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हाईकोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार ने की कार्रवाई, यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन को हटाया

प्रदेश सरकार ने यूपी सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी को उनके पद से हटा दिया है। उनके स्थान पर प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण बी.एल.मीणा को बोर्ड को प्रशासक नियुक्त किया गया है।...

हाईकोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार ने की कार्रवाई, यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन को हटाया
लखनऊ। विशेष संवाददाताMon, 25 Jan 2021 11:33 PM
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प्रदेश सरकार ने यूपी सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी को उनके पद से हटा दिया है। उनके स्थान पर प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण बी.एल.मीणा को बोर्ड को प्रशासक नियुक्त किया गया है। प्रदेश सरकार ने यह फैसला हाईकोर्ट के मंगलवार को हुए एक आदेश के बाद लिया। अदालत ने इस मामले में दायर एक जनहित याचिका और रिट पीटीशन की सुनवाई करने के बाद मंगलवार को दिए गए अपने फैसले में उ.प्र. सेण्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन व बोर्ड के अन्य सदस्यों का कार्यकाल 20 सितम्बर 2020 से 31 मार्च 2021 तक छह महीने तक बढ़ाने के प्रदेश सरकार के फैसले को गैरकानूनी करार दिया।

अदालत ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह बोर्ड चुनाव 28 फरवरी तक करवा कर निर्वाचित चेयरमैन को बोर्ड का कार्यभार सौंपे। इसके साथ अदालत ने यह भी कहा है कि 30 सितम्बर 2020 से अब तक बोर्ड द्वारा जो भी निर्णय लिये गये वह मान्य होंगे। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करने और उसके प्रतिवाद कोई पुर्नविचार याचिका दायर करने से इन्कार करने के पूरे प्रकरण में जुफर फारुकी काफी चर्चा में रहे थे और आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी जैसे संगठनों की आलोचना का शिकार भी हुए थे। 

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर और एक अन्य जज की पीठ ने यह आदेश दिया है।  वसीमुद्दीन व अन्य बनाम राज्य सरकार और अल्लामा जमीर नकवी व अन्य बनाम राज्य सरकार के दोनों मामलों की सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया है। जुफर फारुकी के नेतृत्व में चल रहे उ.प्र.सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 31 मार्च 2020 को खत्म हो गया था। उसके बाद प्रदेश सरकार ने उनका कार्यकाल पहली अप्रैल से छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। उसके बाद दोबारा उनका कार्यकाल 30 सितम्बर 2020 से छह महीने के लिए बढ़ाया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यह बात समझ से परे हैं कि जब सितम्बर में कोरोना संकट के बावजूद अन्य संस्थाओं के चुनाव करवाये जा रहे थे तो फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड का चुनाव क्यों नहीं करवाया जा सका?
 

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