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क्या यूपी में सस्ती होगी बिजली, रेट कम करने की मांग पर पावर काॅरपोरेशन को देना है जवाब

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने राज्य पावर कॉरपोरेशन से बिजली कंपनियों पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के 20,596 करोड़ रुपये के बकाए के एवज में बिजली दरों में कमी करने की मांग पर दो हफ्ते के अंदर...

क्या यूपी में सस्ती होगी बिजली, रेट कम करने की मांग पर पावर काॅरपोरेशन को देना है जवाब
भाषा,लखनऊFri, 17 Sep 2021 06:08 PM

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उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने राज्य पावर कॉरपोरेशन से बिजली कंपनियों पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के 20,596 करोड़ रुपये के बकाए के एवज में बिजली दरों में कमी करने की मांग पर दो हफ्ते के अंदर विस्तृत जवाब देने के लिये कहा है ।

आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता को शुक्रवार को इस सिलसिले में पत्र लिखा है। पत्र में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा द्वारा बिजली कंपनियों पर राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं के बकाया 20,596 करोड़ रुपये के एवज में बिजली दरों में कमी करने की मांग पर विचार के लिए दो सप्ताह के अंदर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिये कहा है। वर्मा ने बताया कि बिजली कंपनियों द्वारा सरकार की उदय तथा ट्रू-अप योजनाओं का लाभ नहीं दिए जाने के कारण इन कंपनियों पर उपभोक्ताओं के 20,596 करोड़ रुपये बकाया हैं और इसकी भरपाई के लिए परिषद ने नियामक आयोग को अगले पांच वर्षों तक बिजली की दरों में हर साल लगभग 6.8% की कमी करने का प्रस्ताव दिया था।

उन्होंने बताया कि आयोग ने इसी प्रस्ताव पर पावर कारपोरेशन से रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने आश्वासन दिया है कि पावर कॉरपोरेशन का जवाब आने पर वह नियमों के दायरे में रहकर इस प्रस्ताव पर काम करेगा। वर्मा ने बताया कि पिछली दो अगस्त को राज्य में नई बिजली दरें जारी होने के फौरन बाद उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के बिजली कंपनियों पर बकाया करोड़ों रुपये के मामले को लेकर राज्य विद्युत नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा गया था कि प्रदेश के सभी तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं की विद्युत दरों को निकाला जाए तो बिजली दरों में एकमुश्त 34% की कमी करनी पड़ेगी, लेकिन बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए परिषद ने अगले पांच वर्षों तक हर साल लगभग 6.8% रेगुलेटरी रिबेट और विद्युत दरों में कमी का प्रस्ताव सौंपते हुए आयोग से बिजली दरों पर पुनर्विचार की मांग की थी।

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