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सूरज से दूर जाने पर घटने की बजाए क्‍यों बढ़ जाता है तापमान, आदित्‍य से रहस्‍य खोलेगा IIT कानपुर 

सूरज से दूर जाने पर तापमान घटने की जगह कई गुना बढ़ क्यों जाता है। इसके रहस्य इसरो के आदित्य एल-1 से मिलने वाले डेटा से सुलझ सकते हैं। इस डेटा का विश्लेषण आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक करेंगे।

Ajay Singh अभिषेक सिंह, कानपुरTue, 5 Sep 2023 06:22 AM
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सूरज से दूर जाने पर घटने की बजाए क्‍यों बढ़ जाता है तापमान, आदित्‍य से रहस्‍य खोलेगा IIT कानपुर 

Aditya L-1: सूर्य से निकलने वाली किरणों के आसपास तापमान छह हजार डिग्री सेल्सियस रहता है और उससे कुछ दूर उसके आभामंडल की परिधि पर यह 10 लाख डिग्री सेल्सियस है। आखिर क्यों? दूर जाने पर तापमान घटने की जगह कई गुना बढ़ क्यों जाता है। इसके रहस्य इसरो के आदित्य एल-1 से मिलने वाले डेटा से सुलझ सकते हैं। इस डेटा का विश्लेषण आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. अमितेश ओमर और उनके साथी वैज्ञानिक करेंगे।

संस्थान के अंतरिक्ष, ग्रह व खगोलीय विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अमितेश की टीम ने रूपरेखा तैयार कर ली है। डाटा मिलते ही वैज्ञानिकों की टीम इस गूढ़ रहस्य को सुलझाने के लिए शोध शुरू करेगी। अब तक सूर्य के तापमान का रहस्य अनसुलझा है।

आदित्य एल-1 की सफलता से आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं। वैज्ञानिक प्रो. अमितेश ओमर ने बताया कि आदित्य एल-1 सूर्य के लैगरेंज प्वाइंट के चारों तरफ हेलो आर्बिट में स्थापित होगा और चक्कर लगाएगा। यह काफी बड़ी आर्बिट है और चक्कर पूरा करने में करीब छह माह का समय लगेगा। इसमें एक विशेष उपकरण लगा है। यह सूर्य को पूर्ण सूर्यग्रहण की स्थिति में देख सकेगा। इससे उसके आभा मंडल के डेटा को काफी हद तक सटीक ढंग से मापा जा सकेगा। इस उपकरण से मिलने वाले डाटा की मदद से तापमान व अन्य गूढ़ रहस्यों से जुड़ी नई रिसर्च संभव होगी।

सोलर ब्लास्ट से बचाएगा आदित्य
प्रो. अमितेश ने बताया कि हेलो आर्बिट में अमेरिका व यूरोप के बाद भारत की पहुंच हुई है। आदित्य एल-1 से मिलने वाले डेटा से मौसम संबंधी अध्ययन किए जा सकेंगे। यह अध्ययन सेटेलाइट को सुरक्षित रखने में यह कारगर होगा। इसके मदद से उपकरणों को बीच-बीच में होने वाले सोलर ब्लास्ट से बचाया जा सकेगा। आदित्य एल-1 में लगे उपकरण वार्निंग के साथ अलर्ट करेंगे।

10 लाख डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है तापमान
प्रो. ओमर ने बताया कि सूर्य से निकलने वाली किरणों के पास तापमान करीब 6000 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहीं उससे अधिक दूरी जाने पर आभा मंडल का तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। जबकि अधिक दूरी तय करने पर तापमान कम होना चाहिए। जाहिर है कि इस गर्मी की वजह कुछ और भी है।

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