यूपी की चुनावी बिसात में क्या फिर साथ आएंगे सपा-कांग्रेस? क्या पक रही खिचड़ी
उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी सपा के साथ नजदीक आती तो दिख रही है, लेकिन यूपी में सपा की धुरी वाले विपक्षी गठबंधन में क्या कांग्रेस शामिल होगी यह बड़ा सवाल है।

उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी सपा के साथ नजदीक आती तो दिख रही है, लेकिन यूपी में सपा की धुरी वाले विपक्षी गठबंधन में क्या कांग्रेस शामिल होगी यह बड़ा सवाल है। संभव है कि इस अहम सवाल का जवाब इसी महीने पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में निकल आए या फिर कुछ दिशा में बात बनती दिखे। आम आदमी पार्टी व सपा अभी गठबंधन पर चुप्पी साधे हैं लेकिन अध्यादेश को राज्यसभा में रोकने के लिए बनी नजदीकी गठबंधन में तब्दील हो जाए तो कोई हैरत नहीं। आम आदमी पार्टी का हालांकि यूपी में ज्यादा आधार नहीं है। यह पार्टी पहले भी सपा से गठबंधन की इच्छुक दिखी थी।
उधर अखिलेश यादव लगातार इस बात को कह रहे हैं कि यूपी में सपा ही भाजपा को रोक सकती है। इसलिए कोई भी विपक्षी गठबंधन बने, उसे सपा नेतृत्व करेगी जाहिर है कि सीटें बांटने का काम भी सपा को ही करना है। आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह पहले भी अखिलेश यादव से मुलाकात करते रहे हैं लेकिन मिल कर चुनाव लड़ने की बात परवान नहीं चढ़ पाई।
दूसरी ओर कर्नाटक के चुनाव के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। वह यूपी में भी खुद को बड़ा योद्धा मान रही हैं वह यूपी में सपा नेतृत्व के किसी गठबंधन का हिस्सा बनना पसंद करेगी, यह लगता नहीं। पर विपक्षी एकता की मुहिम से यह संभव है कि बराबर की हैसियत से गठबंधन में शामिल हो। छह साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव मे सपा कांग्रेस साथ साथ आकर बाद में अलग हो चुके हैं।
