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हृदय में प्रभू का वास हो तो अधर्म से दूर रहता है प्राणी : देवेश शास्त्री

मोतिगरपुर। संवाददाता हृदय में प्रभू का वास हो तो पाप, पाखंड, रजोगुण, तमोगुण

हृदय में प्रभू का वास हो तो अधर्म से दूर रहता है प्राणी : देवेश शास्त्री
हिन्दुस्तान टीम,सुल्तानपुरSun, 05 Dec 2021 05:10 PM
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मोतिगरपुर। संवाददाता

हृदय में प्रभू का वास हो तो पाप, पाखंड, रजोगुण, तमोगुण से हमेशा लोग दूर रखते हैं। भगवान का उन्हीं लोगों के हृदय में वास होता है, जो सत्कर्म करते हैं। अनैतिक कमाई का लाभ तो कोई भी उठा सकता है। अनैतिक कर्मों को स्वयं ही भोगना पड़ता है। इसलिए अच्छे कर्म करना चाहिए। यह आतें अहदा गांव में चल रही सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास देवेश शास्त्री ने कहीं।

कथा के दौरान शिव विवाह, ध्रुव चरित्र, बामन अवतार का मार्मिक वर्णन कर भक्तों को भाव विभोर कर दिया । उन्होंने बताया कश्यप ऋषि व अदिति के पुत्र के रूप में अवतरित होकर श्रीहरि ने राजा बलि से भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी, ढाई पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया। शिव व सती प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि बिना स्नेह पत्र के सगे-संबंधियों के घर भी नहीं जाना चाहिए । जैसे अपने पिता दक्ष के घर भगवान शिव की आलोचना से दुखी सती ने अपना शरीर यज्ञ कुण्ड में भस्म कर दिया। फलस्वरूप शिवजी ने तान्डव कर दिया और सती के शरीर को लेकर भ्रमण करते रहे। श्रीहरि ने चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में कर दिया। यह अंग 51 स्थान पर गिरे। वही मां दुर्गा की शक्ति पीठ है। जीवात्म का सच्चा सम्बंध सगे सम्बंधियों से नहीं बल्कि प्रभु से होना चाहिए। वह जीवन निरर्थक है जो मनुष्य जन्म में भी प्रभु की भक्ति न करे। यजमान चन्द्र भानु मिश्र ने सपरिवार व्यास पीठ की आरती उतारी। कथा में दिनेश मिश्र, दीपक मिश्र, दिनकर, इन्द्रभान मिश्र, अमर चन्द्र पाण्डेय, राम हिमाचल पांडेय आदि रहे।

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