
जवाब देते-देते गला सूखा गाजियाबाद से लाए गए युवकों को घर पहुंचने की जल्दी थी। साइबर क्राइम सेल और एलआईयू की टीम ने उन्हें पूछताछ के लिए रोक लिया। पुलिस के सवालों के जवाब देते-देते मुक्त हुए युवकों का गला सूख गया।
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ऑनलाइन भेजते थे रुपये
गाजियाबाद से सूचना दी गई थी कि सभी को लखनऊ सीबीआई कार्यालय ले जाया जाएगा पर बस सीधे पुलिस लाइन की ओर मोड़ दी गई। वहां युवाओं ने बताया कि उनके परिवार को रुपये ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए बैंक खातों में भेजवाया जाता था।
लखनऊ के पांच पेशेवर भी शामिल
आईटी पेशवरों में लखनऊ के मो. अनस, अमन सिंह, विपिन यादव, सुल्तान सलाउद्दीन, तौसीफ शामिल हैं। इनके अलावा गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, महराजगंज के युवक शामिल हैं। लखनऊ लाए गए लोगों में गोंडा में नवाबगंज क्षेत्र के दो, मनकापुर थाना क्षेत्र का एक युवक शामिल हैं।
लखनऊ में साइबर ठगी की प्रमुख वारदातें
1. मरीन इंजीनियर एके सिंह को दो दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर हड़पे 84 लाख
2. पीजीआई में तैनात डॉ. रुचिका टण्डन को डिजिटल अरेस्ट कर दो करोड़ 81 लाख हड़पे
3. गोमतीनगर के उमेश चंद्र से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 70 लाख की ठगी
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