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क्या सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाकर उपचुनाव जीतेगी बसपा, जानिए 2022 के लिए कौन सी रणनीति बना रही पार्टी

बसपा विधानसभा उपचुनाव के सहारे मिशन-2022 की तैयारियों में जुट गई है। उसने जातीय समीकरण के हिसाब से संगठन को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है। ब्राह्मणों को साथ लाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय...

क्या सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाकर उपचुनाव जीतेगी बसपा, जानिए 2022 के लिए कौन सी रणनीति बना रही पार्टी
प्रमुख संवाददाता,लखनऊSat, 10 Oct 2020 09:38 PM
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बसपा विधानसभा उपचुनाव के सहारे मिशन-2022 की तैयारियों में जुट गई है। उसने जातीय समीकरण के हिसाब से संगठन को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है। ब्राह्मणों को साथ लाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र कमान संभाले हुए हैं। वह लगातार ब्राह्मण समाज की बैठकें कर रहे हैं। रविवार को भी उन्होंने वाराणसी की बैठक की।

विधानसभावार दी गई जिम्मेदारियां
बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर सतीश चंद्र मिश्र ब्राह्मण समाज के नेताओं के साथ लगातार बैठकें कर चुनावी तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं। वह प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 10-15 सक्रिय कार्यकर्ताओं को बुलाकर मिल रहे हैं। इन बैठकों में विधानसभा उपचुनाव के साथ-साथ मिशन-2022 के बारे में भी ब्रह्मण समाज के नेताओं को निर्देश दिया जा रहा है। मसलन, संगठन को कैसे विधानसभा के बूथ तक मजबूत किया जाना है। विधानसभा उपचुनाव में अनंत कुमार मिश्रा अंटू मिश्रा को घाटमपुर, नकुल दुबे को टूंडला, महेंद्र पांडेय को मल्हनी, आदित्य पांडेय को बांगरमऊ की जिम्मेदारी दी गई है।

सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला
बसपा एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूल पर काम कर रही है। इसी फार्मूले के आधार पर वह 2007 में यूपी में 403 विधानसभा सीटों में 206 सीटों पर जीतें जीत कर सरकार बना चुकी है। यह बात अलग है कि उस समय उसका साथ ब्राह्मणों के साथ एससी, एसटी और ओबीसी ने भी दिया था। मिशन-2022 के लिए इसी फार्मूले को एक बार फिर से आजमाने पर काम चल रहा है। बसपा यह मानकर चल रही है कि भाजपा से ब्राह्मण नाराज है। इसलिए उसे अपने पाले में लाने के लिए बसपा के पुराने नेताओं को लगाया गया है। राजधानी के बाद अब प्रदेश के प्रत्येक जिलों में ब्राह्मण सभा की बैठकें कराने की योजना है।

चंद्रशेखर की पोल खोलेगी बसपा
बसपा का मानना है कि आजाद समाज पार्टी के मुखिया व भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर उसके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। बसपा की तरह वह भी दबे-कुचलों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसीलिए बसपा चंद्रशेखर का पोल खोले अभियान चलाएगी। बसपा कॉडर के पुराने नेता पूरे यूपी में चंद्रशेखर की हकीकत बताएंगे। बसपा इसके लिए रणनीति तैयार कर रही है। इसका खुलासा हालांकि अभी नहीं हुआ है, लेकिन इस दिशा में काम शुरू हो गया है कि कैसे चंद्रशेखर का प्रभाव कम किया जाए। बसपा जानती है कि अगर उसके वोटों का बंटवारा हुआ तो सबसे ज्यादा नुकसान उसी का होगा।
 

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