शादी के बाद से नहीं मिला संतान सुख, अब बीवी ने वंश चलाने के लिए पति का मांगा पैरोल
बागपत की रहने वाली एक महिला ने डीएम से जेल में बंद पति का 90 दिनों का पैरोल मांगा है। महिला का कहना है कि उसे संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिला। वंश चलाने के लिए उसके पति का पैरोल स्वीकृत किया जाए।
यूपी के बागपत के खेकड़ा की रहने महिला ने डीएम से जेल में बंद पति का 90 दिनों का पैरोल मांगा है। महिला का कहना है कि उसकी शादी 2014 में खेकड़ा के युवक के साथ हुई थी, लेकिन साल 2017 तक उसे संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिला। 2017 में उसका पति दोहरे हत्याकांड़ के मामले में जेल चले गए थे। पिछले करीब साढ़े सात साल से वह जेल में ही बंद है। इसलिए वंश चलाने के लिए उसके पति का पैरोल स्वीकृत किया जाए। डीएम ने महिला के पत्र को कार्रवाई के लिए प्रोबेशन विभाग को भेजा है।
महिला शालू ने डीएम को लिखे प्रार्थनापत्र में बताया कि उसकी शादी साल 2014 में खेकड़ा की पट्टी मुंडाला के रहने वाले रामकुमार धामा के साथ हुई थी। उसके पति मिठाई की दुकान चलाते थे। 2017 में खेकड़ा में हुए दोहरे हत्याकांड़ के मामले में उसके पति जेल चले गए थे। पिछले करीब साढ़े सात साल से वे जेल में ही बंद है। वर्तमान में उसका पति आगरा की जेल में निरुद्ध है। शालू धामा का कहना है कि शादी के बाद उसे कोई संतान पैदा नहीं हुई है। इसलिए वंश चलाने के लिए उसके पति का 90 दिनों का पैरोल स्वीकृत किया जाए, जिससे उसे संतान प्राप्ति का सुख मिल सके।
पूर्व चेयरमैन की देवरानी है शालू धामा
शालू धामा खेकड़ा नगरपालिका की पूर्व चेयरमैन संगीता धामा की देवरानी है। वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक संगीता धामा खेकड़ा नगर पालिका की चेयरमैन रही हैं। वर्ष 2017 में ही संगीता धामा के पति रोहताश धामा और उनके देवर रामकुमार धामा दोहरे हत्याकांड के मामले में जेल चले गए थे। न्यायालय इन दोनों समेत कई आरोपियों को दोहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुना चुका है।
नगर पालिका चेयरमैन के देवर और उसके साथी की हुई थी हत्या
खेकड़ा में दो पक्षों के बीच खूनी रंजिश चली आ रही है। इस रंजिश में पहले खेकड़ा नगर पंचायत के चेयरमैन हरेंद्र धामा की हत्या हुई थी। इसके बाद रामपाल धामा व एक अन्य बुर्जुग की हत्या हुई। इसके बाद वर्ष 2017 में नगरपालिका चेयरमैन नीलम धामा के देवर पुष्पेंद्र धामा और उसके साथी बाशित की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद खेकड़ा में तनावपूर्ण हालात बन गए थे। पुलिस ने तभी हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
इस मामले में बार एसोसिएशन के जिला महामंत्री कपिल डेड़ा ने बताया कि इस तरह के मामलों में डीएम को पैरोल स्वीकृत करने का अधिकार है। वे कमेटी के माध्यम से जांच कराने और रिपोर्ट के आधार पर पैरोल स्वीकृत कर सकते हैं। वहीं बागपत डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि शासनादेश के अनुसार जेल में बंद व्यक्ति के पैरोल पर आने के दौरान कानून व्यवस्था, अपराध की पृष्टभूमि, सुरक्षा और पैरोल पर आने के बाद समाज पर पड़ने वाले असर को देखते हुए पैरोल स्वीकृत की जाती है। शालू धामा के पत्र की जानकारी अभी नहीं मिली है। यदि ऐसा पत्र आया है, तो जांच कराई जाएगी।
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