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गोल्ड लोन के क्रेज के साथ तेजी से बढ़ रहे डिफाल्टर, कंपनियां करा रहीं सोने की जांच; ये है तैयारी

पिछले कुछ वर्षों में गोल्ड लोन को लेकर क्रेज बढ़ा है। लेकिन उतनी ही तेजी से डिफाल्टर भी बढ़ रहे हैं। खासकर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) में डिफाल्टरों की संख्या काफी अधिक है।

Ajay Singh अजय श्रीवास्‍तव, गोरखपुरMon, 5 Aug 2024 01:36 AM
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Gold loan defaulters: पिछले कुछ वर्षों में गोल्ड लोन को लेकर क्रेज बढ़ा है। लेकिन अब उतनी ही तेजी से डिफाल्टर भी बढ़ रहे हैं। खासकर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) में डिफाल्टरों की संख्या काफी अधिक है। कुछ दिन पहले एक एनबीएफसी ने 200 से अधिक डिफाल्टर ग्राहकों के आभूषणों की नीलामी के लिए विज्ञापन निकाला है। वहीं दूसरी तरफ बस्ती में नकली सोना के बदले एक करोड़ से अधिक के लोन के मामले में खुलासे के बाद बैंक के साथ ही निजी कंपनियां सोने की जांच करा रही हैं।

पिछले दिनों केरल की प्रतिष्ठित एनबीएफसी कंपनी ने अखबारों में 200 से अधिक डिफाल्टरों का एकाउंट नंबर देकर नीलामी की तारीख तय की है। माना जा रहा है कि करीब 10 करोड़ कीमत का आभूषण नीलाम होगा। कंपनी के प्रतिनिधि पूरे प्रकरण पर बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन बस्ती में नकली सोना के बदले एक करोड़ से अधिक के ऋण के मामले में अधिकारियों पर मुकदमा के बाद एनबीएफसी ही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सांसें भी अटकी हुई हैं।

पब्लिक सेक्टर बैंक भी पुराने सोने की शुद्धता की जांच करा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि मुथुट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस का गोल्ड लोन के मार्केट में करीब 50 फीसदी की हिस्सेदारी है। इन कंपनियों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहीं अधिक ब्याज दरें हैं, लेकिन पेंच कम है। ऐसे में लोग इन्हीं एनबीएफसी से गोल्ड लोन को तरजीह देते हैं। एसबीआई जहां 7.3 से 7.5 ब्याज पर गोल्ड लोन मुहैया करा रहा है, वहीं एनबीएफसी 12 से लेकर 18 फीसदी तक का ब्याज ले रहे हैं।

दोनों मंडल में देवरिया की बेहतर स्थिति

गोरखपुर-बस्ती मंडल के आंकड़ों पर बात करें तो इन सात जिलों में भी गोरखपुर सबसे पीछे है। आंकड़ों के देवरिया 17 वें नम्बर पर है यहां 29 गवाही हो चुकी है जबकि महराजगंज 20वें नम्बर पर है यहां 20 गवाही हो चुकी है। वहीं बस्ती 26 नम्बर पर है यहां 16 गवाही हो चुकी है जबकि सिद्धार्थनगर 27वें नम्बर पर है यहां 14 गवाही हो चुकी है। कुशीनगर 37वें नम्बर पर है यहां 12 गवाही हो चुकी है। जबकि संतकबीरनगर 39वें नम्बर पर है यहां 11 गवाही हो चुकी है। वहीं गोरखपुर 42वें स्थान पर है यहां सिर्फ 10 गवाही हुई है।

डिफाल्टर केस को लेकर एसबीआई ने की सख्ती

एसबीआई समेत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डिफाल्टरों के केस भी पांच साल पहले तक अधिक थे, लेकिन सख्ती के बाद इनपर अंकुश लगा है। वर्ष 2018 में चौरीचौरा क्षेत्र में एसबीआई की ब्रांच में 99 लाख रुपये के गोल्ड लोन में गोलमाल पकड़ा गया था। इसमें सोने के आभूषण का मूल्यांकन करने वाले ज्वैलर्स ने बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से वजन से अधिक के आभूषण पर लोन करा दिया। प्रकरण में बैंक से लेकर ज्वैलर्स समेत 43 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस घटना के बाद एसबीआई की तरफ से गोल्ड लोन करने वाली ब्रांच में 16 से 18 लाख की मशीन सोने की शुद्धता की जांच के लिए खरीदी गई। इसके साथ शहर के प्रतिष्ठित ज्वैलर्स को मोटी फीस देकर मूल्यांकन के लिए नियुक्त किया गया है।

जिम्मेदार बोले, पूरी पारदर्शिता है अब

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक राकेश सिंह का कहना है कि गोल्ड लोन में पूरी पारदर्शिता है। बैंक द्वारा नामित मूल्यांकन करने वाले ज्वैलर्स की जवाबदेही तय है। बैंक में डिफाल्टर के मामले नहीं है। एसबीआई के डीजीएम आनंद कुमार कहना है कि पांच साल पहले तक कुछ मामले आते थे लेकिन इसके बाद दोहरी सुरक्षा में गोल्ड लोन दिया जाता है। बैंक के पास शुद्धता की मशीन है ही, नामित ज्वैलर भी हैं।

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