‘नैक’ में अव्वल, ‘एनआईआरएफ’ में पिछड़े काशी के ये कॉलेज, कहां रह गई कमी; कैसे चूके?
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से जारी NIRF रैंकिंग में BHU और IIT टॉप टेन में जगह बनाने में सफल रहे। लेकिन सर्वविद्या की राजधानी कही जाने वाली काशी के किसी भी कॉलेज को इसमें स्थान नहीं मिला।
NIRF Ranking: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से जारी एनआईआरएफ रैंकिंग में बीएचयू और आईआईटी टॉप टेन में जगह बनाने में सफल रहे। लेकिन सर्वविद्या की राजधानी कही जाने वाली काशी के किसी भी कॉलेज को इसमें स्थान नहीं मिला। यह स्थिति तब है जब यहां तीन कॉलेजों ने नैक से ‘ए’ और एक ने ‘ए-प्लस’ ग्रेड प्राप्त किया है। बनारस के अलावा पूर्वांचल के अन्य जिलों से भी कोई कॉलेज इसमें शामिल नहीं है।
वसंत महिला महाविद्यालय राजघाट, आर्यमहिला पीजी कॉलेज और यूपी कॉलेज नैक से ‘ए’ ग्रेड प्राप्त कर चुके हैं। डीएवी पीजी कॉलेज को पिछले वर्ष नैक से ‘ए-प्लस’ मिला था। काशी विद्यापीठ भी इसी सत्र में नैक मूल्यांकन कराने को तैयार है। वह ‘ए डबल प्लस’ ग्रेड के लिए लक्ष्य कर रहा है। हालांकि एनआईआरएफ की मूल्यांकन सूची में देश के 3371 कॉलेजों में काशी के छह कॉलेज हैं। इनमें वसंत कॉलेज, आर्यमहिला कॉलेज, शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, डीएवी पीजी कॉलेज, हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज और यूपी कॉलेज शामिल हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की तरफ से नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क मूल्यांकन में सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का पंजीकरण कराया जाता है। यह संस्थानों पर निर्भर करता है कि पंजीकरण के बाद वह रैंकिंग के लिए आवेदन करते हैं या नहीं। काशी के ज्यादातर कॉलेजों ने रैंकिंग के लिए आवेदन नहीं किया। दूसरी तरफ, देश के दूसरे टॉप विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों की बात करें तो जेएनयू, डीयू सहित अन्य से संबद्ध संस्थान टॉप रैंकिंग में स्थान बनाने में सफल रहे हैं।
एनईपी में क्षेत्रीय भाषा पर जोर, एनआईआरएफ में दूरी: उच्च शिक्षण संस्थानों की राष्ट्रीय रैंकिंग को लेकर भी शिक्षाविदों में ऊहापोह की स्थिति है। एनआईआरएफ रैंकिंग में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, प्रबंधन आदि के शिक्षण पर मूल्यांकन किया जाता है। जबकि बीएचयू, आईआईटी बीएचयू के अलावा अन्य शिक्षण संस्थानों में विश्वस्तरीय शोध सुविधा का काफी अभाव है।
कुलपति और प्राचार्य बोले
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि एनआईआरएफ रैंकिंग में विज्ञान-प्रौद्योगिकी शिक्षण और शोध को अंक मिले हैं। जबकि काशी विद्यापीठ अभी इस वर्ग में काफी पीछे है। उम्मीद है कि इस वर्ग में भी रैंकिंग पर विचार किया जाएगा।
डीएवी पीजी कॉलेज के कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल ने कहा कि एनआईआरएफ में रैंकिंग के कई मानक बिंदु है, जिनमें कॉलेज संसाधनों के अभाव में पिछड़ जाते है। कॉलेजों को हाई इम्पेक्ट रिसर्च पेपर को बढ़ावा देना होगा।
यूपी कॉलेज के प्राचार्य प्रो.धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि यूपी कॉलेज ने इस वर्ष कृषि और कॉलेज की रैंकिंग में भाग लिया था, लेकिन रैंकिग नहीं मिल सकी। खेलों के प्रशिक्षण की भी सुविधाएं हैं। आने वाले वर्षों में प्रयास होगा कि एनआईआरएफ में शामिल हो सकें।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्य डॉ. जगदीश सिंह दीक्षित ने कहा कि रैंकिंग में बीएचयू के अलावा काशी या पूर्वांचल के अन्य शिक्षण संस्थानों को स्थान न मिलना आत्ममंथन का विषय है। गुणवत्तापरक शोध, कैंपस प्लेसमेंट, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत है।
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