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नीतीश कुमार को सहयोग करेंगे अखिलेश यादव? सम्मेलन में मिशन 2024 को लेकर रुख साफ करेंगे सपा अध्यक्ष 

लोकसभा चुनाव पर पूरी तरह फोकस करते हुए अखिलेश यादव अपनी पार्टी की मजबूत टीम तैयार करेंगे। पार्टी के दो दिन के सम्मेलन में राष्ट्रीय व प्रदेश संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा।

नीतीश कुमार को सहयोग करेंगे अखिलेश यादव? सम्मेलन में मिशन 2024 को लेकर रुख साफ करेंगे सपा अध्यक्ष 
Dinesh Rathourविशेष संवाददाता,लखनऊMon, 26 Sep 2022 08:10 PM

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लोकसभा चुनाव पर पूरी तरह फोकस करते हुए अखिलेश यादव अपनी पार्टी की मजबूत टीम तैयार करेंगे। पार्टी के दो दिन के सम्मेलन में राष्ट्रीय व प्रदेश संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा। मिशन 2024 के लिहाज से पार्टी का यह आयोजन खास माना जा रहा है। सपा इस बार लोकसभा सीटों पर मजबूत प्रत्याशी चयन का काम समय रहते करने की तैयारी में है। पर इससे पहले निकाय चुनाव में पार्टी अपना दमखम दिखाने की तैयारी में है।

सपा का राष्ट्रीय सम्मेलन पांच साल बाद लखनऊ में बुधवार को होने जा रहा है। रमाबाई अम्बेडकर मैदान में पहले राज्य सम्मेलन होगा। अगले दिन 29 सितंबर को राष्ट्रीय सम्मेलन होगा। इसमें अखिलेश यादव की अध्यक्षी पर दुबारा मुहर तो लगेगी ही, साथ ही पार्टी राजनीतिक व आर्थिक प्रस्ताव पास कर केंद्र की मोदी सरकार व राज्य की योगी सरकार को निशाने पर रखेगी। आरक्षण, जातीय जनगणना सपा के अहम मुद्दे हैं। इन पर खास तौर पर फोकस  किया जाएगा। 

जीत दिला सकने वाले पाएंगे सपा में अहम भूमिका 

सपा में वर्तमान में सभी संगठन भंग चल रहे हैं। यह देखने की बात होगी कि नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को बनाए रखता है या फिर ओबीसी से किसी अन्य को यह जिम्मेदारी दी जाती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुछ पुराने चेहरों के अलावा नए लोग भी रखे जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष तय होने के बाद नए सिरे से प्रदेश कार्यकारिणी गठित होगी। इसके बाद जिला अध्यक्ष तय होंगे जो बूथ तक कमेटी गठित करने में सहयोग करेंगे। 

भाजपा विरोधी मोर्चे में सपा तय करेगी अपनी भूमिका 

सपा ने अभी साफ नहीं किया है कि भाजपा विरोधी मोर्चे में वह कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकर करेगी या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सियासी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का जरिया बनेगा। इस बाबत संभव है कि सपा राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनी राय साफ करे लेकिन इतना तय है कि सपा इस संभावित मोर्चे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहती है। पार्टी का मानना है कि यूपी में वही सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। विधानसभा चुनाव में भले ही सपा सरकार न बना पाई हो लेकिन उसने अपना वोट प्रतिशत 32 प्रतिशत पार कर लिया है और सीटें 47 से 111 तक पहुंचा दीं। ऐसे  में लोकसभा चुनाव में भाजपा के ग्राफ को वही काफी नीचे ला सकती है, इसलिए यहां सब दल उसके साथ आएं। अखिलेश आंध प्रदेश के मुख्यमंत्री केसीआर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं। भाजपा से राहे जुदा होने के बाद जद यू यहां यूपी में सपा की मदद से अपने पांव पसारना चाहता है। 

इन चुनौतियों से निपटने को बनेगी रणनीति

  • लोकसभा उपचुनाव में रामपुर व आजमगढ़ किला हाथ से निकला 
  • शिवपाल ने यदुकुल मिशन बना कर यादव वोट में सेंध लगाने की मुहिम शुरू की 
  • गठबंधन के प्रमुख साथी ओम प्रकाश राजभर ने साथ छोड़ा 
  • यादव मुस्लिम फार्मूले को बनाए रखने की चुनौती 
     

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