14 साल में ही जेल गए चन्द्र प्रताप सिंह
Sultanpur News - धनपतगंज, संवाददाता विकास खण्ड अंतर्गत पीरो सरैया गांव निवासी चंद्रप्रताप सिंह आजादी की लड़ाई

धनपतगंज, संवाददाता विकास खण्ड अंतर्गत पीरो सरैया गांव निवासी चंद्रप्रताप सिंह आजादी की लड़ाई में महज 14 साल की उम्र में ही जेल चले गए। उन्होंने कई बार जेल की यात्राएं कर देश को गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिये अमूल्य योगदान दिया।
चंद्रप्रताप सिंह का जन्म विकास खण्ड के पीरो सरैया गांव में 19 जून 1917 में जमीदार परिवार में हुआ था। पिता इलाहाबाद के सरकारी सेवा में थे। सन 1931 में महज 14 साल की उम्र में विद्यार्थी संघ के सदस्य बने और मार्डन हाई स्कूल आरसन राइटिंग केश में पहली बार उसी साल गिरफ्तार होकर तीन साल की सजा पाई। परन्तु 7 माह में वे अपील से छूट गए और उसी समय कमला नेहरू के साथ विदेशी बस्त्र बहिष्कार पिकेटिंग में एक साल जेल में रहे फिर शराब की दुकान पर पिकेटिंग करने में 15 दिन जेल में रहे। पढ़ाई छूट गयी और सुल्तानपुर आ गए। सन 1940 में युद्ध विरोधी कार्य करने के कारण 28 अक्टूबर को 6 महीने की कैद और 200 रुपये का जुर्माना ही नही सुनाया। बल्कि जुर्माने की राशि न अदा करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा पाई और 3 सितम्बर 1941 में छूटे। सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के सिलसिले में 18 माह तक जिला जेल सुलतानपुर तथा सेंट्रल जेल नैनी में नजरबंद रहे। देश आजाद होने के बाद उन्होंने अपना जीवन समाज को समर्पित कर दिया। उन्होंने अतौला गांव में कमला नेहरू प्राइमरी पाठशाला कई वर्ष चलाने के बाद उसे जिला परिषद को सौंप दिया। आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को लेकर आज भी पीरोसरैया गांव विकास खण्ड के लोग गौरवान्वित महसूस करते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।