सपा सरकार में एक ही विशेष जाति के लोगों को मिली थी नौकरियां; योगी ने अखिलेश पर साधा निशाना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को भाजपा ओबीसी मोर्चा के मंच से विपक्ष को ललकारा। उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा सरकार में एक ही विशेष जाति के लोगों को नौकरियां मिलती थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को भाजपा ओबीसी मोर्चा के मंच से विपक्ष को ललकारा। खासतौर से सपा उनके निशाने पर रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि हालिया लोकसभा चुनाव में ओबीसी को गुमराह किया गया। सपा उन्हें लड़वा रही है। उन्होंने मोर्चा कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि जनता के बीच जाकर दुष्प्रचार करने वालों की हकीकत बताएं। समाज के लोगों को बताएं कि चार बार की सरकार में सपा ने कितने एससी-ओबीसी को नौकरी दी और सात साल में भाजपा सरकार ने कितनी दीं। हमने सात साल में 6.5 लाख नौकरियां दीं, इसमें से 60 फीसदी नौकरियां ओबीसी और दलित समाज के लोगों को दी गईं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कोई समाज अपने स्वं का बोध खोता है तो पहचान का संकट खड़ा होता है। ऐसा ही षडयंत्र पिछड़े समाज के साथ हुआ। जो काम कभी विदेशी आक्रांता किया करते थे, छद्म सेकुलरिज्म के नाम पर वही काम आज कुछ राजनैतिक दल कर रहे हैं। जो समाज अपने बल, बुद्धि, पौरुष से भारत को सोने की चिड़िया बनाने और समृद्ध बनाने का जज्बा रखता था, उसको आपस में लड़ा कर पहचान का संकट पैदा कर दिया गया। लोकसभा चुनाव में आपने देखा कैसे आपस में लड़ाकर इन जातियों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा करने का प्रयास किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा चल रही है। यही कांवड़ यात्रा सपा, बसपा और कांग्रेस की सरकारों में प्रतिबंधित थी। यह केवल शिव भक्तों की यात्राभर नहीं बल्कि रोजगार का माध्यम भी थी। एक बार की कांवड़ यात्रा से वो हस्तशिल्पी वर्ष भर की आय प्राप्त कर लेते हैं। इससे तमाम दुकानदार भी जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपके तीज-त्योहारों पर भी इन लोगों की बुरी नजर थी। इसका सीधा असर रोजगार पर भी पड़ रहा था। योगी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ ओबीसी और दलित वर्ग को मिल रहा है।
योगी ने कहा कि सपा का शासन याद कीजिए। सपा सरकार में यूपीएससी के नतीजे आते थे तो 86 एसडीएम की नियुक्ति हुई। इन 86 में से 56 सिर्फ एक ही जाति विशेष के हो जाते थे। क्या यह ओबीसी के हित के साथ कुठाराघात नहीं था। मगर वो लोग इस बात पर खामोश हो जाते हैं। पिछले 7 वर्षों में हमने 6.50 लाख सरकारी भर्ती की हैं। इसमें से 60 फीसदी भर्तियां ओबीसी और दलित समाज के लोगों की हुई हैं। 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में हमने इसको लागू किया, ये वही लोग प्रश्न खड़ा करते हैं जो 86 में 56 एक ही जाति विशेष की भर्ती करते थे।
ओबीसी समाज में हनुमान की ताकत
उन्होंने कहा कि 2006 में भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय की गाज़ीपुर में हत्या हुई थी। उनके साथ उनके सुरक्षा में लगे रमेश पटेल थे, रमेश यादव थे, क्या वो ओबीसी नही थे? यानी भाजपा के साथ हो गए थे तो आप उनको ओबीसी नहीं मानोगे? प्रयागराज में उमेश पाल, राजू पाल क्या ओबीसी नही थे? उसी माफिया को ये लोग गले लगाते थे। तब यह पीडीए का नारा लगाने वाले कहां थे। जिन लोगों ने युवाओं के नौकरी, रोजगार में डकैती डाली और उत्तर प्रदेश को अराजकता की आग में झोंक दिया था, आज वही लोग समाज को लगातार गुमराह कर रहे हैं। अंत में योगी ने कहा कि ओबीसी समाज में हनुमान की ताकत है। जरूरत सिर्फ उनका बल याद दिलाने की है। फिर रावण की लंका जलने में समय नहीं लगेगा। भरोसा दिलाया कि ओबीसी समाज के हितों, आस्था, व्यापार, रोजगार के साथ खिलवाड़ की छूट किसी को नहीं देंगे।
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