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विश्व ट्रॉमा दिवस: यूपी में हर साल 20 हजार लोग सड़क हादसे में तोड़ रहे हैं दम

यूपी में सड़क हादसों में हर साल 20 हजार लोग दम तोड़ रहे हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या युवाओं की है। वहीं, इन मौतों से तीन गुना अधिक यानी 60 हजार लोग दुर्घटनाओं में पूरी तरह से विकलांग हो रहे हैं।...

विश्व ट्रॉमा दिवस: यूपी में हर साल 20 हजार लोग सड़क हादसे में तोड़ रहे हैं दम
लखनऊ, निज संवाददाता Wed, 17 Oct 2018 10:28 AM
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यूपी में सड़क हादसों में हर साल 20 हजार लोग दम तोड़ रहे हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या युवाओं की है। वहीं, इन मौतों से तीन गुना अधिक यानी 60 हजार लोग दुर्घटनाओं में पूरी तरह से विकलांग हो रहे हैं। ज्यादातर सड़क हादसे ट्रैफिक नियमों का पालन न करने की वजह से होते हैं। विश्व ट्रॉमा दिवस बुधवार को मनाया जाएगा। इंडियन ट्रॉमा सोसायटी के सदस्य डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि देश भर में हर साल साढ़े तीन लाख लोग विभिन्न प्रकार के ट्रॉमा में जान गंवाते हैं। सिर्फ सड़क हादसों में पांच से लेकर 40 वर्ष तक के डेढ़ लाख लोग दम तोड़ देते हैं। डॉ. संदीप ने बताया कि सड़क पर सुरक्षित चलने के लिए लोगों को जागरुक होना जरूरी है।

ट्रॉमा सर्जरी कोर्स के लिए संजीदा हो सरकार 
ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ. समीर मिश्रा ने बताया कि देश में केजीएमयू ऐसा चिकित्सा संस्थान है, जहां पर ट्रॉमा सर्जरी विभाग का संचालन हो रहा है। यूपी में पांच ट्रॉमा सेंटर हैं। आबादी के लिहाज से ट्रॉमा सेंटर की कम हैं। वहीं हाईवे पर तेज रफ्तार से गाड़ी चल रही हैं। नतीजतन हादसे भी हो रहे हैं। तेज रफ्तार वाहन के दुघर्टनाग्रस्त होने पर लोगों को गंभीर चोटें आ रही है। ऐसे में इलाज भी कठिन होता है।

अफसरों की बेरूखी
डॉक्टरों का कहना है कि ट्रॉमा सर्जरी कोर्स को लेकर न तो अफसर संजीदा है और न ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई)। एमसीआई ने दो बार ट्रॉमा सर्जरी कोर्स के लिए निरीक्षण किया। अभी तक कोई मानक तय नहीं किए हैं। यदि एमसीआई मानक तय नहीं कर पा रही है तो शासन को सख्ती करनी चाहिए। अहम बात तो यह है कि अभी एमसीआई की जो टीम मानकों को देखने के लिए आती है, वह विभाग के लिए कोई कमी नहीं बताती है। इसलिए अभी ट्रॉमा सर्जरी कोर्स की मान्यता नहीं मिल पा रही है।
 
घायल के मददगारों से पुलिस नहीं करेगी पूछताछ
सड़क हादसे में एकलौते बेटे को खो चुके पीजीआई के पीआरओ आशुतोष सोती बेटे शुभम के नाम से फाउंडेशन चलाकर लंबे समय से यातायात जागरुकता पर काम कर रहे हैं। शुभम सोती फाउंडेशन के प्रमुख आशुतोष सोती ने बताया कि हादसे में किसी को जख्मी सड़क पर पड़ा देख लोग मुंह मोड़कर चले जाते हैं। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि जख्मी को अस्पताल पहुंचाने वाले से कोई पूछताछ नहीं की जाएगी। न ही उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की जा सकती है। लोग डर की वजह से जख्मी लोगों को अस्पताल नहीं ले जाते हैं। 

जागरुकता रैली आज
डॉ. संदीप ने बताया कि विश्व ट्रॉमा दिवस पर केजीएमयू में बुधवार को सुबह नौ बजे जागरुकता रैली निकाली जाएगी। यह रैली परिसर में कुलपति कार्यालय से ट्रॉमा सेंटर होते हुए कलॉम सेंटर पर समाप्त होगी।

इन बातों का रखें ध्यान
-कार में बैठने वाले सीट बेल्ट बांधे
-मोटरसाइकिल चलाने व पीछे बैठने वाले हेलमेट लगाएं
-वाहन की रफ्तार 
-गलत दिशा से ओवरटेक न करें
-एकल दिशा मार्ग का पूरा पालन करें
- नशे में गाड़ी न चलाएं
-मोबाइल पर बात करते समय न तो गाड़ी चलाएं न ही सड़क पार करें।

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